आपकी सफलता, आपकी क्षमता पर निर्भर है

उस कड़क की दोपहर में, गेहूं की कटाई के वक्‍त मेरे पिता ने मेरे एक सवाल पर, एक बात कही थी, जो मुझे आज बहुत ज्‍यादा प्रेरित करती है, और जिस बिजनस में मैं हूं उसको आगे बढ़ाने के लिए अहम योगदान अदा करती है। मैंने गेंहूं काटते हुए ऐसे पूछ लिया था, यह कितने समय में कट जाएगी, तो उन्‍होंने एक कहानी सुनाई। एक किसान था, कड़कती दोपहर में सड़क किनारे खेतों में काम कर रहा था, एक राह चलते राहगीर ने उससे पूछा कि फलां गांव कितनी दूर है, तो उसने जवाब दिया 25 मील। जवाब मिलते ही राहगीर ने दूसरा जवाब दाग दिया, मुझे पैदल चलते हुए वहां पहुंचने में कितना वक्‍त लगेगा ? राहगीर के इस सवाल पर किसान ने कोई उत्‍तर न दिया, और अपने काम में पूर्ण रूप से मस्‍त हो गया। राहीगर ने तीन दफा किसान से वही सवाल पूछा, मगर किसान ने कोई जवाब नहीं दिया। गुस्‍से में आगबगुला होकर राहगीर चल दिया, राहगीर कुछ दूर ही गया था, कि पीछे से आवाज आई कि बस इतना समय लगेगा। राहगीर मुड़कर बोला, पहले नहीं बोल सकते थे, तो किसान ने उत्‍तर दिया मुझे तुम्‍हारी रफतार का पता नहीं था। सच में जब तक आप अपनी प्रतिभा उजागर नहीं करोगे, तब तक कोई भला कैसे बता सकता है कि तुम जिन्‍दगी में कितने सफल हो सकते हो।

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