एंजेल्स एडं डिमोंस - एक रोचक फिल्म
अगर आप एक रहस्यमयी, एक्शन एवं गंभीर विषय की फिल्में देखना पसंद करते हैं या हॉलीवुड अभिनेता टॉम हंक्स की अदाकारी के कायल हैं तो आपके लिए 'दी दा विंची कोड' से विश्व प्रसिद्धी हासिल कर चुके डान ब्राउन के उपन्यास आधारित फिल्म 'एंजेल्स एंड डिमोंस' एक बेहतरीन हो सकती है, इस फिल्म का निर्देशन 'दी दा विंची कोड' बना चुके हॉलीवुड फिल्म निर्देशक रॉन होवर्ड ने किया है।
कहानी : फिल्म की कहानी ईसाई धर्म के आसपास घूमती है। रोम कैथोलिक चर्च के पोप की मृत्यु के बाद नए पोप के चुनाव के लिए रीति अनुसार समारोह आयोजित होता है। नया पोप बनने के लिए मैदान में चार उम्मीदवार होते हैं, जिनका अचानक समारोह से पहले ही अपहरण हो जाता है। उनका अपहरण ईसाई धर्म से धधकारे गए इल्यूमिनाटी समुदाय के लोग करते हैं, जो विज्ञान में विश्वास रखते हैं। इल्यूमिनाटी चेतावनी देते हैं कि चार धर्म गुरूओं की बलि चढ़ा दी जाएगी और वैटीकन सिटी को रोशनी निगल जाएगी, मतलब विशाल धमाका होगा, जिसे वैटीकन सिटी तबाह हो जाएगी। उन दुश्मनों तक पहुंचने के लिए चिन्ह विशेषज्ञ प्रो. रोबर्ट लैंगडन (टॉम हंक्स) को बुलाया जाता है। उसकी मदद के लिए अभियान में विक्टोरिया (अयेलीट यूर्र) भी शामिल हो जाती है, जो सीईआरएन की सदस्य है, जहां से इल्यूमिनाटी परमाणु कैमिकल चुराते हैं, वैटीकन सिटी को उड़ाने के लिए। प्रो.रोबर्ट एवं विक्टोरिया दोनों मिलकर सुरागों के सहारे आगे बढ़ते हुए दुश्मनों तक पहुंचते हैं, इस दौरान कई रहस्य खुलकर सामने आते हैं। जो कहानी में रोचकता बरकरार रखते हैं।
कुछ खास : टॉम हंक्स एवं अयेलीट यूर्र ने अपनी अपनी भूमिका को जानदार बनाने के लिए जी जान से काम किया है, वो उनके चेहरों पर आते भावों से ही बयां होता है। एक उपन्यास को फिल्म में ढाल पाना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन रॉन हावर्ड ने बहुत ही रोचक ढंग से इसको संभव कर दिखाया है। फिल्म की पटकथा में पूरी तरह कसावट है, कहीं भी फिल्म पकाऊ या बकवास नहीं लगती। फिल्म निरंतर अपनी रोचकता को लेकर आगे बढ़ती है। फिल्म की बैकराउंड में बजने वाला संगीत भी स्थितियों के बिल्कुल अनुकूल है। फिल्म के हर दृश्य को बहुत ही ध्यानपूर्वक फिल्माया गया है।
यादगर पल : जैसे कि प्रोफेसर का चिन्हों को देखकर इल्यूमिनाटी के इतिहास के बारे में बताना, दुश्मनों तक पहुंचने वाले संकेतों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देना, वैटीकन की ईसाई लाईब्रेरी की किताब से विक्टोरिया का पन्ना फाड़ना, लाईब्रेरी में लाईट का जाना प्रोफेसर का कांच तोड़ बाहर निकलना, अंत में इल्यूमिनाटी समुदाय की साजिश में शामिल लोगों का बेनकाब होना एवं धर्म गुरू पैट्रिक का आत्मदाह करना।
कहानी : फिल्म की कहानी ईसाई धर्म के आसपास घूमती है। रोम कैथोलिक चर्च के पोप की मृत्यु के बाद नए पोप के चुनाव के लिए रीति अनुसार समारोह आयोजित होता है। नया पोप बनने के लिए मैदान में चार उम्मीदवार होते हैं, जिनका अचानक समारोह से पहले ही अपहरण हो जाता है। उनका अपहरण ईसाई धर्म से धधकारे गए इल्यूमिनाटी समुदाय के लोग करते हैं, जो विज्ञान में विश्वास रखते हैं। इल्यूमिनाटी चेतावनी देते हैं कि चार धर्म गुरूओं की बलि चढ़ा दी जाएगी और वैटीकन सिटी को रोशनी निगल जाएगी, मतलब विशाल धमाका होगा, जिसे वैटीकन सिटी तबाह हो जाएगी। उन दुश्मनों तक पहुंचने के लिए चिन्ह विशेषज्ञ प्रो. रोबर्ट लैंगडन (टॉम हंक्स) को बुलाया जाता है। उसकी मदद के लिए अभियान में विक्टोरिया (अयेलीट यूर्र) भी शामिल हो जाती है, जो सीईआरएन की सदस्य है, जहां से इल्यूमिनाटी परमाणु कैमिकल चुराते हैं, वैटीकन सिटी को उड़ाने के लिए। प्रो.रोबर्ट एवं विक्टोरिया दोनों मिलकर सुरागों के सहारे आगे बढ़ते हुए दुश्मनों तक पहुंचते हैं, इस दौरान कई रहस्य खुलकर सामने आते हैं। जो कहानी में रोचकता बरकरार रखते हैं।
कुछ खास : टॉम हंक्स एवं अयेलीट यूर्र ने अपनी अपनी भूमिका को जानदार बनाने के लिए जी जान से काम किया है, वो उनके चेहरों पर आते भावों से ही बयां होता है। एक उपन्यास को फिल्म में ढाल पाना बहुत मुश्किल होता है, लेकिन रॉन हावर्ड ने बहुत ही रोचक ढंग से इसको संभव कर दिखाया है। फिल्म की पटकथा में पूरी तरह कसावट है, कहीं भी फिल्म पकाऊ या बकवास नहीं लगती। फिल्म निरंतर अपनी रोचकता को लेकर आगे बढ़ती है। फिल्म की बैकराउंड में बजने वाला संगीत भी स्थितियों के बिल्कुल अनुकूल है। फिल्म के हर दृश्य को बहुत ही ध्यानपूर्वक फिल्माया गया है।
यादगर पल : जैसे कि प्रोफेसर का चिन्हों को देखकर इल्यूमिनाटी के इतिहास के बारे में बताना, दुश्मनों तक पहुंचने वाले संकेतों के बारे में विस्तारपूर्वक जानकारी देना, वैटीकन की ईसाई लाईब्रेरी की किताब से विक्टोरिया का पन्ना फाड़ना, लाईब्रेरी में लाईट का जाना प्रोफेसर का कांच तोड़ बाहर निकलना, अंत में इल्यूमिनाटी समुदाय की साजिश में शामिल लोगों का बेनकाब होना एवं धर्म गुरू पैट्रिक का आत्मदाह करना।
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