आमसूत्र कहता है; मिलन उतना ही मीठा होता है
आमसूत्र कहता है कि लालच को जितना पकने दो, मिलन उतना ही मीठा होता है। सबर करो सबर करो, और बरसने दो अम्बर को। गहरे पर सुनहरे रंग तैरने दो, बहक यह महकने दो, क्यूंकि सबर का फल मीठा होता है, मीठे रसीले आमों से बना मैंगो स्लाइस, आपसे मिलने को बेसबर है। आम का मौसम है। बात आम की न होगी तो किसकी होगी। मगर अफसोस के आम की बात नहीं होती। संसद में भी बात होती है तो खास की। आम आदमी की बात कौन करता है। अब जब उंगलियां 22 साल पुरानी इमानदारी पर उठ रही हैं तो लाजमी है कि खास जज्बाती तो होगा ही, क्यूंकि आखिर वह भी तो आदमी है, भले ही आम नहीं। जी हां, पी चिदंबरम। जो कह रहे हैं शक मत करो, खंजर खोप दो। वो कहते हैं बार बार मत बहस करो। कसाब को गोली मार दो। आखिर इतने चिढ़चिढ़े कैसे हो गए चिदंबरम। चिदंबरम ऐसे बर्ताव कर रहे हैं, जैसे निरंतर काम पर जाने के बाद आम आदमी करने लगता है। वो ही घसीटी पिट राहें। वो ही गलियां। वो ही चेहरे। वो ही रूम। वो ही कानों में गूंजती आवाजें। लगता है चिदंबरम को हॉलीडे पैकेज देने का वक्त आ गया।
शायद मेरा सुझाव वैसा ही जैसा, दिलीप कुमार को देवदास रिलीज होने के बाद कुछ डॉक्टरों ने दिया था, अब आप थोड़ी कॉमेडी फिल्में करें अन्यथा आपको मानसिक विकार हो जाएंगे। मुझे भी लगता है कि अगर चिदंबरम को कांग्रेस ने थोड़ी सी राहत न दी तो उनको भी कुछ ऐसा ही हो सकता है, क्यूंकि अब वो जज्बाती होने लगे हैं। जब आदमी जज्बाती होता है तो छोटी छोटी बातें भी दिल को लगने लगती हैं। वो बात खास हो या आम हो। आम से याद आया, हमने बात आम से शुरू की थी। फिर क्यूं न आम पर ही लौटा जाए।
जो पंक्ितयां मैंने शुरूआत में लिखी, वह पंक्ितयां पाकिस्तानियों को स्लाइस बेचने के लिए शीतल पेय बनाने वाली कंपनी इस्तेमाल कर रही है। इस विज्ञापन को देखने के बाद एक बात दिमाग में खटकने लगी। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान कभी एक हुआ करते थे। दोनों के बीच केवल एक लाइन का तो फासला है। मगर दोनों देशों में प्रसारित होने वाले एक ही कंपनी के विज्ञापन में इतना बड़ा फासला कैसे?
भारत में जब स्लाइस बिकता है तो बड़े ग्लेमर के साथ बेचा जाता है, मगर जब वो ही पाकिस्तान में बेचने की बारी आती है तो शब्दों का जाल बुना। ऐसा क्यूं। वहां पर कैटरीना कैफ की कत्ल अदाओं से ज्यादा आम पर फॉकस किया जाता है। आमसूत्र क्या कहता है, यह बताया जाता है। दर्शकों को बंधने के लिए शब्दों का मोह जाल बुना जाता है। मगर जब इंडियन स्क्रीन होती है तो कैटरीना कैफ कत्ल अदाओं से हमले करते हुए हाथ में स्लाइस लेकर जीन्स टी शर्ट पहने एंटरी मारती है। अपने होंठों से, स्टाइल से, चाल से, बैठने के ढंग से, कपड़ों से, इशारों से विज्ञापन में भी कामुकता पैदा करने की कोशिश की जाती है।
भारत और पाकिस्तान में कितना बड़ा अंतर है। इस बात की पुष्टि करता है यह मैंगो स्लाइस का विज्ञापन। भारत में आजादी के नाम पर किस तरह ग्लेमर परोसा जाता है। यह तो हम सब जानते हैं। मगर पाकिस्तान में डर के कारण कितना संजीदा रहना पड़ता है, इस विज्ञापन से ही समझा जा सकता है।
शायद मेरा सुझाव वैसा ही जैसा, दिलीप कुमार को देवदास रिलीज होने के बाद कुछ डॉक्टरों ने दिया था, अब आप थोड़ी कॉमेडी फिल्में करें अन्यथा आपको मानसिक विकार हो जाएंगे। मुझे भी लगता है कि अगर चिदंबरम को कांग्रेस ने थोड़ी सी राहत न दी तो उनको भी कुछ ऐसा ही हो सकता है, क्यूंकि अब वो जज्बाती होने लगे हैं। जब आदमी जज्बाती होता है तो छोटी छोटी बातें भी दिल को लगने लगती हैं। वो बात खास हो या आम हो। आम से याद आया, हमने बात आम से शुरू की थी। फिर क्यूं न आम पर ही लौटा जाए।
जो पंक्ितयां मैंने शुरूआत में लिखी, वह पंक्ितयां पाकिस्तानियों को स्लाइस बेचने के लिए शीतल पेय बनाने वाली कंपनी इस्तेमाल कर रही है। इस विज्ञापन को देखने के बाद एक बात दिमाग में खटकने लगी। हिन्दुस्तान और पाकिस्तान कभी एक हुआ करते थे। दोनों के बीच केवल एक लाइन का तो फासला है। मगर दोनों देशों में प्रसारित होने वाले एक ही कंपनी के विज्ञापन में इतना बड़ा फासला कैसे?
भारत में जब स्लाइस बिकता है तो बड़े ग्लेमर के साथ बेचा जाता है, मगर जब वो ही पाकिस्तान में बेचने की बारी आती है तो शब्दों का जाल बुना। ऐसा क्यूं। वहां पर कैटरीना कैफ की कत्ल अदाओं से ज्यादा आम पर फॉकस किया जाता है। आमसूत्र क्या कहता है, यह बताया जाता है। दर्शकों को बंधने के लिए शब्दों का मोह जाल बुना जाता है। मगर जब इंडियन स्क्रीन होती है तो कैटरीना कैफ कत्ल अदाओं से हमले करते हुए हाथ में स्लाइस लेकर जीन्स टी शर्ट पहने एंटरी मारती है। अपने होंठों से, स्टाइल से, चाल से, बैठने के ढंग से, कपड़ों से, इशारों से विज्ञापन में भी कामुकता पैदा करने की कोशिश की जाती है।
भारत और पाकिस्तान में कितना बड़ा अंतर है। इस बात की पुष्टि करता है यह मैंगो स्लाइस का विज्ञापन। भारत में आजादी के नाम पर किस तरह ग्लेमर परोसा जाता है। यह तो हम सब जानते हैं। मगर पाकिस्तान में डर के कारण कितना संजीदा रहना पड़ता है, इस विज्ञापन से ही समझा जा सकता है।
सबर की भी एक हद होती है | ज्यादा देर करने पर पका हुआ मीठा आम - डाली पर लगे लगे ढीला - पिलपिला हो जायेगा - बेमज़ा हो जायेगा | @Anand G. Sharma
जवाब देंहटाएंsundar aur sarthak post
जवाब देंहटाएंहा हा हा हा हा पिलपिला आम ...जय हो कुलवंत भाई , सुसरे का पूरा मैंगो शेक बना डाला आपने ।
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