रंगीला गांधी पढ़ें और फैसला करें।

आप खुद ही फैसला करें। गलत है या सही। आपके समक्ष है वो किताब।

ऑनलाईन हिन्दी किताब रंगीला गांधी

टिप्पणियाँ

  1. ऑब्जेक्टिव होकर सोचने में बुराई नहीं। हाँ, एक अतिवाद की प्रतिक्रिया में दूसरा न आए तो ही अच्छा।

    जवाब देंहटाएं
  2. पुस्तक की प्रति उपलब्ध करवाने हेतु आभार… इसमें से काफ़ी कुछ सच भी है…

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

हार्दिक निवेदन। अगर आपको लगता है कि इस पोस्‍ट को किसी और के साथ सांझा किया जा सकता है, तो आप यह कदम अवश्‍य उठाएं। मैं आपका सदैव ऋणि रहूंगा। बहुत बहुत आभार।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

महात्मा गांधी के एक श्लोक ''अहिंसा परमो धर्म'' ने देश नपुंसक बना दिया!

सदन में जो हुआ, उसे रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल तक सीमित न करें

हैप्पी अभिनंदन में महफूज अली

..जब भागा दौड़ी में की शादी

सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेदार

भारत की सबसे बड़ी दुश्मन

हैप्पी अभिनंदन में संजय भास्कर