अंजलि गोपालन पर 'नाज़' है

इनसे मिलिए ये किसी बड़ी पार्टी की मुखिया नहीं है, कोई सेना की अध्यक्षा नहीं है, किसी बड़े आन्दोलन का हिस्सा नहीं है, ये महिला अधिकारों के लिए भी नहीं लड़ रही, ये कोई बड़ी क्रान्ति नहीं कर रही है पर फिर भी टाइम्स की 100 प्रभावशाली महिला में शामिल है कैसे ? सेवा से, वर्षो से अपनी लगन, अपने सेवा भाव से एड्स पीडितो की मदद कर रही अंजलि गोपालन ने त्यज्य एड्स रोगियों पर काम करना शुरू किया जब ये रोग दुनिया में महामारी बनता जा रहा था वे सही मायनों में भारत की फ्लोरेंस नाईटिनगेल है, उनका नाज़ फाउंडेशन आज भी उसी कार्य में जुटा है. वे टीवी पर नहीं दिखती, किताबो के लेबेल पर नहीं छपती, मार्क्स की बात नहीं करती सुकरात की बात नहीं करती. उन्हें सेवा से मतलब है, जिसमे वे कोई कोर कसार नहीं रखती. पत्रकार एवं न्‍यूज एंकर पूजा शुक्‍ला के फेसबुक से

टिप्पणियाँ

  1. सुखद है भलाई के काम करना और लोगो को भलाई के काम करते हुए देखना...

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

हार्दिक निवेदन। अगर आपको लगता है कि इस पोस्‍ट को किसी और के साथ सांझा किया जा सकता है, तो आप यह कदम अवश्‍य उठाएं। मैं आपका सदैव ऋणि रहूंगा। बहुत बहुत आभार।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सवारी अपने सामान की खुद जिम्मेदार

हैप्पी अभिनंदन में महफूज अली

महात्मा गांधी के एक श्लोक ''अहिंसा परमो धर्म'' ने देश नपुंसक बना दिया!

पति से त्रसद महिलाएं न जाएं सात खून माफ

fact 'n' fiction : राहुल गांधी को लेने आये यमदूत

सर्वोत्तम ब्लॉगर्स 2009 पुरस्कार

सदन में जो हुआ, उसे रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल तक सीमित न करें