जी हां, सठिया गए केजरीवाल
@अरविंद केजरीवाल ने संसद को लिखे जवाबी पत्र में कहा, मैं संसद की इज्जत करता हूं, लेकिन दागी सांसदों की नहीं, उनका यह जवाब सुनने के बाद बिहार को कई साल पिछले धकेल देने वाले लालू प्रसाद यादव कहते हैं, केजरीवाल सठिया गए हैं। मुझे नहीं लगता कि लालू मियां कुछ गलत कह रहे हैं, क्योंकि जब तक कोई हिन्दुस्तानी सठिएगा नहीं तो परिवर्तन आएगा नहीं, जब सिंहम में बाजीरॉव सिंहम सठियाता है तो जयकंद शिकरे के पसीने छूटते हैं। वहीं फिल्म ए वेडनेसडे में जब आदमी की सटकती है तो पुलिस कमिश्नर से लेकर पुलिस मंत्रालय तक पसीने से तर ब तर होता है। पता नहीं, पिछले दिनों किसकी सटकी कि पूरे देश के मंत्रियों को बौखलाहट के दौरे पड़ने शुरू हो गए, अभी तक पसीने छूट रहे हैं, अंदर खाते एक दूसरे को बचाने के लिए सुरक्षा कवच तैयार किए जा रहे हैं। कितनी हैरानी की बात है कि उंगली सरकार पर उठी, लेकिन सेनाध्यक्ष के खिलाफ आवाजें बाहर से बुलंद हुई, क्यों कि नेताओं को पता है कि अगर आग पड़ोस में लगती है तो आंच उनके घर तक भी आएगी।
@लालू प्रसाद यादव, अभी तक तो कुठ पढ़े लिखे व्यक्ितयों की सटकी है, और नेताओं के पसीने छूटने शुरू हो गए, लेकिन जब हर हिन्दुस्तानी की सटकेगी तो नेताओं का हश्र क्या होगा अंदाजा लगाना जरा मुश्किल सा लग रहा है। वो दूर नहीं, जब हर हिन्दुस्तानी की सटकेगी, क्योंकि घरों में बैठकर टीवी देखने वाले दिल से निकली आवाजों को सुनते हैं, जुबां से नहीं, क्योंकि जुबां को पलटते हुए देर नहीं लगती। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं, मिस्र की क्रांति की, जो गत साल वहां घटित हुई। वहां पर भी 26 वर्षीय 'आसमा महफूज़' की सटकी थी, और उसने फेसबुक पर आकर इतना कहा था, मेरा मरना तय है, तो क्यूं न अपने देश के लिए मर जाउं, उसके बाद जो मिस्र के लोगों की सटकी, उसका पता तो पूरे विश्व को है, यहां तो अन्ना हजारे से लेकर केजरीवाल तक कई सिरफिरे घूम रहे हैं, सच कहूं तो इस गुलशन में फूल कम कांटें ज्यादा हैं, लालू प्रसाद यादव जी थोड़ा पल्लू संभालकर चलें।
चलते चलते एक और बात कहना चाहता हूं, जैसे कि आपने सेनाध्यक्ष वीके सिंह के बारे में आपने कहा था कि वह फर्स्टेड है, और उसके बाद प्राइम टाइम एडटीवी इंडिया में पहुंचे एक व्यक्ित ने कहा था कि वीके सिंह, चटटान पर तब तक सिर पटकेंगे, जब तलक वह चकना चूर न हो जाए, इस बात पर गौर फरमाने लायक है। जिसने यह शब्द कहें, वह वीके सिंह नहीं था, लेकिन उसके शब्द बताते थे कि वह वीके सिंह से बेहद प्रभावित है, तो हो सकता है कि कल को आपको हर चौराहे पर केजरीवाल, वीके सिंह या उनके हमशकल मिले, जरा बचकर मोड़ से।
@लालू प्रसाद यादव, अभी तक तो कुठ पढ़े लिखे व्यक्ितयों की सटकी है, और नेताओं के पसीने छूटने शुरू हो गए, लेकिन जब हर हिन्दुस्तानी की सटकेगी तो नेताओं का हश्र क्या होगा अंदाजा लगाना जरा मुश्किल सा लग रहा है। वो दूर नहीं, जब हर हिन्दुस्तानी की सटकेगी, क्योंकि घरों में बैठकर टीवी देखने वाले दिल से निकली आवाजों को सुनते हैं, जुबां से नहीं, क्योंकि जुबां को पलटते हुए देर नहीं लगती। मैं आपको याद दिलाना चाहता हूं, मिस्र की क्रांति की, जो गत साल वहां घटित हुई। वहां पर भी 26 वर्षीय 'आसमा महफूज़' की सटकी थी, और उसने फेसबुक पर आकर इतना कहा था, मेरा मरना तय है, तो क्यूं न अपने देश के लिए मर जाउं, उसके बाद जो मिस्र के लोगों की सटकी, उसका पता तो पूरे विश्व को है, यहां तो अन्ना हजारे से लेकर केजरीवाल तक कई सिरफिरे घूम रहे हैं, सच कहूं तो इस गुलशन में फूल कम कांटें ज्यादा हैं, लालू प्रसाद यादव जी थोड़ा पल्लू संभालकर चलें।
चलते चलते एक और बात कहना चाहता हूं, जैसे कि आपने सेनाध्यक्ष वीके सिंह के बारे में आपने कहा था कि वह फर्स्टेड है, और उसके बाद प्राइम टाइम एडटीवी इंडिया में पहुंचे एक व्यक्ित ने कहा था कि वीके सिंह, चटटान पर तब तक सिर पटकेंगे, जब तलक वह चकना चूर न हो जाए, इस बात पर गौर फरमाने लायक है। जिसने यह शब्द कहें, वह वीके सिंह नहीं था, लेकिन उसके शब्द बताते थे कि वह वीके सिंह से बेहद प्रभावित है, तो हो सकता है कि कल को आपको हर चौराहे पर केजरीवाल, वीके सिंह या उनके हमशकल मिले, जरा बचकर मोड़ से।
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