कैग की जीरो या मैडम का अंडा
कपूर खानदान की लाडली करीना कपूर ने जब अपनी फिगर के आगे जीरो लगाया, तो कई अभिनेत्रियों की नींद उड़ गई, जैसे फायर की आवाज सुनते ही पेड़ से पंछी एवं कई अभिनेत्रियों को पेक अप बोलना पड़ा।
जब 2012 में कैग ने अपनी रिपोर्ट में जीरो लगाई तो कांग्रेस के हाथ पैर पीले पड़ गए और कांग्रेस ने कैग की रिपोर्ट को जीरो बताते हुए कि कैग को जीरो लगाने की आदत है, कह डाला।
इतना कहने से कांग्रेस का पीछा कहां छूटने वाला था। शून्य ऑवर होने से पहले ही संसद 'जीरो लगाने के मुद्दे' को लेकर बुधवार तक स्थगित हो गई। कांग्रेस भले ही कहती रहे 'कैग को जीरो लगाने की आदत है', मगर विपक्ष एक बात पर अड़िंग है कि देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पद से अस्तीफा दें, जो अपनी उदासीनता के चलते हीरो से जीरो हो चुके हैं।
यह जीरो कांग्रेस को जीरो करने में कितना रोल अदा करने वाली है, यह बात तो आगामी लोक सभा चुनावों में ही सामने आएगी। जिस तरह के माहौल कांग्रेस के खिलाफ बन रहा है, ऐसे में कांग्रेस को जीरो में जाने की जरूरत है, मतलब शून्य में जाने की जरूरत है, जिसको आध्यत्मिक गुरू ध्यान कहते हैं।
कांग्रेस को ध्यान में जाने की जरूरत है। उसको सोचना होगा। इस जीरो से कैसे उभरा जाए। यह जीरो अगर उपलब्धियों में लगे तो किसी को नहीं खटकती, मगर यह जीरो जब घाटों में लगती है तो बवाल होता है। जैसे अच्छे वक्त में होने वाली गलतियां मजाक कहलाती हैं, और बुरे वक्त में मजाक भी गलतियां कहलाता है।
जीरो को अंडा भी बोलते हैं, मगर वो शरारती बच्चे, जो गम में भी मस्ती का फंडा ढूंढ लेते हैं, जब उनसे कोई पूछता है, आज का टेस्ट कैसा रहा तो वो बड़े मजाक भरे मूड में कहते हैं, मैडम ने अंडा दिया है।
मगर अब कांग्रेस ने कैग को अंडा दे दिया, क्यूंकि कैग ने कांग्रेस की कारगुजारी देखते हुए उसको अंडा दे दिया। इस अंडे से पनप विवाद देखते हैं आने वाले दिनों में क्या रुख लेगा? क्या देश के अंडरअचीवर मनमोहन सिंह अपने पद से अस्तीफा देंगे? या अब भी वो जनपथ की तरफ देखते रहेंगे, जिसके पीछे भी जीरो लगती है। मतलब दस जनपथ। हो सकता है जीरो से क्षुब्ध कांग्रेस अब जनपथ दस को एक में बदलने का मन बना ले। और बाद में विज्ञापन आए, बस नाम बदला है, काम नहीं।
जब 2012 में कैग ने अपनी रिपोर्ट में जीरो लगाई तो कांग्रेस के हाथ पैर पीले पड़ गए और कांग्रेस ने कैग की रिपोर्ट को जीरो बताते हुए कि कैग को जीरो लगाने की आदत है, कह डाला।
इतना कहने से कांग्रेस का पीछा कहां छूटने वाला था। शून्य ऑवर होने से पहले ही संसद 'जीरो लगाने के मुद्दे' को लेकर बुधवार तक स्थगित हो गई। कांग्रेस भले ही कहती रहे 'कैग को जीरो लगाने की आदत है', मगर विपक्ष एक बात पर अड़िंग है कि देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पद से अस्तीफा दें, जो अपनी उदासीनता के चलते हीरो से जीरो हो चुके हैं।
यह जीरो कांग्रेस को जीरो करने में कितना रोल अदा करने वाली है, यह बात तो आगामी लोक सभा चुनावों में ही सामने आएगी। जिस तरह के माहौल कांग्रेस के खिलाफ बन रहा है, ऐसे में कांग्रेस को जीरो में जाने की जरूरत है, मतलब शून्य में जाने की जरूरत है, जिसको आध्यत्मिक गुरू ध्यान कहते हैं।
कांग्रेस को ध्यान में जाने की जरूरत है। उसको सोचना होगा। इस जीरो से कैसे उभरा जाए। यह जीरो अगर उपलब्धियों में लगे तो किसी को नहीं खटकती, मगर यह जीरो जब घाटों में लगती है तो बवाल होता है। जैसे अच्छे वक्त में होने वाली गलतियां मजाक कहलाती हैं, और बुरे वक्त में मजाक भी गलतियां कहलाता है।
जीरो को अंडा भी बोलते हैं, मगर वो शरारती बच्चे, जो गम में भी मस्ती का फंडा ढूंढ लेते हैं, जब उनसे कोई पूछता है, आज का टेस्ट कैसा रहा तो वो बड़े मजाक भरे मूड में कहते हैं, मैडम ने अंडा दिया है।
मगर अब कांग्रेस ने कैग को अंडा दे दिया, क्यूंकि कैग ने कांग्रेस की कारगुजारी देखते हुए उसको अंडा दे दिया। इस अंडे से पनप विवाद देखते हैं आने वाले दिनों में क्या रुख लेगा? क्या देश के अंडरअचीवर मनमोहन सिंह अपने पद से अस्तीफा देंगे? या अब भी वो जनपथ की तरफ देखते रहेंगे, जिसके पीछे भी जीरो लगती है। मतलब दस जनपथ। हो सकता है जीरो से क्षुब्ध कांग्रेस अब जनपथ दस को एक में बदलने का मन बना ले। और बाद में विज्ञापन आए, बस नाम बदला है, काम नहीं।
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