हैप्‍पी अभिनंदन में सोनल रस्‍तोगी


जुलाई 2009 की कड़कती दोपहर में ''कुछ कहानियां कुछ नज्‍में'' नामक ब्‍लॉग बनाकर गुड़गांव की सोनल रास्‍तोगी ने छोटी सी कविता 'नम आसमान' से ब्‍लॉग जगत में कदम रखा। तब शायद सोनल ने सोचा भी न होगा कि ब्‍लॉग दुनिया में उसकी रचनाओं को इतना प्‍यार मिलेगा। आज हजारों कमेंट्स, सैंकड़े अनुसरणकर्ता, सोनल की रचनाओं को मिल रहे स्‍नेह की गवाही भर रहे हैं। सोनल की हर कविता दिल को छूकर गुजर जाती है, चाहे वो सवाल पूछ रही हो, चाहे प्‍यार मुहब्‍बत के रंग में भीग रही हो, चाहे मर्द जात की सोच पर कटाक्ष कर रही हो। सोनल की कलम से निकली लघु कथाएं और कहानियां भी पाठकों को खूब भाती हैं। आज हैप्‍पी अभिनंदन में हमारे साथ उपस्‍िथत हुई हैं ''कुछ कहानियां कुछ नज्‍में'' की सोनल रस्‍तोगी, जो मेरे सवालों के जवाब देते हुए आप से होंगी रूबरू। तो आओ मिले ब्‍लॉग दुनिया की इस बेहतरीन व संजीदा ब्‍लॉगर शख्‍सियत से।

कुलवंत हैप्‍पी- मैंने आपका ब्‍लॉग प्रोफाइल देखा। वहां मुझे कुछ नहीं मिला, तो फेसबुक पर पहुंच गया। वहां आपने कुछ लिखा है। मैं कौन हूँ ? इसका जवाब जब मिल जाएगा तब अगला सवाल पूछूंगी। क्‍या आपको इसका जवाब अभी तक नहीं मिला। अगर मिल जाए तो अगला सवाल क्‍या होगा?

सोनल रस्‍तोगी-मुझे खुद से सवाल करने का शौक है, हर घटना पर हर मौके पर मैं खुद से बात करती हूँ, हर पात्र के ज़हन में उतरती हूँ, कभी कभी इसी जद्दोजहद में खुद को भूल जाती हूँ, मेरे होने का उद्देश्य कुछ साफ़ तो हुआ है.. अगला सवाल मेरे अस्तित्व की सार्थकता से जुड़ा होगा।

कुलवंत हैप्‍पी - जुलाई 2009 की चीखती दोपहर में आपने 'कुछ कहानियां, कुछ नज्‍में' ब्‍लॉग बनाकर 'नम आसमान' से ब्‍लॉग जगत दस्‍तक दी। अब उस बात को चार साल होने जा रहे हैं। इस दरमियान ब्‍लॉग जगत में गुटबाजी एवं बहुत कुछ हुआ। कभी आप ब्‍लॉग विवादों से परेशान हूं या इसका शिकार?

सोनल रस्‍तोगी - चार साल के छोटे से समय में मुझे एक नई दुनिया दिखाई दी जिसे लोग आभासी दुनिया कहते हैं, पर ये आभासी नहीं है, मुझे यहाँ बहुत से वास्तविक हमखयाल दोस्त मिले, ढेर सारा पढ़ने को और सीखने को भी, रही बात विवादों की तो उनसे बस एक तकलीफ होती है...लोगों की ऊर्जा सृजन की बजाय ..विवादों को हवा देने में व्यर्थ चली जाती है और हम जैसे पाठक अच्छी पोस्टों की प्रतीक्षा करते हैं, अगर कुछ लंबा विवाद चल गया तो, ब्लॉगजगत से ब्रेक लेकर कोई किताब उठा लेते हैं और इंतज़ार करते है सब सामान्य होने का।

कुलवंत हैप्‍पी- मैं जब आपका ब्‍लॉग पढ़ रहा था। वहां हर रचना एक से बेहतर एक थी। मगर प्रतिक्रियाओं में बहुत बड़ा फर्क नजर आया। कुछ अच्‍छी पोस्‍टें भी कम कमेंट्स से गुजारा कर रही थी। क्‍या आप केमेंट्स के आधार पर पोस्‍ट का स्‍तर तय करती हैं या इसके बारे में आपका कोई अपना मापदंड है?

सोनल रस्‍तोगी - तारीफ का शुक्रिया, मेरी रचनाएं ब्लॉग बनने के बाद मेरी डायरी से निकल कर वेब पर आ गई, कमेंट्स प्रोत्साहित तो करते हैं पर उनकी संख्या ज्यादा मायने नहीं रखती, अगर एक भी कमेन्ट ऐसा मिल गया जिसने रचना की आत्मा को समझ लिया बस दिल को संतुष्टि मिल जाती है, मेरी पोस्ट मेरे दिल से मेरी कल्पनाओं से जन्मी होती है, वो तो बस मेरी अभिव्यक्ति है ...जो मुझे सुकून देती है ...स्तर आप लोग तय करें [:-)]

कुलवंत हैप्‍पी- ''हर दिल की तमन्ना होती है, की उसको कोई प्यार करे''। कुछ याद आया सोनल जी। यह आपकी ही एक रचना की एक पंक्‍ित है, जो आपको कटहरे में खड़ा कर पूछ रही है, प्‍यार के बारे में आपकी वैसी ही राय है जैसी आपकी कलम से निकलती है या फिर फर्क है।

सोनल रस्‍तोगी- जो अहमियत रसगुल्ले में रस की होती है, वही मेरी लेखनी और ज़िन्दगी में प्यार की है, प्यार के बिना कोई भावना जन्म ही नहीं लेती दर्द, दुःख, जलन, क्षोभ, मुस्कराहट, सब कहीं न कहीं प्यार से जुड़े हैं, और सच ही तो है अगर नहीं तो आप ही बताइए ऐसा कौन सा दिल है जो प्यार नहीं चाहता। आपने शायद मेरी रचना "मोहब्बत मोहब्बत दिन रात मैं लिखूंगी" नहीं पढ़ी, वैसे भी मेरी आधे से ज्यादा रचनाएं प्यार पर ही है, प्रेम की गायिका हूँ मैं।

कुलवंत हैप्‍पी - आपके प्रोफाइल पर चंद लाइनों के सिवाय कुछ नहीं मिला, इसलिए ब्‍लॉग जगत यह जानना चाहता है कि आप ब्‍लॉगिंग के अलावा असल जिन्‍दगी में और किन किन जिम्‍मेदारियों को अपने कंधों पर उठाकर चल रही हैं?

सोनल रस्‍तोगी - मैं फर्रुखाबाद में जन्मी, माँ से पढ़ने का शौक मिला, स्कूल में लेखन को प्रोत्साहन, विवाह के बाद गुडगाँव आई, बस दिन में जॉब और फुर्सत के पलों में लेखन। मैं चाहती हूँ के ब्लॉग जगत मुझे मेरे लेखन से जाने बस मैं भी अपनी कहानी की तरह "रहस्यमयी" रहना चाहती हूँ।

कुलवंत हैप्‍पी - ब्‍लॉग जगत पर जब भी कविताएं पढ़ने निकलता हूं तो कवित्रियों के ब्‍लॉग पर जाता हूं, मुझे लगता है कि कवियों से बेहतर होती है कवित्रियां, आपका इस बारे में क्‍या विचार है?

सोनल रस्‍तोगी - कवि या कवियत्री मुझे कभी फर्क नहीं दिखा, उत्कृष्ट रचनाएं बस उत्कृष्ट रचनाएं होती हैं जो अपने पाठक का मन मोह लेती हैं कविता हो या कहानी, हर व्यक्ति की कविता कहने की विशेष शैली होती है, भावनाओं की पकड़ होती है जो आपको बाँध लेती है।

कुलवंत हैप्‍पी - ब्‍लॉग जगत को आप अभिव्‍यक्‍ित का एक बेहतर माध्‍यम मानती हैं या नहीं ?

सोनल रस्‍तोगी- ब्लॉगजगत ने डायरी के पन्नो में छुपी रचनाओं को आकाश सा विस्तार दिया है ना केवल अभिव्यक्ति बल्कि रचनाओं की समीक्षा, सुधार और प्रशंसा के अवसर दिए हैं और इससे मिलने वाला आत्मविश्वास आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है, ब्लॉगजगत ने हमें वो करने का मौक़ा दिया है जो हम हमेशा से करना चाहते थे पर अपनी व्यस्तताओं के चलते नहीं कर पा रहे थे।

कुलवंत हैप्‍पी - आपकी जिन्‍दगी का कोई ऐसा लम्‍हा हम से सांझा करें, जो कुछ सीख देता हो, जो थोड़े में बहुत कुछ कहता हो।

सोनल रस्‍तोगी - ज़िन्दगी के ऐसे कई अनमोल लम्हों की पोटली मेरी माँ ने मुझे सौंपी है एक बार मुझे कहीं से एक जासूसी उपन्यास मिल गया, मैंने उसे पढ़ना शुरू किया थोडा अश्लील था मेरी माँ ने वो मुझसे माँगा और समझाया "अच्छा पढ़ोगी तो अच्छा सोचोगी, अच्छा सोचोगी तो अच्छा बोलोगी और अच्छा ही लिखोगी, आपकी भाषा और आपका व्यवहार और आपकी सोच पारिवारिक माहौल के साथ आप क्या पढ़ते है इसपर निर्भर करता है।

कुलवंत हैप्‍पी - कुछ दिन पहले वंदना की एक कविता को लेकर ब्‍लॉग जगत में हो हल्‍ला हो गया था। कुछ वैसी ही आपकी कविता है ''देह से परे''। जब महिलाएं प्‍यार मोहब्‍बत की कविताएं लिखती हैं तो वाह वाह लेकिन जब वह मर्दों की सोच पर कटाक्ष करने लगती हैं तो हो हल्‍ला क्‍यूं होने लगता है, इस बारे में आप क्‍या कहती हैं?

सोनल रस्‍तोगी - अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को है, किसी विषय पर हर व्यक्ति स्वतंत्र है अपने विचार रखने के लिए, अगर आपको नापसंद है या आपके विचारों से मेल नहीं खाते तो मत पढ़िए, टी वी, सिनेमा हर जगह यही बात लागू होती है चाहे "डर्टी पिक्चर" हो या "लज्जा " अगर कोई अपनी बात कहने के लिए स्वतंत्र है तो आप उसे ना देखने या ना पढ़ने के लिए भी स्वतंत्र हैं।

कुलवंत हैप्‍पी - ब्‍लॉग जगत के नाम एक संदेश, जो आप देना चाहें।
सोनल रस्‍तोगी - हम सभी को एक सांझा मंच मिला है सार्थक लिखने और पढ़ने के लिए, छोटे बड़े शहरों और घटनाओ को वहीं के बाशिंदों की आँखों से देखने और जानने के लिए। हमारे उद्देश्य और सरोकार बहुत बड़े है, अभी तो शुरूआत है।

सोनल रस्‍तोगी जी आपका बहुत बहुत शुक्रिया, जो आप ने अपने कीमती समय से समय निकालकर हम से बातचीत की।

टिप्पणियाँ

  1. बहुत बढ़िया साक्षात्कार !
    सुन्दर सवालों के खूबसूरत जवाब
    दोनों का आभार !

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  2. happy sahab aap bade acche kam kr rehe ho ek acchi shaksiyat se rubru karwaya

    आखिर असली जरुरतमंद कौन है

    भगवन जो खा नही सकते या वो जिनके पास खाने को नही है

    एक नज़र हमारे ब्लॉग पर भी

    http://blondmedia.blogspot.in/2012/05/blog-post_16.html

    जवाब देंहटाएं
  3. sonal jee ko main nahi jaanta hoon lekin aapse itni acchi jaankari unke baare me mili ..is mahasamudra me unhe dhundhong aaur nischit roop se padhunga bhee..aapke shandaar sawal aaur sonal jee ke utne hee anusasit aaur sateek jabab..sadar badhayee

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही बढिया रहा ये साक्षात्‍कार ..

    प्रश्‍न तैयार करने में आपका जबाब नहीं ..

    सोनल जी के जबाब भी उतने ही सुंदर ढंग के ..

    आप दोनो को बधाई !!

    जवाब देंहटाएं
  5. परिचय की इस श्रृंखला में सोनल जी के बारे में जानने का अवसर मिला ...आभार सहित शुभकामनाएं ।

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  6. सोनल जी की रचनाएं यत्र तत्र ब्‍लॉग के अतिरिक्‍त भी पढ़ता रहता हूं।

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  7. बहुत बहुत शुक्रिया

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  8. वाह बहुत खूब रही मुलाक़ात ... जय हो !

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  9. सोनल के ब्लोग्स हमेशा ही पढ़ती रही हूँ. उसकी गहन अभिव्यक्ति मन को छूती है. उससे मिल भी चुकी हूँ.और यहाँ उसके जबाब भी उसके व्यक्तित्व की ही तरह सरल और प्यारे हैं.
    आभार आपका एक खूबसूरत शख्शियत से रू ब रू कराने का.

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  10. प्रोफाइल में भले ही रहस्यमयी हैं ,मगर साक्षात्कार काफी सुलझा हुआ लगा .
    अच्छा लगा सोनल जी से मिलना !

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  11. बहुत ही बढिया साक्षात्‍कार ....!

    जवाब देंहटाएं
  12. आपकी पोस्ट 17/5/2012 के चर्चा मंच पर प्रस्तुत की गई है
    कृपया पधारें

    चर्चा - 882:चर्चाकार-दिलबाग विर्क

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  13. साक्षात्कार के माध्यम से सोनल जी से मिलवाना काफी अच्छा लगा आभार

    जवाब देंहटाएं
  14. बहुत ही बेहतरीन रचना....
    मेरे ब्लॉग

    विचार बोध
    पर आपका हार्दिक स्वागत है।

    जवाब देंहटाएं
  15. साक्षात्कार के प्रश्न बहुत सही हैं और जवाब सटीक

    जवाब देंहटाएं
  16. अच्छा साक्षात्कार है! लेकिन सोनल से और भी तमाम सवाल पूछे जा सकते हैं। जैसे कि वे इतनी खुराफ़ातें कैसे सोचती हैं। सोचने के बाद उनको मासूमियत के मेक-अप में पेश कैसे करती हैं। आदि-इत्यादि।

    तथाकथित बोल्ड मुद्दों पर भी सोनल ने कई पोस्टें लिखी हैं लेकिन उनमें बोल्डनेस का हल्ला नहीं है। वहां बोल्डनेड, शरारत और कहने की अनूठा अन्दाज विनजिप्ड है। :)

    जवाब देंहटाएं

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