पांच सितारा फिल्‍म, विधा की रहस्‍यमयी कहानी

फिल्‍में तीन चीजों से चलती है, वो तीन चीजें हैं इंटरटेन्‍मेंट इंटरटेन्‍मेंट इंटरटेन्‍मेंट, भले विधा बालन ने इस संवाद को एकता कपूर की छत्र छाया में बनी फिल्‍म द डर्टी पिक्‍चर में कहा हो, लेकिन असल में विधा भी जानती है कि फिल्‍म में तीन चीजों से चलती हैं, बोले तो शॉलिड कहानी, मजबूत निर्देशन एवं जर्बदस्‍त अभिनय, और विधा की कहानी में तीनों चीजें एक से बढ़कर एक हैं। नीरज पांडे की ए वेडनेसडे फिल्‍म की तरह, कहानी का अंतिम पड़ाव दर्शकों को यह बात भुला देता है कि वह कुछ पलों बाद सिनेमा हाल छोड़ने वाले हैं।

निर्देशक संजोय घोष फिल्‍म बनाते समय किसी कदर अपने काम में डूबे होंगे, फिल्‍म की कसावट देखने के बाद कोई भी व्‍यक्‍ित बड़ी आसानी से समझ सकता है। उन्‍होंने निर्देशन में, और विधा एवं अन्‍य अभिनेताओं ने अभिनय ने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी।

श्री घोष कहीं भी जल्‍दबाजी करते हुए नजर नहीं आते, बल्‍कि वह धीरे धीरे कदम दर कदम फिल्‍म को आगे बढ़ाते हुए अंत को इतना यादगार बनाते हैं कि दर्शक सिनेमा हाल से बाहर निकालते हुए तारीफ करने से चूक नहीं सकते, उन्‍होंने फिल्‍म को एक रहस्‍यमयी नॉबेल की तरफ ही बनाया, इस फिल्‍म की कहानी जितनी जोरदार है, उतनी जोरदार फिल्‍म की संवाद शैली है, जो दर्शकों को अपने से अलग नहीं होने देती।

अगर आप कहानी फिल्‍म का आनंद लेना चाहते हैं, तो फिल्‍म देखने से पहले फिल्‍म की कहानी मत सुनिए।

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