लफ्जों की धूल-5



(1)
कुलवंत हैप्पी
अगर हिन्दु हो तो कृष्ण राम की कसम
मुस्लिम हो तो मोहम्मद कुरान की कसम
घरों को लौट आओ, हर सवाल का जवाब आएगा
हैप्पी हथियारों से नहीं, विचारों से इंकलाब आएगा

(2)
नजरें चुराते हैं यहाँ से, वहीं क्यों टकराव होता है
चोट अक्सर वहीं लगती है हैप्पी यहाँ घाव होता है।

(3)
तू तू मैं मैं की लड़ाई कब तक
दो दिलों में ये जुदाई कब तक
खुशी को गले लगा हैप्पी
पल्लू में रखेगा तन्हाई कब तक

(4)
जैसे साहिर के बाद हर अमृता,
एक इमरोज ढूँढती है
वैसे ही मौत हैप्पी का पता
हर रोज ढूँढती है

टिप्पणियाँ

  1. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

    जवाब देंहटाएं
  2. हैप्पी हथियारों से नहीं, विचारों से इंकलाब आएगा


    -बहुत सही...


    हर रचना-एक से बढ़कर एक.

    जवाब देंहटाएं
  3. अपनी रचनाओं से हैप्पी कर देते हैं कुलवंत जी...

    जवाब देंहटाएं
  4. जैसे साहिर के बाद हर अमृता,
    एक इमरोज ढूँढती है
    वैसे ही मौत हैप्पी का पता
    हर रोज ढूँढती है

    ये क्या कह रहे हो भाई?
    जरा विचार करो।

    जवाब देंहटाएं
  5. हथियारों से नहीं, विचारों से इंकलाब आएगा....ati sundar bhaav

    जवाब देंहटाएं
  6. जैसे साहिर के बाद हर अमृता,
    एक इमरोज ढूँढती है
    वैसे ही मौत हैप्पी का पता
    हर रोज ढूँढती है

    wow


    bahut sundar rachna h

    nadhai aap ko iske liye

    जवाब देंहटाएं
  7. हथियारों से नहीं, विचारों से इंकलाब आएगा

    bahut accha kaha

    जवाब देंहटाएं
  8. नजरें चुराते हैं यहाँ से, वहीं क्यों टकराव होता है
    चोट अक्सर वहीं लगती है हैप्पी यहाँ घाव होता है।
    ...bahut khoob !!!

    जवाब देंहटाएं
  9. बड़ा हैप्पी कर दिया आपने तो

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

हार्दिक निवेदन। अगर आपको लगता है कि इस पोस्‍ट को किसी और के साथ सांझा किया जा सकता है, तो आप यह कदम अवश्‍य उठाएं। मैं आपका सदैव ऋणि रहूंगा। बहुत बहुत आभार।

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

महात्मा गांधी के एक श्लोक ''अहिंसा परमो धर्म'' ने देश नपुंसक बना दिया!

सदन में जो हुआ, उसे रमेश बिधूड़ी के बिगड़े बोल तक सीमित न करें

हैप्पी अभिनंदन में महफूज अली

हैप्पी अभिनंदन में संजय भास्कर

..जब भागा दौड़ी में की शादी

कपड़ों से फर्क पड़ता है

भारत की सबसे बड़ी दुश्मन