"सत्यमेव जयते" को लेकर फेसबुक पर प्रतिक्रियाओं का दौर
Ajit Anjum
स्टार प्लस पर सत्यमेव जयते देख रहा हूं ....जिंदगी लाइव की ऋचा अनिरुद्ध की याद आ रही है ....कंसेप्ट के लेवल पर बहुत कुछ मिलता जुलता ...एंकर , गेस्ट से लेकर दर्शकों को रोते देख रहा हूं ...इमोशनल और शॉकिंग मोमेंट ....कोख में बेटियों के कत्ल की दास्तां ....
आमिर चाहते तो वो भी दस का दम वाला पॉपुलर फार्मेट चुन सकते थे ...चाहते तो गेम शो कर सकते थे ...लेकिन आमिर ने ऐसा शो करने का फैसला किया है ..इसलिए वो बधाई के पात्र हैं ...अब ये शो हिट हो या न हो ( तथाकथित रेटिंग के पैमाने पर ) मैं अपनी राय नहीं बदलूंगा ......सत्यमेव जयते बहुतों को अच्छा लगा होगा ...बहुतों तो चलताऊ ...बहुतों को ऐवैं ....कुछ साथियों ने मेरे स्टेटस के जवाब में ये भी लिखा है कि इसे रेटिंग नहीं मिलेगी ...... न मिले ..लेकिन क्या उसके आधार पर आप मान लेंगे कि ऐसे शो की जरुरत नहीं ...तो फिर क्या सिर्फ लोग दस का दम या नच बलिए या नाच गाने वाला ही शो देखना चाहते हैं ...अगर यही सच है कि तो फिर क्यों कहते हैं कि कोई चैनल गंभीर मुद्दों को उठाने वाला शो नहीं बनाता ....मैं तो स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर को भी इसके लिए बधाई देता हूं ..जिन्होंने हर हफ्ते चार करोड़ ( शायद ) खर्च करने ये जोखिम लिया है ...चाहते तो इससे आसान रास्ता पकड़ सकते थे ...दस का दम या नच के दिखा जा या फिर कोई गेम शो बना सकते थे ...लेकिन सत्यमेव जयते बनाया ...ये एंटरटेनमेंट चैनल का सरोकारी चेहरा है ...
सत्यमेव जयते जैसे शो के लिए आमिर को सलाम ....ऐसे शो की जरुरत थी ... कम से कम ऐसे लोग तो शर्मिंदा हों जो बेटियां को दुनिया में आने से पहले मार देते हैं ...कोख में कत्ल करते हैं क्योंकि उन्हें बेटा चाहिए ....और हां , ऐसे काम सासु माएं ज्यादा करती हैं और करवाती है ...जो खुद भी एक मां होती है ...औरतों की कंडिशनिंग ऐसी होती है कि जब वो बहु होती तो उसकी भूमिका अलग होती है ..बेटी होती है तो अलग होती है और सास होती है तो अलग होती है ...हमने बचपन से अपने आस पास ऐसे माहौल को देखा है , जहां बेटा चाहिए ..बेटा ही होना चाहिए ..बेटी से वंश कैसे चलेगा ..जैसे गूंजते सवालों के बीच गर्भ में बच्चा पलता है .....
पहले तो लोग कहते हैं कि चैनलों पर कोई गंभीर कार्यक्रम नहीं होते ...समाज को झकझोरने वाले मुद्दों पर शो नहीं बनते ..चैनलों पर सरोकार वाले शो नहीं दिखते ...जब बनते हैं तो कहते हैं बहुत घिसा -पिटा था ...नया क्या है ..बहुत गरिष्ठ है ...अपच है ..बहुत गंभीर है ...इतना बोझिल शो इंटरटेनमेंट पर कोई क्यों देखेगा ...अरे भाई साहब , भ्रूण हत्या से जुड़े शो में आप दस का दम या केबीसी का मजा क्यों तलाश रहे हैं ...ये तो वही बात हुई न कि पी साईनाथ के लेख में रागदरबारी या पेज थ्री का मजा खोज रहे हैं ...तो फिर हिन्दू नहीं , दिल्ली टाइम्स ही पढ़िए न ....
Shivam Misra
"सत्यमेव जयते" मे आज अमीर खान ने एक बेहद जरूरी मुद्दे को अपनी आवाज़ दी है ... एक सार्थक प्रस्तुति जो हमारे समाज के एक बेहद दुखद और घिनोने रूप को सामने लाती है|
यह कैसी हवस है ... कैसी चाहत है 'कुल दीपक' पाने की जो हर साल लगभग दस लाख बेटियों की हत्या कर रही है ... उनके पैदा होने से पहले ही ????
मैं अमीर खान और उनकी पूरी टीम को इस सार्थक प्रयास के लिए साधुवाद देता हूँ !
समय आ गया है जब हमे मिल कर अपनी खुद की और समाज की यह घिनोनी सोच बदलनी होगी !
बेटियों की हत्या बंद करनी ही होगी !
Sachin khare
मित्रों,
मैं नहीं जानता आमिर खान को किन्तु मैं बस एक बात जानता हूं उन 100 डाक्टरों को जेल में होना चाहिये और उनकी दुकान बंद होनीं चाहिये जिन्हें #Satyamevjayate की उस डाक्यूंमेंट्री में दिखाया गया है..
यदी आपके पास उनके नाम और अन्य जानकारियां हैं तो साझा कीजिये.. उन्हें उनके अंजाम तक अब हम पहुंचायेंगे.. कानूंन को जो करना है करता रहे किन्तु तबतक उनकी दुकान बंद करनीं ही होगी..
इस विचार को फेसबुक पर अपनें तरीके से फैला दीजिये.. छोड़ना नहीं है इन कसाइयों को..
वन्दे मातरम..
अजय कुमार झा
आज भांड बन चुके टीवी चैनलों और जोकर बन चुके समाचार चैनलों की चौबीस घंटों की बकर से , अलग तो निश्चित रूप से लगा "सत्यमेव जयते " । मुद्दा - कन्या भ्रूण हत्या ..समस्या , पीडित , विशेषज्ञों , खबरनवीसों , आरोपियों से सीधे बात करने के साथ बहुत सारा दृश्य फ़िल्मांकन भी ..और आखिर में कम से कम एक प्रयास भी ..,,मुझे तो प्रभावित किया , इस कार्यक्रम ने, लेकिन बहुत से अन्य पहलू भी हैं अभी इस मुद्दे से जुडे हुए ..... जल्दी ही लिखूंगा
नई दुनिया के संपादक Jaideep Karnik
आमिर खान ने बता दिया की आज देश को सपने दिखाने की बजाय सच दिखाकर जगाना जरूरी है!
Srijan Shilpi
आमिर खान ने जो पहल की है, देश के मानस को जगाने की, अपने दौर की सबसे अहम समस्याओं को समझने और उनका हल तलाशने की वह न सिर्फ काबिलेतारीफ है, बल्कि उसमें हम सब का सहयोग अपेक्षित है। एक कलाकार वह करके दिखाने जा रहा है, जो वास्तव में लोकतंत्र के चारों स्तंभों को मिलकर बहुत पहले कर लेना चाहिए था, पर वे विफल रहे। आमिर की पहल सफल हो.....सार्थक हो!
@Ravish Kumar NDTV
जितना दर्शकत्व को समझा है उससे यही जाना है कि बड़ा ही निष्ठूर तत्व है । सत्यमेव जयते इसलिए नहीं देखेगा कि आमिर ने बनाया है या इरादा नेक है। ग़रीबी दूर करने का एक ही जादू , दूरदृष्टि पक्का इरादा जैसे स्लोगनों की हालत देख चुका है । हाँ अगर बात में दम है, कहने के तरीके में दम है तो वह सिर आँखों पर लेगा । आमिर ने एक बड़ी चुनौती उठाई है और हमें दी भी है । मैं देख नहीं सका हूं । प्रतिक्रियाओं में आए उतार चढ़ाव के आधार पर कह रहा हूं । एक ही नाकामी समझ आ रही है । लोग आमिर के बारे में ज़्यादा बातें कर रहे हैं, कन्या भ्रूण हत्या के बारे में कम । अगर यही हकीकत है तो सत्यमेव जयते फेल । दिल पे लगेगी तभी बात बनेगी । दिल पे आमिर को नहीं लगाना था, मुद्दे को लगना था । वर्ना ग्रामीण मंत्रालय के तहत आने वाले तमाम मुद्दों के ब्रांड एंबेसडर की तरह बनकर रह जायेंगे । उम्मीद तो यही है कि सत्यमेव जयते सफल हो । पैसे की दरिद्रता का रोना रोने वाले नूझ पैनलों के दौर में आमिर के नाम पर करोड़ों रुपये लगाने का इरादा एक नई उम्मीद है । बेहतर कंटेंट पर मार हो तो लड़ाई जमेगी वर्ना इसलिए लोग प्राइमटाइम नहीं देखेंगे कि रवीश कुमार सो काॅल्ड अच्छा बंदा है बल्कि तभी देखेंगे जब इसमें दम होगा । देखने की रोचकता होगी । सत्यमेव जयते देखने के लिए बेचैन हूं । इसे चलना चाहिए । टीवी का भला होगा और कमाई भी । फिर जल्दी ही आप चिरकुट भौकालेंकरों से मुक्त हो जायेंंगे । देखिये प्राइमटाइम अजय देवगन के साथ । आमिर को शुभकामनायें ।
Ajit Anjum
स्टार प्लस पर सत्यमेव जयते देख रहा हूं ....जिंदगी लाइव की ऋचा अनिरुद्ध की याद आ रही है ....कंसेप्ट के लेवल पर बहुत कुछ मिलता जुलता ...एंकर , गेस्ट से लेकर दर्शकों को रोते देख रहा हूं ...इमोशनल और शॉकिंग मोमेंट ....कोख में बेटियों के कत्ल की दास्तां ....
आमिर चाहते तो वो भी दस का दम वाला पॉपुलर फार्मेट चुन सकते थे ...चाहते तो गेम शो कर सकते थे ...लेकिन आमिर ने ऐसा शो करने का फैसला किया है ..इसलिए वो बधाई के पात्र हैं ...अब ये शो हिट हो या न हो ( तथाकथित रेटिंग के पैमाने पर ) मैं अपनी राय नहीं बदलूंगा ......सत्यमेव जयते बहुतों को अच्छा लगा होगा ...बहुतों तो चलताऊ ...बहुतों को ऐवैं ....कुछ साथियों ने मेरे स्टेटस के जवाब में ये भी लिखा है कि इसे रेटिंग नहीं मिलेगी ...... न मिले ..लेकिन क्या उसके आधार पर आप मान लेंगे कि ऐसे शो की जरुरत नहीं ...तो फिर क्या सिर्फ लोग दस का दम या नच बलिए या नाच गाने वाला ही शो देखना चाहते हैं ...अगर यही सच है कि तो फिर क्यों कहते हैं कि कोई चैनल गंभीर मुद्दों को उठाने वाला शो नहीं बनाता ....मैं तो स्टार इंडिया के सीईओ उदय शंकर को भी इसके लिए बधाई देता हूं ..जिन्होंने हर हफ्ते चार करोड़ ( शायद ) खर्च करने ये जोखिम लिया है ...चाहते तो इससे आसान रास्ता पकड़ सकते थे ...दस का दम या नच के दिखा जा या फिर कोई गेम शो बना सकते थे ...लेकिन सत्यमेव जयते बनाया ...ये एंटरटेनमेंट चैनल का सरोकारी चेहरा है ...
सत्यमेव जयते जैसे शो के लिए आमिर को सलाम ....ऐसे शो की जरुरत थी ... कम से कम ऐसे लोग तो शर्मिंदा हों जो बेटियां को दुनिया में आने से पहले मार देते हैं ...कोख में कत्ल करते हैं क्योंकि उन्हें बेटा चाहिए ....और हां , ऐसे काम सासु माएं ज्यादा करती हैं और करवाती है ...जो खुद भी एक मां होती है ...औरतों की कंडिशनिंग ऐसी होती है कि जब वो बहु होती तो उसकी भूमिका अलग होती है ..बेटी होती है तो अलग होती है और सास होती है तो अलग होती है ...हमने बचपन से अपने आस पास ऐसे माहौल को देखा है , जहां बेटा चाहिए ..बेटा ही होना चाहिए ..बेटी से वंश कैसे चलेगा ..जैसे गूंजते सवालों के बीच गर्भ में बच्चा पलता है .....
पहले तो लोग कहते हैं कि चैनलों पर कोई गंभीर कार्यक्रम नहीं होते ...समाज को झकझोरने वाले मुद्दों पर शो नहीं बनते ..चैनलों पर सरोकार वाले शो नहीं दिखते ...जब बनते हैं तो कहते हैं बहुत घिसा -पिटा था ...नया क्या है ..बहुत गरिष्ठ है ...अपच है ..बहुत गंभीर है ...इतना बोझिल शो इंटरटेनमेंट पर कोई क्यों देखेगा ...अरे भाई साहब , भ्रूण हत्या से जुड़े शो में आप दस का दम या केबीसी का मजा क्यों तलाश रहे हैं ...ये तो वही बात हुई न कि पी साईनाथ के लेख में रागदरबारी या पेज थ्री का मजा खोज रहे हैं ...तो फिर हिन्दू नहीं , दिल्ली टाइम्स ही पढ़िए न ....
Shivam Misra
"सत्यमेव जयते" मे आज अमीर खान ने एक बेहद जरूरी मुद्दे को अपनी आवाज़ दी है ... एक सार्थक प्रस्तुति जो हमारे समाज के एक बेहद दुखद और घिनोने रूप को सामने लाती है|
यह कैसी हवस है ... कैसी चाहत है 'कुल दीपक' पाने की जो हर साल लगभग दस लाख बेटियों की हत्या कर रही है ... उनके पैदा होने से पहले ही ????
मैं अमीर खान और उनकी पूरी टीम को इस सार्थक प्रयास के लिए साधुवाद देता हूँ !
समय आ गया है जब हमे मिल कर अपनी खुद की और समाज की यह घिनोनी सोच बदलनी होगी !
बेटियों की हत्या बंद करनी ही होगी !
Sachin khare
मित्रों,
मैं नहीं जानता आमिर खान को किन्तु मैं बस एक बात जानता हूं उन 100 डाक्टरों को जेल में होना चाहिये और उनकी दुकान बंद होनीं चाहिये जिन्हें #Satyamevjayate की उस डाक्यूंमेंट्री में दिखाया गया है..
यदी आपके पास उनके नाम और अन्य जानकारियां हैं तो साझा कीजिये.. उन्हें उनके अंजाम तक अब हम पहुंचायेंगे.. कानूंन को जो करना है करता रहे किन्तु तबतक उनकी दुकान बंद करनीं ही होगी..
इस विचार को फेसबुक पर अपनें तरीके से फैला दीजिये.. छोड़ना नहीं है इन कसाइयों को..
वन्दे मातरम..
अजय कुमार झा
आज भांड बन चुके टीवी चैनलों और जोकर बन चुके समाचार चैनलों की चौबीस घंटों की बकर से , अलग तो निश्चित रूप से लगा "सत्यमेव जयते " । मुद्दा - कन्या भ्रूण हत्या ..समस्या , पीडित , विशेषज्ञों , खबरनवीसों , आरोपियों से सीधे बात करने के साथ बहुत सारा दृश्य फ़िल्मांकन भी ..और आखिर में कम से कम एक प्रयास भी ..,,मुझे तो प्रभावित किया , इस कार्यक्रम ने, लेकिन बहुत से अन्य पहलू भी हैं अभी इस मुद्दे से जुडे हुए ..... जल्दी ही लिखूंगा
नई दुनिया के संपादक Jaideep Karnik
आमिर खान ने बता दिया की आज देश को सपने दिखाने की बजाय सच दिखाकर जगाना जरूरी है!
Srijan Shilpi
आमिर खान ने जो पहल की है, देश के मानस को जगाने की, अपने दौर की सबसे अहम समस्याओं को समझने और उनका हल तलाशने की वह न सिर्फ काबिलेतारीफ है, बल्कि उसमें हम सब का सहयोग अपेक्षित है। एक कलाकार वह करके दिखाने जा रहा है, जो वास्तव में लोकतंत्र के चारों स्तंभों को मिलकर बहुत पहले कर लेना चाहिए था, पर वे विफल रहे। आमिर की पहल सफल हो.....सार्थक हो!
@Ravish Kumar NDTV
जितना दर्शकत्व को समझा है उससे यही जाना है कि बड़ा ही निष्ठूर तत्व है । सत्यमेव जयते इसलिए नहीं देखेगा कि आमिर ने बनाया है या इरादा नेक है। ग़रीबी दूर करने का एक ही जादू , दूरदृष्टि पक्का इरादा जैसे स्लोगनों की हालत देख चुका है । हाँ अगर बात में दम है, कहने के तरीके में दम है तो वह सिर आँखों पर लेगा । आमिर ने एक बड़ी चुनौती उठाई है और हमें दी भी है । मैं देख नहीं सका हूं । प्रतिक्रियाओं में आए उतार चढ़ाव के आधार पर कह रहा हूं । एक ही नाकामी समझ आ रही है । लोग आमिर के बारे में ज़्यादा बातें कर रहे हैं, कन्या भ्रूण हत्या के बारे में कम । अगर यही हकीकत है तो सत्यमेव जयते फेल । दिल पे लगेगी तभी बात बनेगी । दिल पे आमिर को नहीं लगाना था, मुद्दे को लगना था । वर्ना ग्रामीण मंत्रालय के तहत आने वाले तमाम मुद्दों के ब्रांड एंबेसडर की तरह बनकर रह जायेंगे । उम्मीद तो यही है कि सत्यमेव जयते सफल हो । पैसे की दरिद्रता का रोना रोने वाले नूझ पैनलों के दौर में आमिर के नाम पर करोड़ों रुपये लगाने का इरादा एक नई उम्मीद है । बेहतर कंटेंट पर मार हो तो लड़ाई जमेगी वर्ना इसलिए लोग प्राइमटाइम नहीं देखेंगे कि रवीश कुमार सो काॅल्ड अच्छा बंदा है बल्कि तभी देखेंगे जब इसमें दम होगा । देखने की रोचकता होगी । सत्यमेव जयते देखने के लिए बेचैन हूं । इसे चलना चाहिए । टीवी का भला होगा और कमाई भी । फिर जल्दी ही आप चिरकुट भौकालेंकरों से मुक्त हो जायेंंगे । देखिये प्राइमटाइम अजय देवगन के साथ । आमिर को शुभकामनायें ।
शुक्रिया कुलवंत जी । सच कहा आपने कि अब बहुत जरूरी हो गया है कि मुद्दों पर भी कुछ कहा जाए , अगर हम कहीं भीतर से ज़िंदा हैं तो
जवाब देंहटाएंबहुत बहुत आभार आपका !
जवाब देंहटाएंइस पोस्ट के लिए आपका बहुत बहुत आभार - आपकी पोस्ट को शामिल किया गया है 'ब्लॉग बुलेटिन' पर - पधारें - और डालें एक नज़र - लीजिये पेश है एक फटफटिया ब्लॉग बुलेटिन
हटाएंamir has done very good work .congrs
जवाब देंहटाएंsatyamevjayte pe aaj ke episod main jo topic tha vastav main vastav main bahut hi sochaniye vishay tha ish topic pe amir khan ji ne ish show ke madhyam se logo ke dil ki baat jani aur logo ka jo sandesh diya woh bahut hi sarahniye hai.
जवाब देंहटाएंish tarah ke live show hum tahe dil se abhinandan karte hai. ho sakta hai ish prakar ke show ke madhyam se hi hamari janta ki ankhe kule.
जवाब देंहटाएंशो तो नही देखा मगर लगता है अब देखना पडेगा क्योंकि सब तरफ़ इसी का डंका आज बज रहा है ………अगर कार्यक्रम के माध्यम से समाज मे जागरुकता आ जाये तो ऐसे कार्यक्रम जल्द ही और भी बनेंगे मगर मुझे उम्मीद नही दिखती क्योंकि सभी जोर शोर से मुद्दे तो उठाते हैं मगर कुछ दिन बाद ही टी आर पी के चक्कर मे फ़ंस जाते हैं बालिका वधू , ना आना इस देस लाडो जैसे सीरियल भी इसी का उदाहरण हैं पहली बार समाजिक मुद्दे पर लाइव बात होना बेशक अलग कांसेप्ट है बस जरूरत है कि उस मुद्दे पर पकड बने ना की आमिर पर तभी उसका होना सार्थक होगा।
जवाब देंहटाएंहिन्दुस्तान की कुछ अनैतिक सामाजिक व्यवस्थाओं में तब्दिली की बेबाक और घमासान क्रांति की शुभ शुरुआत हैं यह कार्यक्रम...!
जवाब देंहटाएंविशाल मिश्रा, इंदौर
जवाब देंहटाएंआज देश में बदलाव की जरूरत है। पहले भी थी, आज भी है और आगे भी रहेगी। लेकिन बदलाव किस दिशा में यदि आप अपने दिल की बात नहीं सुन सकते तो जिनको चाहते हैं दिल से चाहते हैं उनकी सुनें। इस दिशा में बूंद-बूंद होने वाले प्रयासों से घड़ा जरूर भर जाएगा, पूरी तरह रोक लगाना आसान होगी अनेक सामाजिक समस्याओं पर।
आमिर खान, अमिताभ बच्चन, सचिन तेंडुलकर या हमारे चहेते पर्दों पर समाचार पत्रों के माध्यम से ऐसा कुछ नहीं बताते जो हमारी जानकारी में नहीं हो। कूट-कूटकर भरा है, प्रत्येक के दिलोदिमाग में। इसका एक-एक बिंदु हरेक शिक्षित यहाँ तक कि अपढ़ आदमी के अंतर भी पूरी तरह से स्पष्ट है। केवल टीवी पर देखकर हीरो के साथ रो देने भर से क्या कुछ बदलाव आएगा। हजारों-लाखों कथा प्रेमी भक्त, प्रति वर्ष अपने-अपने क्षेत्रों में होने वाले कथा प्रसंगों, नानी बाई का मायरा आदि देखते समय भावविभोर वश धार-धार रोने लगते हैं लेकिन उनकी बातें कितने समय तक इन लोगों के अंदर रह पाती है और कितना वे पालन कर पाते हैं। केवल इस पर चिंतन, मनन करने की ही आवश्यकता है। टीवी, फिल्में देखकर लोगों के मन में व्यवस्था के प्रति उठता आक्रोश कितनी देर जेहन में बना रहता है और कितने उसके खिलाफ आवाज उठाते हैं सोचने की बात है।
'सत्यमेव जयते' सरीखे कार्यक्रमों से हर राज्य में 1-1 लाख लोग भी कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराधों से बचने की दिशा में कदम उठाते हैं तो उल्लेखनीय पहल होगी। भ्रूण हत्या के बारे में तो विडंबना ही कही जाएगी कि इसके लिए शिक्षित और धनाढ़ शिक्षित वर्ग के। उसे तो शायद आज भी परिवार नियोजन की तरह इसके उपायों का ध्यान न हो। उस पर गर्भ में कैंची चलवाने के बजाय वह ईश्वर की देन मानकर जैसे-तैसे उन्हें पालने का ही पक्षधर मिलेगा। भ्रष्टाचार करने वाला व्यक्ति कैसे अण्णा का साथ दे सकता है, भ्रष्टाचार मुक्ति की बात कैसे कर सकता है।
यहीं मेरा मानना है विशाल जी, जो आपने इन पंक्ितयों में कहा।
हटाएं'सत्यमेव जयते' सरीखे कार्यक्रमों से हर राज्य में 1-1 लाख लोग भी कन्या भ्रूण हत्या जैसे अपराधों से बचने की दिशा में कदम उठाते हैं तो उल्लेखनीय पहल होगी।
इतिहास दर्ज कराने में लाजवाब टीम "सत्यमेव जयते"
जवाब देंहटाएंप्रसिद्द अभिनेता आमिरखान के सक्रिय सहयोग से उनकी लाजवाब टीम ने सत्यमेव जयते को देश वासियों के दिलों दिमाग में उतरने की कोशिश की है | कन्या बचाव से लेकर दहेज इत्यादि महिला उत्पीडन मामले भी पूरी रोचकता से महिला समाज का आत्म विश्वाश मजबूत कर रहे हैं |अब तो हमारी संसद ने पूरी निष्ठा से सत्यमेव जयते का रास्ट्रीय सम्मान कर बिल पास कर कानून में खास जगह दी है | महिला उत्थान में जमाने से राजनेतिक छवि की खास पहचान बनाने वाली केंद्रीय मंत्री क्रष्णा तीर्थ जी का प्रयास महिला हक में पूरा निष्कर्ष सामने नजर आया है की दबी कुचली महिला चालबाज बाजों के पंजे में अब और उत्पीडन नही सहेंगी |सत्यमेव जयते ने सालों से जनसेवा का व्रत पाले मानवीय हक की लड़ाई में गेर सरकारी संगठनो का आत्म सम्मान बड़ाने के साथ साथं उनका होंसला मजबूत किया है यह खास है |वे और भी शसक्त विश्वाश से लब लबा लब होकर मजलूमों तक मदद के हाथ बड़ा सकेंगे |
सत्यमेव जयते का सार गांधीवादी परम्परा की तरह जीवित समाज से निकले खास मुद्दों पर जनसेवा व्रत रचनात्मक पक्ष बहु उद्देशीय विवाद रहित हरदिल अजीज है |पीड़ित की सही स्त्री पक्ष की आवाज को छुने में जो कोशलता दिखाई है वास्तव में वह झकझोरता है की अहिंसा का पाठ ऐसे आंदोलनों से जन समस्या समाधान के रास्ते बनाने की कोशिश जनता को दिखनी चाहिए ताकि वह खुले मन से निर्भय होकर बिना किसी पर कीचड़ उछाले परमार्थ भाव से जनहित में हाथ बटा सके | अतीत में १९६३ में ऐसा ही आन्दोलन तत्कालीन ग्रह मंत्री भारत रत्न गुलजारीलाल नंदा जी ने सदाचार जागरण को लेकर भारत सेवकों को आगे लाकर चलाया था |सत्यमेव जयते ने एक बार फिर भारत रत्न नंदा के सपने को जीवित कर भारतीय महिला समाज को बराबरी के दर्जे में आ खड़ा होने के लिए बाधाओं को हटाने में मदद की है ,हम ही नही पूरा विश्व कुटुंब अब सत्यमेव जयते कहता दिखाई देगा | श्रीमती राजश्री ठाकुर ,सचिव गुलजारीलाल नंदा फाउंडेशन , शिक्षा समाज कार्य एवं अनुसन्धान केंद्र,बी- 118 - गणपति प्लाज़ा भिवाड़ी 301019 राज .9716853573
लौट आओ "सत्यमेव जयते "
जवाब देंहटाएंप्रसिद्द अभिनेता आमिर खान ने सहयोगियों की पहल से सत्यमेव जयते में काफी रुचिगत मुद्दों को उठाया .सरकार ने भी कई योजनाओं को लोक आवाज को मान्य किया योजनाये बनी .
आज फिर विवाद मुक्त मुद्दों को लेकर "सत्यमेव जयते "देश को चाहिए ..
निवेदक -के आर अरुण -गुलजारीलाल नंदा फाउंडेशन (जी एन ऍफ़ )
mob.0-8607282727-0-9314673696 email..gnf2012@gmail.com