हे माँ तेरी शान में
स्कूल से आते जब देरी हो जाती थी।
चिंता में आंखें नम तेरी हो जाती थी।
मेरी देरी पर घर में सबसे अधिक
माँ तू ही तो कुरलाती थी।
गलती पर जब भी डाँटते पिताश्री
तुम ही तो माँ बचाती थी।
खेलते खेलते जब भी चोट लगती
देख चोट मेरी माँ तू सहम जाती थी।
मैं पगला अक्सर ऐसे ही रूठ जाता,
मां तुम बड़े दुलार से मनाती थी।
नहीं भूला, याद है माँ,
एक दफा मारा था जब तुमने मुझे।
मुझसे ज्यादा हुआ था दर्द माँ तुझे।
तूने हमेशा मेरे लिए दुआएं की।
मेरी सब अपने सिर बलाएं ली।
आज शोहरत भी है, दौलत भी है।
खूब सारी पास मेरे मौहलत भी है।
मगर गम है।
सोच आँख नम है।
क्योंकि
उसको देखने के लिए
माँ तुम नहीं इस जहान में।
अगर होता मेरे बस में,
माँ रख लेता,
कर गड़बड़ी रब्ब के विधान में।
जितने भी शब्द लिखूं कम ही है
हे माँ तेरी शान में।
चिंता में आंखें नम तेरी हो जाती थी।
मेरी देरी पर घर में सबसे अधिक
माँ तू ही तो कुरलाती थी।
गलती पर जब भी डाँटते पिताश्री
तुम ही तो माँ बचाती थी।
खेलते खेलते जब भी चोट लगती
देख चोट मेरी माँ तू सहम जाती थी।
मैं पगला अक्सर ऐसे ही रूठ जाता,
मां तुम बड़े दुलार से मनाती थी।
नहीं भूला, याद है माँ,
एक दफा मारा था जब तुमने मुझे।
मुझसे ज्यादा हुआ था दर्द माँ तुझे।
तूने हमेशा मेरे लिए दुआएं की।
मेरी सब अपने सिर बलाएं ली।
आज शोहरत भी है, दौलत भी है।
खूब सारी पास मेरे मौहलत भी है।
मगर गम है।
सोच आँख नम है।
क्योंकि
उसको देखने के लिए
माँ तुम नहीं इस जहान में।
अगर होता मेरे बस में,
माँ रख लेता,
कर गड़बड़ी रब्ब के विधान में।
जितने भी शब्द लिखूं कम ही है
हे माँ तेरी शान में।
आभार
कुलवंत हैप्पी
बहुत अच्छी रचना
जवाब देंहटाएंआज शोहरत भी है, दौलत भी है।
जवाब देंहटाएंखूब सारी पास मेरे मौहलत भी है।
मगर गम है।
सोच आँख नम है।
क्योंकि
उसको देखने के लिए
माँ तुम नहीं इस जहान में।
अगर होता मेरे बस में,
माँ रख लेता,
क्या बात है आज फिर से क्यों रुलाने के मूड मे हो । माँ पर तुम्हारी रचना पढ कर अपने आँसू नही रोक पाती तुम्हारा दुख कैसे कोई बांम्टे यही समझ नही आता। मगर भगवान के आगे किसी की नही चलती। बहुत मार्मिक रचना है बहुत बहुत आशीर्वाद
बहुत मार्मिक रचना.
जवाब देंहटाएंरामराम.
वाह !! कुलवंती भाई आज तो माँ के प्यार का बहुत ही मार्मिक वर्णन किया है .
जवाब देंहटाएंbahut sunder rachana............
जवाब देंहटाएंma aisee hee hotee hai ........
bahut sunder prastuti...........
aasheesh ise lekhan ko bhee.........
बहुत ही सुन्दर शब्द दिल को छू गये ।
जवाब देंहटाएंमाता जी का ऐसा प्रेम होता है कि लिखने के लिए शब्द कम पड़ जाते हैं लेकिन आपने बखूबी रूप दिया है.
जवाब देंहटाएंविकास पाण्डेय
http://vicharokadarpan.blogspot.com/
maa ko samarpit bahut hi sundar rachna...
जवाब देंहटाएंkaun kahta hai maa nahi hai paas..ye ho hi nahi sakta ki maa apne bacche se door rahe...gaur se dekhoge to wo hamesha tumhaare saath hain..unki duaaon mein...
bas aise hi likhte raho..
bahut khushi hoti hain padh kar..
सादर वन्दे!
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना, सही है माँ तो बस माँ होती है,
रत्नेश त्रिपाठी
'maa' ka jikra jahan bhi ho
जवाब देंहटाएंsab khoosurat hi hoga
भावपूर्ण रचना।
जवाब देंहटाएंभाई ऐसी रचनाए मत लिखा करो ।
जवाब देंहटाएंबहुत भावपूर्ण रचना!
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