बाल दिवस-विशेष कविता

आज के बच्चे
कल के नेता
स्कूलों की सफेद दीवारों पर
नीले अक्षरों में लिखा पढ़ा अक्सर।

लेकिन अभिभावकों से सुना अक्सर
बनेगा मेरा बेटा बड़ा डॉक्टर,
इंजीनियर, या फिर कोई ऑफिसर।

किसी ने नहीं जाना
क्या चाहते हो तुम,
और कौन सी प्रतिभा है तेरे अंदर।

कभी टीचर ने, कभी अभिभावकों ने
बस नचाया
जैसे मदारी नचाए कोई बंदर।

हूं तो हिन्दुस्तानी
बीच में पढ़ाई छुड़वाती
बोली इंग्लिश्तानी

क्योंकि हिन्दी नहीं,
पास होना है तो इंग्लिश जरूरी

इस लिए न चाहते है
उसको पढ़ना है अपनी मजबूरी

टिप्पणियाँ

  1. बाल मनोविज्ञान को अच्छे शब्द दिया है !!!!!!!!

    जवाब देंहटाएं
  2. हूं तो हिन्दुस्तानी
    बीच में पढ़ाई छुड़वाती
    बोली इंग्लिश्तानी

    क्योंकि हिन्दी नहीं,
    पास होना है तो इंग्लिश जरूरी

    इस लिए न चाहते है
    उसको पढ़ना है अपनी मजबूरी
    बिलकुल सही बात है। बाल दिवस तो सिर्फ मनाने के लिये है बालक क्या चाहता है ये कौन सुनता है। बहुत अच्छी रचना है बहुत बहुत आशीर्वाद्

    जवाब देंहटाएं

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