वरना, रहने दे लिखने को
यहाँ टिकना है,
तो दर्द से दिल लगा ले
दर्द की ज्योत जगा ले
लिख डाल दुनिया का दर्द, बढ़ा चढ़ाकर
रख दे हर हँसती आँख रुलाकर
हर तमाशबीन, दर्द देखने को उतावला है
बात खुशी की करता तू, तू तो बावला है
मुकेश, शिव, राजकपूर हैं देन दर्द की
दर्द है दवा असफलता जैसे मर्ज की
साहित्य भरा दर्द से, यहाँ मकबूल है
बाकी सब तो बस धूल ही धूल है,
संवेदना के समुद्र में डूबना होगा,
गम का माथा तुम्हें चूमना होगा,
बिकेगा तू भी गली बाजार
दर्द है सफलता का हथियार
सच कह रहा हूँ हैप्पी यार
माँ की आँख से आँसू टपका,
शब्दों में बेबस का दर्द दिखा
रक्तरंजित कोई मंजर दिखा
खून से सना खंजर दिखा
दफन है तो उखाड़,
आज कोई पंजर दिखा
प्रेयसी का बिरह दिखा,
होती घरों में पति पत्नि की जिरह दिखा
हँसी का मोल सिर्फ दो आने,
दर्द के लिए मिलेंगे बारह आने
फिर क्यूं करे बहाने,
लिखना है तो लिख दर्द जमाने का
वरना, रहने दे लिखने को
सच यहीं है कुछ खास लिखो वरना रहने दो...बढ़िया रचना..धन्यवाद
जवाब देंहटाएंbahut sahi kaha ab dard bikta hai...
जवाब देंहटाएंkulwant bhai...
जवाब देंहटाएंलिख डाल दुनिया का दर्द,
bahut hi gehrail se likha hai..aapne
जवाब देंहटाएंसुन्दर कविता के रूप में ..........दर्द की सही परिभाषा का निर्माण ...एक अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंComedy aur tragedy, yahan dono hi bikhare paden hain! Jiska jisme dil lage wo likh de yaa padh le!
जवाब देंहटाएंAapki rachana ka andaaz bahut pasand aaya!
बहुत खूब ......... बेहद उम्दा !!
जवाब देंहटाएंbahut umdaa likha bhaai jaan aapne !!
जवाब देंहटाएंi m impressed
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जवाब देंहटाएंहँसी का मोल सिर्फ दो आने,
जवाब देंहटाएंदर्द के लिए मिलेंगे बारह आने
सच्ची और अच्छी सोच - दर्द हो या दवा या फिर हास्य सार्थक लिखें
'संवेदना के समुद्र में डूबना होगा,
जवाब देंहटाएंगम का माथा तुम्हें चूमना होगा,'
सम्वेदना के समुद्र में जिसे डूबना आ गया फिर वो हर गम के,हर एक के गम के माथे को चूमना सीख जाता है.
दर्द का अपना सुख है,अपनी उपलब्धियां भी है. ये दर्द ही है जिसने मीरा,राधा,यशोदा को जन्म दिया.
ये दर्द है जिसने हीर,सोहनी,लैला को दीवानगी दी और खुदा का हमनाम बना दिया.दर्द बढ़ कर दवा तो बनता ही है,इंसान को 'सच्चा इंसान' बना देता है.मानवता का पथ इसी शुरू होता है बाबा! जब दर्द को अपने हो य गैरों के उसे महसूस करना सीख जाते है.
अच्छा लिखते हो.बहुत सम्वेदनशील हो.
प्यार
हमेशा की तरह उम्दा रचना..बधाई.
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