20 साल का संताप, सजा सिर्फ दो साल!

देश का कानून तो कानून, सजा की माँग करने वाले भी अद्भुत हैं। बीस साल का संताप भोगने पर सजा माँगी तो बस सिर्फ दो साल। जी हाँ, हरियाणा के बहु चर्चित रूचिका गिरहोत्रा छेड़छाड़ मामले जिरह खत्म हो चुकी है, और फैसला 20 मई को आना मुकर्रर किया गया है, लेकिन हैरानी की बात तो यह है कि सीबीआई एवं गिरहोत्रा परिवार ने मामले के मुख्य आरोपी को दोषी पाए जाने पर सजा अधिकतम दो साल माँगी। बीस साल का संताप भोगने के बाद जब इंसाफ मिलने की आशा दिखाई दी तो दोषी के लिए सजा दो साल माँगना, ऊंट के मुँह में जीरे जैसा लगता है।

- कुलवंत हैप्पी
उल्लेखनीय है कि रूचिका के साथ 12 अगस्त, 1990 को तत्कालीन आईजी व लोन टेनिस एसोसिएशन के अध्यक्ष एसपीएस राठौर ने छेड़छाड़ की थी। आज उस बात को दो दशक होने जा रहे हैं। इन दो दशकों में गिरहोत्रा परिवार ने अपनी लॉन टेनिस खिलाड़ी बेटी खोई, अपना सुख चैन गँवाया, गिरहोत्रा परिवार के बेटे ने चोरी के कथित मामलों में अवैध कैद काटी, पुलिस का जुल्म ओ सितम झेला, लेकिन जिसके कारण गिरहोत्रा परिवार को इतना कुछ झेलना पड़ा वो आजाद घूमता रहा बीस साल, अब जब उसके सलाखों के पीछे जाने का वक्त आया तो सजा माँगी गई दो साल।

हो सकता है कि जो धाराएं पूर्व हरियाणा पुलिस महानिदेशक एसपीएस राठौर के खिलाफ लगाई गई हैं, वो इससे ज्यादा सजा दिलाने के योग्य न हो, लेकिन हैरत की बात यह है कि दो साल तक की सजा दिलाने के लिए बीस साल तक संघर्ष करना पड़ा। अगर कोर्ट आरोपी को दोषी मानते हुए उक्त सजा सुना भी देती है तो गिरहोत्रा परिवार के साथ इंसाफ न होगा, क्योंकि गिरहोत्रा परिवार ने बीस साल संताप की सजा सलाखों के बाहर बिना किसी जुर्म के काटी है। हाँ, अगर गिरहोत्रा परिवार ने जुर्म किया तो वो यह है कि उसने एक रसूखदार व्यक्ति के विरुद्ध आवाज उठाई। सवाल तो यह उठता है कि इस केस को कोर्ट तक लाने वाली रुचिका की सहेली, जो विदेश में रहती है, और अपने पति के साथ आरोपी को सजा दिलाने के लिए अपनी जान जोखम में डाल भारत आती रही को क्या राठौर को मिलने वाली कुछ सालों की सजा सुकून मिलेगा?

राठौर को मिलने वाली इतनी कम सजा, किसी के लिए सबक नहीं बन सकती, बल्कि दुस्साहसियों के दुस्साहस को बढ़ाएगी। रसूखदारों ने कानून को कैसे रौंद दिया, इसकी उदाहरण बनेगी। क्या अब फिर उठेगी भारत की जनता राठौर के खिलाफ या फिर चुपचाप होते तमाशे का आनंद उठाएगी?

टिप्पणियाँ

  1. Yahi hai hamara criminal justice system..Pro criminal..kyon koyi case itne saal chalta hai? Kyonki tafteesh karnewali engencies ko adhikse adhik 6 maah ke andar case kee report court me darj karne kee bandish hai..lekin court pe kab case shuru kare aur adhiktam kabtak faisla sunaye,is baat ki koyi bandish nahi..20 saal tak kitne gawah court me gawahi dene aate rahenge? Kitne zinda rahenge? Kitne peechha chhuda lenge? Mai to hairan hun ki do saal ki bhi saza mili!

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  2. सचमुच बहुत ही दुखद है, हमें कुछ तो करना ही चाहिए इसके खिलाफ, लेकिन क्या?

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  3. न्याय प्रणाली का ये हाल है..आम जनता को क्या न्याय मिलेगा ..सही नही है तो कमजोर लोगों पर लोग और कहर ढाएँगे...

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  4. बहुत अफसोसजनक..क्या कहा जाये इस न्याय प्रणाली को!



    एक विनम्र अपील:

    कृपया किसी के प्रति कोई गलत धारणा न बनायें.

    शायद लेखक की कुछ मजबूरियाँ होंगी, उन्हें क्षमा करते हुए अपने आसपास इस वजह से उठ रहे विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है.

    हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ.

    -समीर लाल ’समीर’

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