देना ‘बब्बर थाली’, वो ’12′ वाली
मुम्बई के बाहरी रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों को आगे बढ़ने से रोक दिया गया है, और साथ में कुछ उड़ानों को उतरने पर रोक लगा दी गई है। इसके अलावा मुम्बई के बॉर्डर को पूरी तरह सील कर दिया गया, ताकि अन्य क्षेत्र के लोग मुम्बईया सीमा के भीतर घुस न सकें, खासकर तब तक जब तक स्थिति सामान्य न हो जाए। स्थिति उस समय तनावपूर्ण हो गई, जब देश के एक राजनेता के एक बयान के बाद हर कोई ‘बब्बर थाली’ की तलाश में मुम्बई की तरफ निकल पड़ा।
मुम्बई के होटलों के बाहर हाउसफुल के बोर्ड लटकते हुए देखे गए। कहीं कहीं तो बब्बर थाली के लिए लोगों में हिंसक झड़प के समाचार भी मिले हैं। मुम्बई के हर होटल पर बब्बर थाली की मांग बढ़ रही है, हर किसी जुबान पर है ‘देना बब्बर थाली, वो ’12′ वाली। हालांकि ऐसी कोई थाली मुम्बई के जीरो स्टार ढाबे से लेकर फाइव स्टार होटल में कहीं भी नहीं उपलब्ध, ऐसा नहीं कि ग्राहकों की बढ़ी तादाद के कारण ऐसा हुआ, बल्कि ऐसी कोई थाली है ही नहीं।
दरअसल इस थाली की मांग ‘राजनेता’ राज बब्बर के बयान के बाद बढ़ी, जिसमें उन्होंने 12 रुपये में भर पेट खाना मिलने की बात कही थी। हालांकि बाद में राज बब्बर के करीबियों ने बताया कि एक दिन राज बब्बर दोपहर का खाना खाने के लिए मुम्बई के एक होटल में गए थे, वहां उन्होंने जम कर खाना खाया। जब बिल देने की बारी आई तो होटल के मालिक ने राज बब्बर से केवल 12 रुपये लिए, यह 12 रुपये खाने के नहीं, बल्कि शागुन के थे। वैसे तो शागुन में 11 रुपये दिए जाते हैं, लेकिन उस दिन राज साहिब के पास एक रुपया छूटा नहीं था, ऐसे में उन्होंने दो का सिक्का दिया और कहा, चलो एक रुपया टिप समझ कर रख लेना।
कुछ करीबियों का तो यह भी कहना है कि जब वे लंदन से मुम्बई शिवाजी टर्नीमल पर उतरे तो उनको काफी भूख लगी हुई थी। ऐसे में वे पास के किसी होटल में खाने के लिए गए। खाना खाने के बाद जब बिल देने की बारी आई तो जेब में राज बब्बर ने हाथ डाला, डॉलर निकले, होटल मालिक ने डॉलर देखकर कहा, जनाब केवल 12 दे दीजिए।
राज बब्बर खुश हो उठे वाह केवल 12 में इतना अच्छा खाना, दरअसल उनको याद ही नहीं रहा कि उन्होंने जो 12 का भुगतान किया, वे रुपये नहीं, बल्कि डॉलर थे। इस बातों को अभी कुछ दिन ही बीते थे कि अचानक राज बब्बर की नई कंपनी, यानि कि कांग्रेस ने घोषणा की कि गरीबों को सस्ता खाना उपलब्ध करवाने के लिए फूड सिक्यूरिटी बिल लाना अति जरूरी है। फूड सिक्यूरिटी बिल की बात राज बब्बर तक पहुंची तो उनको फूड से याद आया अपना पुराना अनुभव, वैसे भी लोग कहते हैं या तो आप बीती कहिए या जग बीती। ऐसे में राज बब्बर ने आप बीती कह डाली, लेकिन वे क्लीयर करना भूल गए कि मुम्बई में उन्होंने 12 रुपये का खाना कैसे और कब खाया था। दरअसल उपरोक्त कहानी, राज बब्बर के बयान सी है, जिसका जमीनी स्तर बिल्कुल नहीं, केवल ख्याली पुलाव टाइप है।
मगर राज बब्बर के इस बयान से हैरानी होती है कि जब टमाटर का रेट 60 से ऊपर चल रहा हो, जब एक किलो गोभी खरीदते वक्त सौ का नोट खप जाए, ऐसे में आप 12 रुपये में पेट भर खाने की बात स्थितियों का मजाक उड़ाने भर से अधिक नहीं हो सकता। वैसे ही इन दिनों कांग्रेस नेताओं को राहुल गांधी की बात समझ में नहीं आ रही, जिसको वे प्रधानमंत्री बनाने की बात कह रहे हैं। राहुल गांधी से याद आया, उनके एक प्रिय चाचा श्री हैं, जिनको लोग दिग्गी राजा के नाम से जानते हैं, वे मंदसौर में एक जनसभा को संबोधन कर रहे थे तो उन्होंने राहुल गांधी की अति करीबी को सौ टंच का माल कहकर बाजार में आग लगा दी। सबसे दिलचस्प बात तो यह थी कि यह शब्द खासकर तब एक फब्ती सा लगता है जब आप बात को चबकर कह रहे हों, जैसे कि दिग्गविजय सिंह ने अपने भाषण में कहा, वे तो राहुल गांधी और सोनिया गांधी का दिल जीत चुकी हैं। वे तो सबसे आगे हैं। वे हैं सौ टंच का माल, मैं तो पुराना जौहरी हूं।
यह बात किसी से नहीं छुपी कि राहुल गांधी के करीबियों में मीनाक्षी नटराजन का नाम आता है। लेकिन यह करीबियां कहां तक है, ये बात तो वे दोनों ही बता सकते हैं, लेकिन दिग्गी का बयान कुछ और संकेत कर रहा है। अगर मीडिया नरेंद्र मोदी के पिल्ले के पीछे के अर्थ ढूंढ़ सकता है तो दिग्गविजय सिंह तो बहुत गहरी बात कह गए। चलो जाने भी दो, हम तो निकले थे 12 रुपये वाली, बब्बर थाली लेने, लेकिन यह थाली मिलती कहां है, हमारे तो यहां दबेली, बड़ा पाव भी 15 रुपये में मिलता है, जो दो खाये बिन पेट नहीं भरता।
मुम्बई के होटलों के बाहर हाउसफुल के बोर्ड लटकते हुए देखे गए। कहीं कहीं तो बब्बर थाली के लिए लोगों में हिंसक झड़प के समाचार भी मिले हैं। मुम्बई के हर होटल पर बब्बर थाली की मांग बढ़ रही है, हर किसी जुबान पर है ‘देना बब्बर थाली, वो ’12′ वाली। हालांकि ऐसी कोई थाली मुम्बई के जीरो स्टार ढाबे से लेकर फाइव स्टार होटल में कहीं भी नहीं उपलब्ध, ऐसा नहीं कि ग्राहकों की बढ़ी तादाद के कारण ऐसा हुआ, बल्कि ऐसी कोई थाली है ही नहीं।
दरअसल इस थाली की मांग ‘राजनेता’ राज बब्बर के बयान के बाद बढ़ी, जिसमें उन्होंने 12 रुपये में भर पेट खाना मिलने की बात कही थी। हालांकि बाद में राज बब्बर के करीबियों ने बताया कि एक दिन राज बब्बर दोपहर का खाना खाने के लिए मुम्बई के एक होटल में गए थे, वहां उन्होंने जम कर खाना खाया। जब बिल देने की बारी आई तो होटल के मालिक ने राज बब्बर से केवल 12 रुपये लिए, यह 12 रुपये खाने के नहीं, बल्कि शागुन के थे। वैसे तो शागुन में 11 रुपये दिए जाते हैं, लेकिन उस दिन राज साहिब के पास एक रुपया छूटा नहीं था, ऐसे में उन्होंने दो का सिक्का दिया और कहा, चलो एक रुपया टिप समझ कर रख लेना।
कुछ करीबियों का तो यह भी कहना है कि जब वे लंदन से मुम्बई शिवाजी टर्नीमल पर उतरे तो उनको काफी भूख लगी हुई थी। ऐसे में वे पास के किसी होटल में खाने के लिए गए। खाना खाने के बाद जब बिल देने की बारी आई तो जेब में राज बब्बर ने हाथ डाला, डॉलर निकले, होटल मालिक ने डॉलर देखकर कहा, जनाब केवल 12 दे दीजिए।
राज बब्बर खुश हो उठे वाह केवल 12 में इतना अच्छा खाना, दरअसल उनको याद ही नहीं रहा कि उन्होंने जो 12 का भुगतान किया, वे रुपये नहीं, बल्कि डॉलर थे। इस बातों को अभी कुछ दिन ही बीते थे कि अचानक राज बब्बर की नई कंपनी, यानि कि कांग्रेस ने घोषणा की कि गरीबों को सस्ता खाना उपलब्ध करवाने के लिए फूड सिक्यूरिटी बिल लाना अति जरूरी है। फूड सिक्यूरिटी बिल की बात राज बब्बर तक पहुंची तो उनको फूड से याद आया अपना पुराना अनुभव, वैसे भी लोग कहते हैं या तो आप बीती कहिए या जग बीती। ऐसे में राज बब्बर ने आप बीती कह डाली, लेकिन वे क्लीयर करना भूल गए कि मुम्बई में उन्होंने 12 रुपये का खाना कैसे और कब खाया था। दरअसल उपरोक्त कहानी, राज बब्बर के बयान सी है, जिसका जमीनी स्तर बिल्कुल नहीं, केवल ख्याली पुलाव टाइप है।
मगर राज बब्बर के इस बयान से हैरानी होती है कि जब टमाटर का रेट 60 से ऊपर चल रहा हो, जब एक किलो गोभी खरीदते वक्त सौ का नोट खप जाए, ऐसे में आप 12 रुपये में पेट भर खाने की बात स्थितियों का मजाक उड़ाने भर से अधिक नहीं हो सकता। वैसे ही इन दिनों कांग्रेस नेताओं को राहुल गांधी की बात समझ में नहीं आ रही, जिसको वे प्रधानमंत्री बनाने की बात कह रहे हैं। राहुल गांधी से याद आया, उनके एक प्रिय चाचा श्री हैं, जिनको लोग दिग्गी राजा के नाम से जानते हैं, वे मंदसौर में एक जनसभा को संबोधन कर रहे थे तो उन्होंने राहुल गांधी की अति करीबी को सौ टंच का माल कहकर बाजार में आग लगा दी। सबसे दिलचस्प बात तो यह थी कि यह शब्द खासकर तब एक फब्ती सा लगता है जब आप बात को चबकर कह रहे हों, जैसे कि दिग्गविजय सिंह ने अपने भाषण में कहा, वे तो राहुल गांधी और सोनिया गांधी का दिल जीत चुकी हैं। वे तो सबसे आगे हैं। वे हैं सौ टंच का माल, मैं तो पुराना जौहरी हूं।
यह बात किसी से नहीं छुपी कि राहुल गांधी के करीबियों में मीनाक्षी नटराजन का नाम आता है। लेकिन यह करीबियां कहां तक है, ये बात तो वे दोनों ही बता सकते हैं, लेकिन दिग्गी का बयान कुछ और संकेत कर रहा है। अगर मीडिया नरेंद्र मोदी के पिल्ले के पीछे के अर्थ ढूंढ़ सकता है तो दिग्गविजय सिंह तो बहुत गहरी बात कह गए। चलो जाने भी दो, हम तो निकले थे 12 रुपये वाली, बब्बर थाली लेने, लेकिन यह थाली मिलती कहां है, हमारे तो यहां दबेली, बड़ा पाव भी 15 रुपये में मिलता है, जो दो खाये बिन पेट नहीं भरता।
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