रंगीला गांधी पढ़ें और फैसला करें।

आप खुद ही फैसला करें। गलत है या सही। आपके समक्ष है वो किताब।

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टिप्पणियाँ

  1. ऑब्जेक्टिव होकर सोचने में बुराई नहीं। हाँ, एक अतिवाद की प्रतिक्रिया में दूसरा न आए तो ही अच्छा।

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  2. पुस्तक की प्रति उपलब्ध करवाने हेतु आभार… इसमें से काफ़ी कुछ सच भी है…

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