वॉट्स विक्‍की डॉनर

विक्‍की डॉनर  को लेकर तरह तरह की प्रक्रिया आई और आ भी रही हैं। फिल्‍म बॉक्‍स आफिस पर धमाल मचा रही है। फिल्‍म कमाल की है। फिल्‍म देखने लायक है। मैं फिल्‍म को लेकर उत्‍सुक था, लेकिन तब तक जब तक मुझे इसकी स्‍टोरी पता नहीं थी।

मुझे पहले पोस्‍टर से लगा कि विक्‍की डॉनर, किसी दान पुण्‍य आधारित है। शायद एक रिस्‍की मामला लगा। जैसे सलमान की चिल्‍लर पार्टी। मगर धीरे धीरे रहस्‍य से पर्दा उठने लगा। हर तरफ आवाज आने लगी, विक्‍की डॉनर, सुपर्ब। बकमाल की मूवी।

मैं पिछले दिनों सूरत गया। वहां मैंने पहली दफा इसका ट्रेलर देखा। ट्रेलर के अंदर गाली गालोच के अलावा कुछ नजर नहीं आया। दान पुण्‍य तो दूर की बात लगी।
इस ट्रेलर के अंदर डॉ.चढ्ढा एक संवाद बोलता है, ''जनानियों के जब बच्‍चे नहीं होते थे, तो ऋषि मुनियों को बुला लिया जाता था, बाबा कहता था तथास्‍तु।'' एवं इशारे में बहुत कुछ कहता है डॉक्‍टर चढ्ढा। इसको देखने बाद सोचा। मीडिया में किसी बात की सराहना हो रही है। गलियों की। गलत दिशा देने के प्रयास की।

दोस्‍ताना आई, जिसमें घर किराने पर लेने के लिए हम युवकों को 'गे' होने की ओर धकेलते हैं। फिल्‍म देसी ब्‍यॉज में जॉब न मिलने के अभाव में युवकों को लड़कियों का दिल बहलाने की तरफ मोटिवेट करते हैं। फिल्‍म रॉकस्‍टार में एक युवती के जरिए हम लड़कियों को शादी से पहले सब कर लेने की तरफ धकेलते हैं। मगर जब ''द डर्टी पिक्‍चर'' आती है तो हम कहते हैं, सिने दुनिया की ओर जा रही है, यह देखने की बजाय कि हम किस ओर जा रहे हैं?

जब ''द डर्टी पिक्‍चर'' की स्‍िलक दो अर्थे संवाद बोलती है तो हम को अटपटा लगता है, मगर डॉक्‍टर चढ्ढा बात बात पर गाली देता है। वो अच्‍छा लगता है। फिल्‍म के ज्‍यादातर संवाद पंजाबी हैं। शायद कुछ को तो समझ भी नहीं पड़े होंगे। सोचने वाली बात है कि फिल्‍म किस पर बनी। स्‍पर्म पर बनी है। यह स्‍पर्म क्‍या है? क्‍या स्‍पर्म आम बात है? क्‍या ''द डर्टी पिक्‍चर'' से इसको अलग किया जा सकता है?

मेरे दिमाग में एक और बात खनकी। सच में क्‍या फिल्‍म बेहतरीन श्रेणी में आती है? क्‍या असल में फिल्‍म सुपरहिट है? फिल्‍म के सुपरहिट होने के क्‍या मानक हैं?
क्‍या इसको सफलता का मानक मान लिया जाए, कि अगर फिल्‍म बॉक्‍स ऑफिस पर लागत से ज्‍यादा पैसा बटोरे तो फिल्‍म सफल कम बटोरे तो असफल। या फिर कोई सफलता का कोई और मानदंड होना चाहिए। एक फिल्‍म बारह करोड़ बटोरती है और एक फिल्‍म डेढ़ सौ करोड़। क्‍या दोनों सुपरहिट की श्रेणी में आनी चाहिए?

ऐसा नहीं कि इस विषय को पहली बार सिने जगत ने छूआ है। इससे पहले चोरी चोरी चुपके चुपके में एक सरोगेट मदर को हायर किया जाता है। जिसमें एक पत्‍नी अपने पति को दूसरी महिला से संबंध बनाने की आज्ञा देती है। अपने संतान मोह को पूरा करने के लिए। फिल्‍म एकलव्‍य में अमिताभ बच्‍चन अपनी मालिकन को संतान सुख प्रदान करता है। जब यह सब देखता हूं तो नाजायज शब्‍द मुझे बेईमानी नजर आता है। पुरानी फिल्‍मों में यह शब्‍द बहुत सुना। मगर नाजायज वास्‍तव में क्‍या है? क्‍या चोरी चोरी चुपके चुपके में प्रीति जिंदा की कोख से पैदा हुआ बच्‍चा नाजायज ? क्‍या फिल्‍म एकलव्‍य में पैदा हुआ बच्‍चा नाजायज नहीं?

विक्‍की डॉनर क्‍या है? क्‍या ऐसे डॉनरों की समाज को जरूरत है? क्‍या हमारे बच्‍चे सेक्‍स से पहले स्‍पर्म के बारे में जानें? या आज का अशिक्षित वर्ग अपने स्‍वर्थ के लिए मनोरंजन के लिए नाजायज को भी जायज बनाने की तरफ कदम बढ़ा रहा है। एक तरफ इसको ''द डर्टी पिक्‍चर'' में गंदगी नजर आती है, वहीं दूसरी तरफ विक्‍की डॉनर में उनको बकमाल नजर आता है। विक्‍की जैसे युवक को डॉनर में तब्‍दील करने के लिए डॉक्‍टर चढ्ढा अश्‍लील सीडीयां उपलब्‍ध करवाता है तो हम को एतराज नहीं, मगर द डर्टी पिक्‍चर में विद्या दो अर्थी बात करती है तो बुरा मान जाते हैं हम। रॉकस्‍टार में लड़की एक अनजान युवक के साथ जंगली जवानी का आनंद उठाती है, तो भी हम कहते हैं इतना तो चलता है?

चलते चलते  मैं इतना ही कहूंगा कि हमारे स्‍वार्थ पूरे हों तो नाजायज कुछ नहीं, अगर हमारे स्‍वार्थ पूरे नहीं होते तो सब नाजायज है।
बहुत जल्‍द लौट रहा हूं
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वॉट्स विक्‍की डॉनर रिटर्न

टिप्पणियाँ

  1. बेनामी5/08/2012 4:07 pm

    bhai movie to patakha hai
    koi achha kalakar hota to jam kar paisa kamati ..

    जवाब देंहटाएं
  2. बेनामी5/08/2012 4:09 pm

    अच्छा लिखते है ,आप के ब्लॉग को follow कर रहा हूँ
    http://blondmedia.blogspot.in/

    जवाब देंहटाएं
    उत्तर
    1. बहुत बहुत शुक्रिया अलोक मोहन जी

      हटाएं

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