शशि थरूर से सीखे, सुर्खियाँ बटोरने के ट्रिक
अखबारों की सुर्खियों में कैसे रहा जाता है आमिर खान या किसी हॉलीवुड हस्ती से बेहतर विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर जानते हैं। यकीन न आता हो, तो पिछले कई महीनों का हिसाब किताब खोलकर देखें, तो पता चलेगा कि शशि थरूर भी राखी सावंत की तरह बिना किसी बात के सुर्खियाँ बटोरने में माहिर हैं।
लोगों को कहते सुना होगा कि अगर भगवान मेहरबान तो गधा भी पहलवान। मगर अब मुझे लगता है कि हिन्दुस्तान के वासियों को इस कहावत से छेड़छाड़ करनी होगी। अगर समय के साथ एकल पर्दा सिनेमाहाल बदलकर मल्टीप्लेक्स हो सकते हैं तो एक कहावत में छेड़छाड़ क्यों नहीं हो सकती। मेरे हिसाब से अब इस कहावत को कुछ तरह कहा जाना चाहिए, अगर हिन्दुस्तानी इलेक्ट्रोनिक मीडिया मेहरबान, तो गधा भी पहलवान। हिन्दुस्तानी मीडिया रातोरात आपको एक बड़ी हस्ती बना सकता, लेकिन उसके लिए आपको मीडिया से नजदीकियाँ बनाकर रखनी होंगी। वहाँ कुछ अपने बंदे फिट करने होंगे, वैसे भी अब मीडिया एक बाजार बन गया है, बाजार की किसी भी दुकान में अपना एक बंदा आराम से फिट करवाया जा सकता है। बस फिर क्या आप इधर छींक मारेंगे, और उधर ख़बर बनेगी। हिन्दुस्तानी जनता को मीडिया की देन बहुत सी हस्तियाँ है, जिनका असल जिन्दगी में तो कोई ज्यादा महत्व तो नहीं, लेकिन मीडिया की बदौलत वो हिन्दुस्तान के हर घर में आराम से घर कर चुकी हैं। ऐसी हस्तियों में शामिल हैं राखी सावंत, राहुल महाजन, मुम्बई का राज ठाकरे, मुम्बई का सामना और शशि थरूर।
इन्होंने असल जिन्दगी में ऐसा कोई तीर नहीं मारा कि इतिहास इनको याद रखे, या फिर समाज इनको लेकर कुछ सोच सके, बस इन्होंने इधर छींका नहीं कि उधर, ख़बर तैयार। ये लोग मीडिया के आदी तो थे ही, लेकिन अब मीडिया इन का आदी हो गया। पंजाब में एक फैशन चला हुआ है, पंजाबी म्यूजिक चैनलों को पैसा खिलाओ, मतलब एड दो और अपने गाने बजाओ। दो दो सेंकिंड बाद बजाओ, बेसुरा गाने वाला भी स्टार हो जाएगा। बार बार दोहराई गई बातें, आपके दिमाग की हर्ड डिस्क से चिपक जाती हैं, उनको जल्दी से मिटाया नहीं जा सकता। यकीन न आए तो एक बार करके देखें, आप एक बंद कमरे में एक बात को हजार बार दोहराएं, जब आप उस कमरे को छोड़कर सड़क पर भी आओगे तो वो बात आपके साथ साथ चली आएगी। इस बात की तरह जब मीडिया एक झूठ को बार बार टीवी पर सत्य का लिबास पहनाकर दिखाता है तो वह झूठ होते हुए भी सच सा लगने लगता है।
मुझे याद कांग्रेस पार्टी वालों ने पिछले साल सितम्बर महीने के आस पास एक सादगी अभियान चलाया था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता विमान की इकनॉमी क्लास में सफर करने लगे थे। उस सादगी अभियान से ज्यादा चर्चाओं में कौन आया था पता है? नहीं चलो बताया ही देते हैं, हमारे चर्चित पर्सन शशि थरूर। इन्होंने इकनॉमी क्लास को मवेशियों की क्लास कह दिया था। अब यह तो राम ही जाने इन्होंने ऐसा खुद कहा था, या किसी ने ऐसा कहने के लिए इनको उकसाया था, ताकि वो चर्चाओं का केंद्र बन सके, और अखबारों की सुर्खियाँ सादगी अभियान छोड़कर शशि थरूर के नाम हो जाएं। इस विवाद के बाद उन्होंने माफी भी माँगी थी। थूक कर चाटना फौजी की तो नहीं, लेकिन एक नेता की फितरत तो हो ही सकती है।
इस विवाद के बाद शशि थरूर मीडिया के लिए वो वस्तु बन गए, जिससे कभी कभार एक ख़बर तो ईजाद की ही जा सकती है, मीडिया ने देखा शशि थरूर ट्विटर पर हैं, बस वहाँ उन्होंने कुछ लिखा नहीं कि इधर उसको ख़बर बना दिया। शशि थरूर ट्विटर पर आए नहीं कि मीडिया वाले अमिताभ बच्चन के ब्लॉग पर जाना ही भूल गए। नए लोगों के गले लगते ही पुराने अक्सर भूल जाते हैं। भैया यह तो जमाने का दस्तूर है, पर मेरा नहीं। इतना ही नहीं, शशि थरूर के चाहने वालों ने शशि थरूर को ट्विटर में शाहरुख खान से आगे दिखाया। शशि थरूर को क्या चाहिए, उनको पार्टी ने वो अधिकार तो दिया नहीं, जिससे वो मीडिया में रह सकें, ऐसे में शशि थरूर ने दूसरे शॉर्टकट निकाल लिए, हर बार कोई न कोई विवाद करो, बस टीवी वाले तैयार ही खड़े हैं।
इस महीने की 2 तारीख़ को शशि थरूर का एक बयान ‘‘हमारे समाज में कुछ तत्व हैं जिन्हें लोगों को नीचा दिखाने में मजा आता है'' अखबारों की सुर्खियाँ बना था। इतना ही नहीं उन्होंने यहाँ तक कहा था कि वह भारतीय राजनैतिक संस्कृति को बदलना चाहते हैं लेकिन दुर्भाग्य से वह चर्चाओं का स्वागत नहीं करती। उनके पास ऐसा करने के लिए पद या प्राधिकार या पृष्ठभूमि नहीं है’’। इसके कुछ दिन बाद एक और ख़बर आई, जिसमें लिखा हुआ था शशि थरूर करेंगे तीसरी शादी। इस ख़बर को पढ़ने के बाद लगा, सचमुच शशि थरूर भारतीय राजनैतिक संस्कृति के साथ साथ भारतीय संस्कृति को भी बदलने की ठान चुके हैं। सूत्रों की माने तो अब शशि थरूर का दिल एक कश्मीरी लड़की पर आया है, जिसका नाम सनंदा बताया जा रहा है, जो एक ब्यूटीशियन है। वैसे अभी उनका दूसरी पत्नि क्रिस्टा जाईल्स के साथ विवाद चल रहा है, जो कि निरस्त्रीकरण के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करती हैं। राजनीतिक संस्कृति बदलने के दावे करने वाले थरूर ने पहली शादी शिक्षाविद तिलोत्तमा मुखर्जी से की थी, जिसे वो कोलकाता में अपने स्कूल के दिनों से जानते थे।
यह मामले अभी सुर्खियाँ बटोर ही रहे थे कि शशि थरूर और ललित मोदी की ठन गई, यह ठनी है या ठनाठनी चर्चा के लिए प्रायोजित की गई है, इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। वैसे इस बार शशि थरूर के साथ साथ ललित मोदी, और आईपीएल को भी चर्चा में आने का मौका मिल गया। वैसे आईपीएल का जोश दिन प्रति दिन ठंडा पड़ता जा रहा है। ऐसे में फिर से गर्म करने के लिए कुछ तो होना चाहिए। अगर खेल में से पैसा निकालने के फंडे ललित मोदी के पास हैं, तो अखबारों की सुर्खियाँ बटोरने के तरीके शशि थरूर अच्छी तरह जानते हैं। अगर आपको पता न हो तो बता दूँ, शशि थरूर जिन ट्विटर खातों को फ्लो करते हैं, उनमें आईबीएन के पत्रकार राजदीप सरदेसाई और आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी के खाते भी शामिल हैं, वैसे शशि थरूर 32 खातों को फ्लो करते हैं, जबकि शशि थरूर को फ्लो करने वालों की संख्या हजारों में है। ललित मोदी के ट्विटर खाते को फ्लो करना, उनकी निकटता को दर्शा है। वरना ट्विटर पर तो और भी हिन्दुस्तानी हस्तियों के खाते हैं, लेकिन शशि थरूर की लिस्ट में उनके अपने खास रिश्तेदार, विदेश हाई प्रोफाईल लोग हैं, जिनमें हिन्दुस्तानी उक्त दो हस्तियाँ भी शामिल हैं।
लोगों को कहते सुना होगा कि अगर भगवान मेहरबान तो गधा भी पहलवान। मगर अब मुझे लगता है कि हिन्दुस्तान के वासियों को इस कहावत से छेड़छाड़ करनी होगी। अगर समय के साथ एकल पर्दा सिनेमाहाल बदलकर मल्टीप्लेक्स हो सकते हैं तो एक कहावत में छेड़छाड़ क्यों नहीं हो सकती। मेरे हिसाब से अब इस कहावत को कुछ तरह कहा जाना चाहिए, अगर हिन्दुस्तानी इलेक्ट्रोनिक मीडिया मेहरबान, तो गधा भी पहलवान। हिन्दुस्तानी मीडिया रातोरात आपको एक बड़ी हस्ती बना सकता, लेकिन उसके लिए आपको मीडिया से नजदीकियाँ बनाकर रखनी होंगी। वहाँ कुछ अपने बंदे फिट करने होंगे, वैसे भी अब मीडिया एक बाजार बन गया है, बाजार की किसी भी दुकान में अपना एक बंदा आराम से फिट करवाया जा सकता है। बस फिर क्या आप इधर छींक मारेंगे, और उधर ख़बर बनेगी। हिन्दुस्तानी जनता को मीडिया की देन बहुत सी हस्तियाँ है, जिनका असल जिन्दगी में तो कोई ज्यादा महत्व तो नहीं, लेकिन मीडिया की बदौलत वो हिन्दुस्तान के हर घर में आराम से घर कर चुकी हैं। ऐसी हस्तियों में शामिल हैं राखी सावंत, राहुल महाजन, मुम्बई का राज ठाकरे, मुम्बई का सामना और शशि थरूर।
इन्होंने असल जिन्दगी में ऐसा कोई तीर नहीं मारा कि इतिहास इनको याद रखे, या फिर समाज इनको लेकर कुछ सोच सके, बस इन्होंने इधर छींका नहीं कि उधर, ख़बर तैयार। ये लोग मीडिया के आदी तो थे ही, लेकिन अब मीडिया इन का आदी हो गया। पंजाब में एक फैशन चला हुआ है, पंजाबी म्यूजिक चैनलों को पैसा खिलाओ, मतलब एड दो और अपने गाने बजाओ। दो दो सेंकिंड बाद बजाओ, बेसुरा गाने वाला भी स्टार हो जाएगा। बार बार दोहराई गई बातें, आपके दिमाग की हर्ड डिस्क से चिपक जाती हैं, उनको जल्दी से मिटाया नहीं जा सकता। यकीन न आए तो एक बार करके देखें, आप एक बंद कमरे में एक बात को हजार बार दोहराएं, जब आप उस कमरे को छोड़कर सड़क पर भी आओगे तो वो बात आपके साथ साथ चली आएगी। इस बात की तरह जब मीडिया एक झूठ को बार बार टीवी पर सत्य का लिबास पहनाकर दिखाता है तो वह झूठ होते हुए भी सच सा लगने लगता है।
मुझे याद कांग्रेस पार्टी वालों ने पिछले साल सितम्बर महीने के आस पास एक सादगी अभियान चलाया था, जिसमें कांग्रेस पार्टी के सीनियर नेता विमान की इकनॉमी क्लास में सफर करने लगे थे। उस सादगी अभियान से ज्यादा चर्चाओं में कौन आया था पता है? नहीं चलो बताया ही देते हैं, हमारे चर्चित पर्सन शशि थरूर। इन्होंने इकनॉमी क्लास को मवेशियों की क्लास कह दिया था। अब यह तो राम ही जाने इन्होंने ऐसा खुद कहा था, या किसी ने ऐसा कहने के लिए इनको उकसाया था, ताकि वो चर्चाओं का केंद्र बन सके, और अखबारों की सुर्खियाँ सादगी अभियान छोड़कर शशि थरूर के नाम हो जाएं। इस विवाद के बाद उन्होंने माफी भी माँगी थी। थूक कर चाटना फौजी की तो नहीं, लेकिन एक नेता की फितरत तो हो ही सकती है।
इस विवाद के बाद शशि थरूर मीडिया के लिए वो वस्तु बन गए, जिससे कभी कभार एक ख़बर तो ईजाद की ही जा सकती है, मीडिया ने देखा शशि थरूर ट्विटर पर हैं, बस वहाँ उन्होंने कुछ लिखा नहीं कि इधर उसको ख़बर बना दिया। शशि थरूर ट्विटर पर आए नहीं कि मीडिया वाले अमिताभ बच्चन के ब्लॉग पर जाना ही भूल गए। नए लोगों के गले लगते ही पुराने अक्सर भूल जाते हैं। भैया यह तो जमाने का दस्तूर है, पर मेरा नहीं। इतना ही नहीं, शशि थरूर के चाहने वालों ने शशि थरूर को ट्विटर में शाहरुख खान से आगे दिखाया। शशि थरूर को क्या चाहिए, उनको पार्टी ने वो अधिकार तो दिया नहीं, जिससे वो मीडिया में रह सकें, ऐसे में शशि थरूर ने दूसरे शॉर्टकट निकाल लिए, हर बार कोई न कोई विवाद करो, बस टीवी वाले तैयार ही खड़े हैं।
इस महीने की 2 तारीख़ को शशि थरूर का एक बयान ‘‘हमारे समाज में कुछ तत्व हैं जिन्हें लोगों को नीचा दिखाने में मजा आता है'' अखबारों की सुर्खियाँ बना था। इतना ही नहीं उन्होंने यहाँ तक कहा था कि वह भारतीय राजनैतिक संस्कृति को बदलना चाहते हैं लेकिन दुर्भाग्य से वह चर्चाओं का स्वागत नहीं करती। उनके पास ऐसा करने के लिए पद या प्राधिकार या पृष्ठभूमि नहीं है’’। इसके कुछ दिन बाद एक और ख़बर आई, जिसमें लिखा हुआ था शशि थरूर करेंगे तीसरी शादी। इस ख़बर को पढ़ने के बाद लगा, सचमुच शशि थरूर भारतीय राजनैतिक संस्कृति के साथ साथ भारतीय संस्कृति को भी बदलने की ठान चुके हैं। सूत्रों की माने तो अब शशि थरूर का दिल एक कश्मीरी लड़की पर आया है, जिसका नाम सनंदा बताया जा रहा है, जो एक ब्यूटीशियन है। वैसे अभी उनका दूसरी पत्नि क्रिस्टा जाईल्स के साथ विवाद चल रहा है, जो कि निरस्त्रीकरण के मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र के साथ काम करती हैं। राजनीतिक संस्कृति बदलने के दावे करने वाले थरूर ने पहली शादी शिक्षाविद तिलोत्तमा मुखर्जी से की थी, जिसे वो कोलकाता में अपने स्कूल के दिनों से जानते थे।
यह मामले अभी सुर्खियाँ बटोर ही रहे थे कि शशि थरूर और ललित मोदी की ठन गई, यह ठनी है या ठनाठनी चर्चा के लिए प्रायोजित की गई है, इस बारे में कुछ भी कहना मुश्किल है। वैसे इस बार शशि थरूर के साथ साथ ललित मोदी, और आईपीएल को भी चर्चा में आने का मौका मिल गया। वैसे आईपीएल का जोश दिन प्रति दिन ठंडा पड़ता जा रहा है। ऐसे में फिर से गर्म करने के लिए कुछ तो होना चाहिए। अगर खेल में से पैसा निकालने के फंडे ललित मोदी के पास हैं, तो अखबारों की सुर्खियाँ बटोरने के तरीके शशि थरूर अच्छी तरह जानते हैं। अगर आपको पता न हो तो बता दूँ, शशि थरूर जिन ट्विटर खातों को फ्लो करते हैं, उनमें आईबीएन के पत्रकार राजदीप सरदेसाई और आईपीएल कमिश्नर ललित मोदी के खाते भी शामिल हैं, वैसे शशि थरूर 32 खातों को फ्लो करते हैं, जबकि शशि थरूर को फ्लो करने वालों की संख्या हजारों में है। ललित मोदी के ट्विटर खाते को फ्लो करना, उनकी निकटता को दर्शा है। वरना ट्विटर पर तो और भी हिन्दुस्तानी हस्तियों के खाते हैं, लेकिन शशि थरूर की लिस्ट में उनके अपने खास रिश्तेदार, विदेश हाई प्रोफाईल लोग हैं, जिनमें हिन्दुस्तानी उक्त दो हस्तियाँ भी शामिल हैं।
आभार
वाकई. सीखने लायक तो है.
जवाब देंहटाएंएकदम स्टीक...
जवाब देंहटाएंथोड़ी सी चर्चा और मीडिया अगर दोनों मिल जाए तो बस एक आम आदमी को स्टार बना दे..शशि जी वैसे भी पहले से जाने पहचाने वाले है.....मीडिया की जय
जवाब देंहटाएंsymbiotic relationship इसी को कहते हैं।
जवाब देंहटाएंआभार।
nice
जवाब देंहटाएंवाकई. सीखने लायक तो है.
जवाब देंहटाएंji bilkul!sikhenge,sikhna bhi chaahiye....!samay ki maang hai ji.
जवाब देंहटाएंkunwar ji,
अपने बिलकुल ठीक कहा कि मिडिया एक बाज़ार बन गया है और हमारे ही कुछ साथी 'दलाल' इन्हें या तो अपनी टी.आर.पी से मतलब है या फिर अपने धंधे से मतलब रखने वाले लोगों से । समाज के प्रति अपने दायतव को ये लोग
जवाब देंहटाएंपूर्णतया भुला चुके हैं। देश और मानवता से इन्हें कोई सरोकार नहीं रह गया। एक चीज़ जो सबसे खतरनाक है वह आप लिखना भूल गए। वह है इनकी राष्ट्र विरोधी 'छद्म-सेकुलर' सोच.
श्री एलआर गांधी..वो आपने पूरी कर दी। इसको कहते हैं, पूर्णता। मार्गदर्शित करना। धन्यवाद जी।
जवाब देंहटाएंआपकी बातों से सहमत हैं।
जवाब देंहटाएंआखिरकार आईपीएल की पिच पर शशि थरूर का विकेट गिर ही गया....
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