क्यूं महान है टाइम पत्रिका एवं विदेशी मीडिया ?
प्रतिष्ठित पत्रिका टाइम और सीएनएन के लिए काम करने वाले पत्रकार फरीद ज़कारिया को अपने एक कॉलम के लिए दूसरे अखबार की नकल करना महंगा पड़ गया है.
टाइम और सीएनएन ने फरीद ज़कारिया को निलंबित कर दिया है. रुपर्ट मर्डॉक की कंपनी फॉक्स न्यूज़ द्वारा फोन हैकिंग में शामिल होने का मामला सामने आने के बाद अमरीकी पत्रकारिया जगत का ये दूसरा सबसे बड़ा विवाद है.
भारतीय मूल के फरीद ज़कारिया विदेशी मामलों के विशेषज्ञ पत्रकार हैं और लंबे समय से टाइम और सीएनएन के लिए स्तंभ लिखते रहे हैं. ज़कारिया सीएनएनएन पर 'जीपीएस' नामक एक लोकप्रिय टेलिविज़न शो भी प्रस्तुत करते हैं.
फरीद ज़कारिया भारत में इस्लामी मामलों के जाने-माने चिंतक रहे रफ़ीक ज़कारिया के बेटे हैं. कम उम्र में ही वो पढ़ाई के लिए हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय चले गए थे. मात्र 26 साल की उम्र में वो विदेशी मामलों की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फॉरेन अफेयर्स’ के संपादक हो गए.
विदेश मामलों और राजनीति से जुड़े ज़कारिया के लेख और उनकी किताबें आम लोगों और नीति निर्माताओं के बीच ही नहीं बल्कि अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे नेताओं के बीच भी काफी लोकप्रिय रही हैं.
समाचार पत्र गार्डियन के मुताबिक ज़कारिया ने पिछले दिनों क्लिक करें टाइम पत्रिका के लिए अमरीका के कोलाराडो और विस्कॉनसिन में हुई शूटिंग की घटनाओं के चलते बंदूकों पर नियंत्रण संबंधी एक लेख लिखा था. इस लेख का एक छोटा हिस्सा सीएनएन की वेबसाइट पर ब्लॉग के रुप में भी छपा.
हालांकि यह लेख सामने आने के बाद मीडिया वॉचडॉग और नेशनल रिव्यू ऑनलाइन जैसे कई ब्लॉग्स ने यह खुलासा किया कि ज़कारिया के लेख और ब्लॉग का एक हिस्सा
अप्रैल महीने में इस मुद्दे पर छपे ' क्लिक करें द न्यू यॉर्कर' के एक लेख की नकल है.
लेख के जिस हिस्से की नकल की गई है वो अमरीका के ऐतिहासिक विवरण और बंदूकों पर नियंत्रण पर आधारित था.
ब्लॉग्स और मीडिया पर ये मामला उछलने के बाद जब टाइम पत्रिका से इस बारे में औपचारिक तौर पर सफाई मांगी गई तब फरीद ज़कारिया ने इसे अपनी गलती मानते हुए तुरंत माफ़ी मांगी.
अपने माफ़ीनामे में उन्होंने कहा, ''मीडिया में यह बात सामने आई है कि टाइम पत्रिका के मेरे कॉलम और 23 अप्रैल को न्यू-यॉर्कर में छपे जिल लैपोर के आलेख में कई समानताएं हैं. ये लोग सही हैं. ये एक बड़ी गलती है और इसके लिए पूरी तरह मैं ज़िम्मेदार हूं.''
इसके बाद टाइम पत्रिका ने उन्हें एक महीने के लिए निलंबित कर दिया. मुमकिन है कि ये अवधि बढ़ा दी जाए.
पत्रिका के प्रवक्ता अली ज़ेलेंको के एक बयान के मुताबिक, ''पत्रिका फरीद ज़कारिया के माफ़ीनामे को स्वीकार करती है लेकिन उन्होंने जो किया है वो पत्रकारिता से जुड़े हमारे सिद्धांतों का उल्लंघन है. हमारा मानना है कि लेख न केवल तथ्यात्मक बल्कि मूल भी होने चाहिएं.''
अमरीकी पत्रकारिता जगत में इससे पहले भी 'प्लेजियारिज़्म' यानि साहित्यिक चोरी के कई मामले सामने आ चुके हैं. यहां तक कि न्यू-यॉर्कर के प्रतिष्ठित साइंस पत्रकार जोनाह लेहरर द्वारा अपने ही कुछ पुराने लेखों के हिस्से चुराकर नए लेख तैयार करने का मामला सामने आया था.
बीबीसी हिन्दी के साभार से।
टाइम और सीएनएन ने फरीद ज़कारिया को निलंबित कर दिया है. रुपर्ट मर्डॉक की कंपनी फॉक्स न्यूज़ द्वारा फोन हैकिंग में शामिल होने का मामला सामने आने के बाद अमरीकी पत्रकारिया जगत का ये दूसरा सबसे बड़ा विवाद है.
भारतीय मूल के फरीद ज़कारिया विदेशी मामलों के विशेषज्ञ पत्रकार हैं और लंबे समय से टाइम और सीएनएन के लिए स्तंभ लिखते रहे हैं. ज़कारिया सीएनएनएन पर 'जीपीएस' नामक एक लोकप्रिय टेलिविज़न शो भी प्रस्तुत करते हैं.
फरीद ज़कारिया भारत में इस्लामी मामलों के जाने-माने चिंतक रहे रफ़ीक ज़कारिया के बेटे हैं. कम उम्र में ही वो पढ़ाई के लिए हॉर्वर्ड विश्वविद्यालय चले गए थे. मात्र 26 साल की उम्र में वो विदेशी मामलों की प्रतिष्ठित पत्रिका ‘फॉरेन अफेयर्स’ के संपादक हो गए.
विदेश मामलों और राजनीति से जुड़े ज़कारिया के लेख और उनकी किताबें आम लोगों और नीति निर्माताओं के बीच ही नहीं बल्कि अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा जैसे नेताओं के बीच भी काफी लोकप्रिय रही हैं.
समाचार पत्र गार्डियन के मुताबिक ज़कारिया ने पिछले दिनों क्लिक करें टाइम पत्रिका के लिए अमरीका के कोलाराडो और विस्कॉनसिन में हुई शूटिंग की घटनाओं के चलते बंदूकों पर नियंत्रण संबंधी एक लेख लिखा था. इस लेख का एक छोटा हिस्सा सीएनएन की वेबसाइट पर ब्लॉग के रुप में भी छपा.
हालांकि यह लेख सामने आने के बाद मीडिया वॉचडॉग और नेशनल रिव्यू ऑनलाइन जैसे कई ब्लॉग्स ने यह खुलासा किया कि ज़कारिया के लेख और ब्लॉग का एक हिस्सा
अप्रैल महीने में इस मुद्दे पर छपे ' क्लिक करें द न्यू यॉर्कर' के एक लेख की नकल है.
लेख के जिस हिस्से की नकल की गई है वो अमरीका के ऐतिहासिक विवरण और बंदूकों पर नियंत्रण पर आधारित था.
ब्लॉग्स और मीडिया पर ये मामला उछलने के बाद जब टाइम पत्रिका से इस बारे में औपचारिक तौर पर सफाई मांगी गई तब फरीद ज़कारिया ने इसे अपनी गलती मानते हुए तुरंत माफ़ी मांगी.
अपने माफ़ीनामे में उन्होंने कहा, ''मीडिया में यह बात सामने आई है कि टाइम पत्रिका के मेरे कॉलम और 23 अप्रैल को न्यू-यॉर्कर में छपे जिल लैपोर के आलेख में कई समानताएं हैं. ये लोग सही हैं. ये एक बड़ी गलती है और इसके लिए पूरी तरह मैं ज़िम्मेदार हूं.''
इसके बाद टाइम पत्रिका ने उन्हें एक महीने के लिए निलंबित कर दिया. मुमकिन है कि ये अवधि बढ़ा दी जाए.
पत्रिका के प्रवक्ता अली ज़ेलेंको के एक बयान के मुताबिक, ''पत्रिका फरीद ज़कारिया के माफ़ीनामे को स्वीकार करती है लेकिन उन्होंने जो किया है वो पत्रकारिता से जुड़े हमारे सिद्धांतों का उल्लंघन है. हमारा मानना है कि लेख न केवल तथ्यात्मक बल्कि मूल भी होने चाहिएं.''
अमरीकी पत्रकारिता जगत में इससे पहले भी 'प्लेजियारिज़्म' यानि साहित्यिक चोरी के कई मामले सामने आ चुके हैं. यहां तक कि न्यू-यॉर्कर के प्रतिष्ठित साइंस पत्रकार जोनाह लेहरर द्वारा अपने ही कुछ पुराने लेखों के हिस्से चुराकर नए लेख तैयार करने का मामला सामने आया था.
बीबीसी हिन्दी के साभार से।
शाबाश अच्छा नाम रौशन किया है भारत का :(
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