दिलों में नहीं आई दरारें
दिल्ली से इस्लामाबाद के बीच जो है फासला मिटा दे, मेरे मौला,
नफरत की वादियों में फिर से, मोहब्बत गुल खिला दे, मेरे मौला,
सच कहूँ, हिन्दुस्तान और पाकिस्तान के बीच अगर कोई फासला है तो वो है दिल्ली से इस्लामाबाद के बीच, मतलब राजनीतिक स्तर का फासला, दिलों में तो दूरियाँ आई ही नहीं। रिश्ते वो ही कमजोर पड़ते हैं, यहाँ दिलों में दूरियाँ आ जाएं, लेकिन यहाँ दूरियाँ राजनीतिज्ञों ने बनाई है। साहित्यकारों ने तो दोनों मुल्कों को एक करने के लिए अपनी पूरी जान लगा दी है। अगर दिलों में भी मोहब्बत मर गई होती तो शायद श्री ननकाणा साहिब जाने वाले सिखों का वहाँ गर्मजोशी से स्वागत न होता, गुजरात की सीमा से सटे पाकिस्तान में खण्डहर बन चुके जैन मंदिरों को मुस्लिम अब तक संभाले न होते, शोएब के मन में सानिया का घर न होता, जाहिदा हीना जैसे लेखिका कभी पाकिस्तान की डायरी न लिख पाती और नुसरत फतेह अली खाँ साहिब, साजिया मंजूर, हस्न साहिब दोनों मुल्कों की आवाम के लिए कभी न गाते।
दिल चाहता है कि दोनों मुल्कों की सरकारों में साहित्यकार घूस जाएं, और मिटा दें राजनीतिज्ञों द्वारा जमीं पर खींची लकीर को। एक बार फिर हवा की तरह एवं अमन पसंद परिंदों की तरह सरहद लाँघकर बेरोक टोक कोई लाहौर देखने जाए, और कोई वहाँ से दिल्ली घूमने आए। पंजाब में एक कहावत आम है कि जिसने लाहौर नहीं देखा, वो पैदा ही नहीं हुआ, ऐसा होने से शायद कई लोगों का पैदा होना होना हो जाए। जैन समाज खण्डहर हो रहे अपने बहुत कीमती मंदिरों को फिर से संजीवित कर लें, हिन्दु मुस्लिम का भेद खत्म हो जाए और बाबरी मस्जिद का मलबा पाकिस्तान में बसते हिन्दुओं पर न गिरे। हवाएं कुछ ऐसी चलें कि दोनों तरह अमन की बात हो, वैसे भी पाकिस्तानी आवाम भारत को अपने बड़े भाईयों के रूप में देखती है।
जी हाँ, जब हिन्दुस्तान में महिला आरक्षण बिल पास हुआ था, तो पाकिस्तानी महिलाओं ने अपने हकों के लिए वहाँ आवाज़ बुलंद की, और दुआ की कि भारत की तरह वहाँ भी महिला शक्ति को अस्तित्व में ला जाए। भारत में जब अदालत का फैसला 'गे समुदाय' के हक में आया तो पाकिस्तान में 'गे समुदाय' भी आवाज बुलंद कर उठा, जो कई वर्षों से चोरी चोरी पनप रहा था, किसी ने कल्पना भी नहीं की थी कि भारतीय अदालत का फैसला पाकिस्तान में दुबक कर जीवन जी रहे गे समुदाय में भी जान फूँक जाएगा।
पाकिस्तानी आवाम व हिन्दुस्तानी जनता के दिलों में आज भी एक दूसरे के प्रति मोहब्बत बरकरार है, शायद यही कारण है कि पाकिस्तान में संदेश नामक सप्ताहिक अखबार की शुरूआत हुई, जो सिंध में बसते हिन्दु समाज की समस्याओं को पाकिस्तानी भाषा में उजागर करता है। पाकिस्तानी मीडिया हिन्दुओं पर होने वाले अत्याचारों को ज्यादा अहमियत नहीं देता, लेकिन संदेश ने हिन्दु समाज के लिए वो काम किया, जिसकी कल्पना कर पाना मुश्किल है। इतना ही नहीं, पंजाबी बोली को बचाकर रखने के लिए पाकिस्तानी पंजाब में भी कई संस्थाएं सक्रिय हैं।
पाकिस्तान की सीमा से सटे पंजाब में कबूतर पालने का चलन आज भी है। लेकिन कबूतर पालकों की खुशी तब दोगुनी हो जाती है, जब कोई पाकिस्तानी अमन पसंद परिंदा उनकी छत्री पर एकाएक आ बैठता है। उनको वैसा ही महसूस होता है जैसा कि सरहद पार से आए किसी अमन पसंद व्यक्ति को मिलकर। काश! इन परिंदों की तरह मानव के लिए भी सरहदें कोई अहमियत न रखें। लेखक की दिली तमन्ना है कि एक बार फिर से Diwali में अली और Ramjan में राम नजर आएं।
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काश की ऐसा हो पाता ।
जवाब देंहटाएंफिर से Diwali में अली और Ramjan में राम नजर आएं।
जवाब देंहटाएं-आमीन!!
दिल्ली से इस्लामाबाद के बीच जो है फासला मिटा दे, मेरे मौला,
जवाब देंहटाएंनफरत की वादियों में फिर से, मोहब्बत गुल खिला दे, मेरे मौला,
...aameen!
Umeed par duniya kaayam hai....
'Basudhaiv kutambhakam' ke bhawana mein hi sabka bhala hai..
Saarthak Soch ke liye dhanyavaad.
लेखक की दिली तमन्ना है कि एक बार फिर से Diwali में अली और Ramjan में राम नजर आएं।
जवाब देंहटाएंहमारी भी यही तमन्ना है।
बहुत अच्छे कुलवंत जी बहुत दिनों के बाद आपके विचार पड़ने को मिले दिल हेप्पी हैप्पी हो गया
जवाब देंहटाएंफासले सभी हौंसलों के दम से मिटाए जाते हैं
जवाब देंहटाएंमन से मन इस तरह से भीतर मिलाए जाते हैं
bahut achhi baat kahi aapne..
जवाब देंहटाएंदिल्ली से इस्लामाबाद के बीच जो है फासला मिटा दे, मेरे मौला,
जवाब देंहटाएंनफरत की वादियों में फिर से, मोहब्बत गुल खिला दे, मेरे मौला,
क्षमा चाहता हूँ कुलवंत जी , मगर मैं आप से सहमत नहीं हूँ और मैं तो अब भगवन से यही प्रार्थना करूंगा कि अगर हिंदुस्तान में हिन्दुओ को सुखी रहना है तो अब कभी फिर भारत -पाकिस्तान का विलय न हो !
शुक्रिया जी, आपने विचार खुले दिल से रखे। अभिव्यक्ति आपकी आजादी है श्री पी.सी.गोदियाल जी, फिर लिखने से पहले क्षमा क्यों?
जवाब देंहटाएंअंदाज अपना अपना।
नसीब अपना अपना।
ख्याल अपना अपना।
हो जाये तो क्या बात !!
जवाब देंहटाएंपर ............... हो नहीं सकता ...................हो ही नहीं सकता !!
हकीकत को मुंह चिढाती हुई पोस्ट , मुझे आपकी कल्पना ऐसे प्रतीत होती है जैसे कोई नौनिहाल चाँद को देखकर उसे पाना चाहता हो. इस्लामाबाद अगर दिल्ली से बहुत दूर रहे तो बहुत अच्छा है दिल्ली के लिए, नहीं तो दिल्ली में धमाको कि बाढ़ आएगी. और drone missile हमारे सर के ऊपर से गुजरती दिखाई देगी. हमारे राजनेताओ ने इमानादरी से इस्लामाबाद के साथ संधि और मुहब्बत कि पेंगे बढ़ाने कि कोशिश का अंजाम देख लिया है कारगिल के बाद , और जहा तक बात है पाकिस्तान के कलाकारों कि हमारे हिंदुस्तान में , वो इसलिए आते है हमारे येह क्योकि उन्हेंयहाँ बाज़ार मिलता है और उनको ये भी पता है कि तथा कथित धर्मनिरपेक्ष हिन्दुस्तानी उनको प्यार देगा और उनको अपने सर माथे पर बिठाएगा. लेकिन क्या ऐसा ही बर्ताव हमारे हिन्दुस्तानी कलाकारों के साथ होता है पाकिस्तान में??
जवाब देंहटाएंश्रीमान अशीष, जो देश के नेता करते हैं क्या उसमें भारतीय जनता की सहमति होती है। क्या भारतीय जनता चाहती है कि उनकी राखी करने वाले सरहद पर खड़े माँओं के बेटे शहीद हो जाएं, लेकिन युद्ध का एलान वो करते हैं, जिनके बेटे आलीशान महलों में सोते हैं, अमेरिका में पढ़ाई करते हैं, वैसे भी पाकिस्तानी आवाम भी सोचती है। दस फीसदी लोगों ने देश को बर्बाद किया है, और नब्बे फीसदी के मौन ने।
जवाब देंहटाएंकौन है श्रेष्ठ ब्लागरिन
जवाब देंहटाएंपुरूषों की कैटेगिरी में श्रेष्ठ ब्लागर का चयन हो चुका है। हालांकि अनूप शुक्ला पैनल यह मानने को तैयार ही नहीं था कि उनका सुपड़ा साफ हो चुका है लेकिन फिर भी देशभर के ब्लागरों ने एकमत से जिसे श्रेष्ठ ब्लागर घोषित किया है वह है- समीरलाल समीर। चुनाव अधिकारी थे ज्ञानदत्त पांडे। श्री पांडे पर काफी गंभीर आरोप लगे फलस्वरूप वे समीरलाल समीर को प्रमाण पत्र दिए बगैर अज्ञातवाश में चले गए हैं। अब श्रेष्ठ ब्लागरिन का चुनाव होना है। आपको पांच विकल्प दिए जा रहे हैं। कृपया अपनी पसन्द के हिसाब से इनका चयन करें। महिला वोटरों को सबसे पहले वोट डालने का अवसर मिलेगा। पुरूष वोटर भी अपने कीमती मत का उपयोग कर सकेंगे.
1-फिरदौस
2- रचना
3 वंदना
4. संगीता पुरी
5.अल्पना वर्मा
6 शैल मंजूषा
आपकी सोच को सलाम करने को जी चाहता है।
जवाब देंहटाएंकैसे लिखेगें प्रेमपत्र 72 साल के भूखे प्रहलाद जानी।