चलो, ओबामा की तो आंख खुली
कल तक अन्य देशों की तरह बराक ओबामा को भी पाकिस्तान की ताकत पर विश्वास था, ओबामा की सुर में सुर मिलाते हुए अमेरिकी नेता एक बात पर अटल थे कि पाकिस्तान अपने प्रमाणु हथियारों की रक्षा कर सकता था। यहां तक कि पाकिस्तानी प्रधानमंत्री श्री गिलानी ने भी दो दिन पहले भारतीय सेना प्रमुख के बयान को गैर-जिम्मेदारना ठहरा दिया था, लेकिन आज भारतीय सेना प्रमुख से दो कदम आगे बढ़ते हुए ओबामा ने कह दिया कि पाकिस्तान साजिशों का गढ़ है, वहां के प्रमाणु हथियार सुरक्षित नहीं है। क्या आज फिर श्री गिलानी अपना पुराना बयान जारी करने वाले हैं, जो दो दिन पहले भारतीय सेना प्रमुख के आए बयान के बाद किया था?
सत्य तो ये है कि अमेरिका ने इस बात को देर से स्वीकार किया है, अमेरिका ने इस बात को तब स्वीकार किया, जब कल इस्लामाबाद स्थित नौसेना के मुख्य दफ्तर को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाया गया। इससे पहले तो अमेरिका के नेताओं को पाकिस्तान पर विश्वास था, जहां तक कि भारत के भी कई नेता अमेरिकी सुर में सुर मिलाते हुए नजर आए। असल में, बराक ओबामा का जो बयान आज आया है, वो विगत 23 अक्टूबर को आना चाहिए था, जब आतंकवादियों ने न्यूकलियर हथियारों तक पहुंचने के लिए वायुसेना के एक ठिकाने पर हमला किया गया। आतंकियों ने पाकिस्तान के पंजाब में स्थित इस एयरबेस में घुसने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पाए और गेट पर ही धमाका कर दिया। याद रहे कि इसी एयरबेस में पाकिस्तान के न्यूकलियर हथियार रखे हैं। इस हवाले के लगभग पांच दिन बाद पेशावर में एक आतंकवादी हमला हुआ था, जबकि उक्त हवाले के तीन दिन पहले आतंकवादियों द्वारा एक यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया गया था।
जब आतंकवादी अ-विराम पाकिस्तान में अपनी ताकत का खिनौना प्रदर्शन कर रहे थे, तब तो अमेरिका पाकिस्तान की पीठ ठोकने पर लगा हुआ था, क्योंकि पाकिस्तान तालिबान के गढ़ों को फतेह करने के दावे जो करता जा रहा था। आखिर आज ओबामा को क्या हो गया? जब पाकिस्तान ने तालिबान के अधिकार वाले कई क्षेत्र में कथित तौर पर कब्जा कर लिया। कहीं पाकिस्तान जो अंकड़े दिखा रहा है वो भारतीय सत्यम कम्प्यूटर्स के पूर्व मालिक रामलिंगा राजू के अंकड़ों की तरह फर्जी तो नहीं, जिसका अंदाजा अमेरिकी नेतृत्व को पता चल गया हो।
कभी कभी सोचता हूं कि अगर पुलिस सभी चोरों लुटेरों को पकड़कर जेलों में बंद कर दे तो वो खाएगी क्या? इस तरह का हाल भी पाकिस्तान का है, अगर आतंकवाद उसकी जमीं से खत्म हो गया तो वो उसको खत्म करने के नाम पर मिलने वाले अरबों डॉलरों को प्राप्त कैसे करेगा? कुत्ते की पूंछ के सीधे होने की तो उम्मीद की जा सकती है, लेकिन पाकिस्तान के सुधरने और भारतीय नेताओं के जनता के छल-रहित रिश्ते स्थापित होने की उम्मीद करना तो मूर्खता होगी। इससे एक फायदा हो सकता है, अगर आपको यमराज पूछे कि आपकी मरने से पहले आखिरी इच्छा क्या है तो उक्त बात उसके सामने रख दीजिए, शायद आपको यमराज कभी नहीं ले जा सकता।
सत्य तो ये है कि अमेरिका ने इस बात को देर से स्वीकार किया है, अमेरिका ने इस बात को तब स्वीकार किया, जब कल इस्लामाबाद स्थित नौसेना के मुख्य दफ्तर को आतंकवादियों द्वारा निशाना बनाया गया। इससे पहले तो अमेरिका के नेताओं को पाकिस्तान पर विश्वास था, जहां तक कि भारत के भी कई नेता अमेरिकी सुर में सुर मिलाते हुए नजर आए। असल में, बराक ओबामा का जो बयान आज आया है, वो विगत 23 अक्टूबर को आना चाहिए था, जब आतंकवादियों ने न्यूकलियर हथियारों तक पहुंचने के लिए वायुसेना के एक ठिकाने पर हमला किया गया। आतंकियों ने पाकिस्तान के पंजाब में स्थित इस एयरबेस में घुसने की कोशिश की, लेकिन वे इसमें कामयाब नहीं हो पाए और गेट पर ही धमाका कर दिया। याद रहे कि इसी एयरबेस में पाकिस्तान के न्यूकलियर हथियार रखे हैं। इस हवाले के लगभग पांच दिन बाद पेशावर में एक आतंकवादी हमला हुआ था, जबकि उक्त हवाले के तीन दिन पहले आतंकवादियों द्वारा एक यूनिवर्सिटी को निशाना बनाया गया था।
जब आतंकवादी अ-विराम पाकिस्तान में अपनी ताकत का खिनौना प्रदर्शन कर रहे थे, तब तो अमेरिका पाकिस्तान की पीठ ठोकने पर लगा हुआ था, क्योंकि पाकिस्तान तालिबान के गढ़ों को फतेह करने के दावे जो करता जा रहा था। आखिर आज ओबामा को क्या हो गया? जब पाकिस्तान ने तालिबान के अधिकार वाले कई क्षेत्र में कथित तौर पर कब्जा कर लिया। कहीं पाकिस्तान जो अंकड़े दिखा रहा है वो भारतीय सत्यम कम्प्यूटर्स के पूर्व मालिक रामलिंगा राजू के अंकड़ों की तरह फर्जी तो नहीं, जिसका अंदाजा अमेरिकी नेतृत्व को पता चल गया हो।
कभी कभी सोचता हूं कि अगर पुलिस सभी चोरों लुटेरों को पकड़कर जेलों में बंद कर दे तो वो खाएगी क्या? इस तरह का हाल भी पाकिस्तान का है, अगर आतंकवाद उसकी जमीं से खत्म हो गया तो वो उसको खत्म करने के नाम पर मिलने वाले अरबों डॉलरों को प्राप्त कैसे करेगा? कुत्ते की पूंछ के सीधे होने की तो उम्मीद की जा सकती है, लेकिन पाकिस्तान के सुधरने और भारतीय नेताओं के जनता के छल-रहित रिश्ते स्थापित होने की उम्मीद करना तो मूर्खता होगी। इससे एक फायदा हो सकता है, अगर आपको यमराज पूछे कि आपकी मरने से पहले आखिरी इच्छा क्या है तो उक्त बात उसके सामने रख दीजिए, शायद आपको यमराज कभी नहीं ले जा सकता।
लेकिन पाकिस्तान के सुधरने और भारतीय नेताओं के जनता के छल-रहित रिश्ते स्थापित होने की उम्मीद करना तो मूर्खता होगी..
जवाब देंहटाएं-सत्य वचन!!!