भाजपा का खेल, टेस्ट मैच के अंतिम दिन सा
क्रिकेट के मैदान पर अक्सर जब दो टीमें होती हैं, खेलती हैं तो यकीनन
दोनों टीमें अपना बेहतर प्रदर्शन देने के लिए अपने स्तर पर हरसंभव कोशिश
करती हैं, ताकि नतीजे उनकी तरफ पलट जाएं, लेकिन भारतीय राजनीति की पिच पर
वैसा नजारा नहीं है। यहां तो केवल भारतीय जनता
पार्टी, जो एनडीए की सबसे बड़ी और अगुवाईकर्ता पार्टी है, खेल रही है,
पूरा ड्रामा रच रही है। अहम मुद्दों पर चर्चा कर पक्ष को हराने की बजाय
उसका पूरा ध्यान मैच के अंदर खलन पैदा कर सुर्खियां बटोरना है, वे एक
मजबूत विपक्ष की भूमिका निभाते हुए नजर नहीं आ रही, वे केवल एक राज्य के
विकास के दम पर राजनीति ब्रांड बना चुके चेहरे के इस्तेमाल पर सत्ता
हथियाना चाहती है। भाजपा का रवैया केवल उस टेस्ट टीम सा है, जो टेस्ट मैच
के अंतिम दिन समय बर्बाद करने के लिए हर प्रकार का हथकंड़ा अपनाती है।
भाजपा ने पहला ड्रामा रचा। जब राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक गोवा में
होनी थी। कुछ नेताओं ने वहां जाने से इंकार कर दिया, तो कुछ ने अनचाहे मन
से वहां जाना बेहतर समझा। ख़बरों में थी भाजपा, और विरोधी टीम के इक्का
दुक्का बयानबाज नेता। इस बैठक के साथ भाजपा को मीडिया सामान्य भाव से
लेता कि एलके आडवाणी ने इस्तीफे का पैंतरा चल दिया। मीडिया के अगले कुछ
दिन और उसकी भेंट चढ़ गए। अंत होते होते एलके आडवाणी अपने फैसले से पलटे,
किसी टीवी सीरियल के किरदार की तरह।
नरेंद्र मोदी की एलके आडवाणी से दूरियां, करीबियां चर्चा में बनीं रही।
इस दौरान किसी बेहतर प्रदर्शन कर रहे गेंदबाज की तरह नरेंद्र मोदी मीडिया
में स्पेस बनाते चले गए। कहते हैं कि जब वक्त अच्छा हो तो दूसरों की
गलतियां भी आपके उभार के लिए कारगार सिद्ध होती हैं, खास नरेंद्र मोदी के
मामले में कुछ ऐसा ही हुआ है। वे एक अच्छे मुख्यमंत्री हैं, कोई शक नहीं,
लेकिन क्या कांग्रेस के पास ऐसे मुख्यमंत्री नहीं, बिल्कुल हैं, लेकिन
उसके पास मीडिया में हौवा पैदा करने वाले नेता नहीं।
उसके नेता मीडिया में आने से डरते हैं, जो आते हैं, उनकी बोल चाल इतनी
खराब है कि उनके मुंह से निकले बोल भाजपा को कम कांग्रेस को ज्यादा नुकसान
पहुंचाते हैं। लादेन जी, आपदा पर्यटन या मौत का सौदागर जैसे शब्द भाजपा
की नहीं, बल्कि कांग्रेसी नेताओं की देन हैं, जो सोशल मीडिया में कांग्रेस
की खिल्ली उड़ाने के लिए काफी हैं।
वहीं, मीडिया नरेंद्र मोदी के बयानों पर ध्यान देने की बजाय उनके मुंह
से निकले शब्दों के पीछे की सोच को पकड़ने की कोशिश करता है, जो ख़बर की
शकल ले लेते हैं। बुर्के की जगह नरेंद्र मोदी शायद घुंघट भी कह सकते थे,
लेकिन नहीं, उन्होंने बुर्का कहा, बुर्का उस समुदाय से जुड़ा है, जिसका
नरेंद्र मोदी को सबसे कट्टर माना जाता है, भले ही नहीं, मोदी कहते हों कि
वे देश को एक साथ आगे बढ़ते हुए देखना चाहते हैं।
पिछले कई महीनों से चल रहे ड्रामे के आज वाले एपिसोड में नरेंद्र मोदी
को 19 टीमें और मिल गई, हालांकि भाजपा इस की घोषणा बीते हुए कल में कर सकती
थी, लेकिन उसने धारावाहिक की तरह, अपने फैसले पर रहस्य बनाए रखा, ताकि
कांग्रेस के खाते से एक दिन हो छीन लिया जाए। कुल मिलाकर भाजपा टेस्ट मैच
के अंतिम दिन वाली गेम खेल रही है, कैसे भी रहता वक्त गुजर जाए, और मैच
उनके खाते में पहुंच जाए।
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