अहिंसा का सही अर्थ

'प्रेम'। जी हां, अहिंसा का सही अर्थ प्रेम है, लेकिन समाज ने इस शब्द का दूसरा अर्थ निकाल लिया कि किसी को मारना हिंसा होता है और न मारने की अवस्था अहिंसा, लेकिन गलत है। अहिंसा का अर्थ प्रेम। महावीर ने अहिंसा शब्द का इस्तेमाल किया, उन्होंने प्रेम का इस्तेमाल नहीं किया, क्योंकि प्रेम शब्द लोगों के जेहन में उस समय काम वासना के रूप में बसा हुआ था। लेकिन बाद में ओशो ने अहिंसा को प्रेम शब्द के रूप में पेश किया, क्योंकि अब स्थिति फिर बदल चुकी थी। लोगों ने अहिंसा का गलत अर्थ निकाल लिया था। मतलब किसी को नहीं मारना अहिंसा है। लेकिन ओशो कहते हैं कि अहिंसा का असली अर्थ प्रेम ही है, जो महावीर सबको समझाना चाहते थे। तुम जीव को नहीं मारते, तो मतलब तुम हिंसा नहीं कर रहे, ये तो गलत धारणा है। तुम को लगता है कि अगर तुमने जीव को मार दिया तो तुमसे जीव हत्या हो जाएगी और तुम नर्क के भोगी हो जाओगे। जहां पर तुमको दुख मिलेंगे, ये तो स्वार्थ एवं डर हुआ, अहिंसा तो न हुई। अगर तुम जीव से प्रेम करने लगो तो तुम उसके साथ इतना जुड़ जाओगे कि उसको मारे का ख्याल तक न आएगा, अब भी तो तुम अहिंसा के रास्ते पर हो। प्रेम करने से अहिंसा बदल तो न जाएगी। बस सोच बदलने की जरूरत है। अहिंसा का अर्थ प्रेम है, डर नहीं। तुम प्रेम करो। अहिंसा तो तुम्हारे साथ खुद हो लेगी। अगर तुम सोचते हो कि तुम किसी को मारते नहीं और तुम अहिंसा के पुजारी हो गए,तो तुम गलत हो। अगर कल को रास्ते में जाते हुए तुमको कोई गाली देने लगा तो तुम फिर से गुस्से हो जाओगे और उसको मारोगे। तब तो तुम हिंसक हो जाओगे। ये तो वैसा हुआ कि जैसे एक बंजर जमीं पर कुछ बीज गिरे हुए हैं, जो बारिश के आते फिर से हरे हो गए। वैसे ही तुम्हारे भीतर छुपी हुई हिंसा। तुम को अहिंसक होने के लिए प्रेम की जरूरत है। जब तुम प्रेम करने लगोगे, तो तुम खुद ब खुद अहिंसक हो जाओगे। हिंसा से बिल्कुल परे। प्रेम डर से नहीं दिल से होता है। तुम को डर से अहिंसक नहीं, प्रेम से अहिंसक बनो।

टिप्पणियाँ

  1. उम्दा व सारगर्भित लेख ।

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  2. बहुत सुंदर विचार कुलवंत जी ,सच में अहिंसा का अर्थ यही होना चाहिए ..बडी ही खूबसूरती से रखा आपने इसे

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  3. एक सच्ची और उत्कृष्ट पोस्ट. सार्थक ब्लोगरी यही है.

    - सुलभ

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  4. अहिंसा का असली अर्थ प्रेम ही है, सही बात है,
    बढिया पोस्ट के लिए आभार

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  5. आज 02/10/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति मे ) http://nayi-purani-halchal.blogspot.com पर पर लिंक की गयी हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .धन्यवाद!

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