संदेश

फ‍िल्‍म जगत लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पांच सितारा फिल्‍म, विधा की रहस्‍यमयी कहानी

फिल्‍में तीन चीजों से चलती है, वो तीन चीजें हैं इंटरटेन्‍मेंट इंटरटेन्‍मेंट इंटरटेन्‍मेंट, भले विधा बालन ने इस संवाद को एकता कपूर की छत्र छाया में बनी फिल्‍म द डर्टी पिक्‍चर में कहा हो, लेकिन असल में विधा भी जानती है कि फिल्‍म में तीन चीजों से चलती हैं, बोले तो शॉलिड कहानी, मजबूत निर्देशन एवं जर्बदस्‍त अभिनय, और विधा की कहानी में तीनों चीजें एक से बढ़कर एक हैं। नीरज पांडे की ए वेडनेसडे फिल्‍म की तरह, कहानी का अंतिम पड़ाव दर्शकों को यह बात भुला देता है कि वह कुछ पलों बाद सिनेमा हाल छोड़ने वाले हैं। निर्देशक संजोय घोष फिल्‍म बनाते समय किसी कदर अपने काम में डूबे होंगे, फिल्‍म की कसावट देखने के बाद कोई भी व्‍यक्‍ित बड़ी आसानी से समझ सकता है। उन्‍होंने निर्देशन में, और विधा एवं अन्‍य अभिनेताओं ने अभिनय ने में कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी। श्री घोष कहीं भी जल्‍दबाजी करते हुए नजर नहीं आते, बल्‍कि वह धीरे धीरे कदम दर कदम फिल्‍म को आगे बढ़ाते हुए अंत को इतना यादगार बनाते हैं कि दर्शक सिनेमा हाल से बाहर निकालते हुए तारीफ करने से चूक नहीं सकते, उन्‍होंने फिल्‍म को एक रहस्‍यमयी नॉबेल की तरफ ही बना

पति से त्रसद महिलाएं न जाएं सात खून माफ

चित्र
सात खून माफ फ‍िल्‍म से पूर्व मैंने फ‍िल्‍म निर्देशक विशाल भारद्वाज की शायद अब तक कोई फ‍िल्‍म नहीं देखी, लेकिन फ‍िल्‍म समीक्षकों की समीक्षाएं अक्‍सर पढ़ी हैं, जो विशाल भारद्वाज की पीठ थपथपाती हुई ही मिली हैं। इस वजह से सात खून माफ देखने की उत्‍सुकता बनी, लेकिन मुझे इसमें कुछ खास बात नजर नहीं आई, कोई शक नहीं कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ‍िल्‍म ने बॉक्‍स आफि‍स पर अच्‍छी कमाई की, फि‍ल्‍म कमाई करती भी क्‍यों न, आख‍िर सेक्‍स भरपूर फ‍िल्‍म जो ठहरी, ऐसी फ‍िल्‍म कोई घर लाकर कॉमन रूम में बैठकर देखने की बजाय सिनेमा घर जाकर देखना पसंद करेगा। मेरी दृष्टि से तो फ‍िल्‍म पूरी तरह निराश करती है, मैंने समाचार पत्रों में रस्‍किन बांड को पढ़ा है, और उनका फैन भी बन गया, मुझे नहीं लगता उनकी कहानी इतनी बोर करती होगी। कुछ फ‍िल्‍म समीक्षक लिख रहे हैं कि फ‍िल्‍म बेहतरीन है, लेकिन कौन से पक्ष से बेहतरीन है, अभिनय के पक्ष से, अगर वो हां कहते हैं तो मैं कहता हूं एक कलाकार का नाम बताए, जिसको अभिनय करने का मौका मिला।  अगर निर्देशन पक्ष की बात की जाए, जिसके कारण फ‍िल्‍म की सफलता का श्रेय विशाल भारद्वाज को जाता है, ल