शब्द लापता हैं
कुछ लिखना चाहता हूं, पर शब्द लापता हैं
आते नहीं जेहन में कुछ इस तरह खफा हैं
चुप क्यों हो मां
कुछ तो बोलो
कहां से लाऊं वो शब्द
जो तेरा दर्द बयां करें
कहां से लाऊं पापा
बोलो ना
दर्द निवारक वो शब्द
जो तेरी पीड़ा को हरें
कहां से लाऊं वो शब्द
जो घर में हर तरफ
खुशी खुशी कर दें
कहां से लाऊं वो शब्द
जो भारत मां के जख्मों को
इक पल में भर दें
कहां से लाऊं वो शब्द
ए जान-ए-मन
जो तेरे मुझराए चेहरे को खिला दें
कहां से लाऊं वो शब्द
जो इक पल में
हिन्दु-मुस्लिम का फर्क मिटा दें
कहां से लाऊं वो शब्द
जो मेरे ख्यालों को
हर शख्स का ख्याल कर दें
कहां से लाऊं वो शब्द
जो कुलवंत हैप्पी को
सिद्ध 'मां का लाल' कर दें
कहां से लाऊं वो शब्द
जवाब देंहटाएंए जान-ए-मन
जो तेरे मुझराए चेहरे को खिला दें,
शब्द आपके पास हैं-और ढुंढा जा रहा है-ये शब्दों का समीकरण बढिया रहा-आभार
लाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई
जवाब देंहटाएंसुंदर रचना हैप्पी जी ,
जवाब देंहटाएंवैसे मुझे पूरी उम्मीद है कि चूहा इस स्कूटर से लापता शब्दों, गुम हुए वाक्यों और भागे हुई पंक्तियों को पक्का ढूंढ लाएगा ...
चुप क्यों हो मां
जवाब देंहटाएंकुछ तो बोलो
कहां से लाऊं वो शब्द
जो तेरा दर्द बयां करें
बेहतरीन खयाल और भाव
वाकई शब्दो से कभी दर्द बयाँ हुए हैं भला
चूहे से पूछ रहे हैं क्या कि कहाँ से लाऊँ शब्द? शब्द तो दिल से ही आते हैं बस दिल ही हमारा आजकल केवल अपने लिए ही धड़कता है।
जवाब देंहटाएंbadhiya rachana..
जवाब देंहटाएंकई दिन बाद ब्लाग पर आने के लिये क्षमा चाहती हूँ। आते ही तुम्हारा दर्द देखा मन भीग सा गया। माँ की यादें ऐसी ही होती हैं और भारत माँ के लिये तुम्हारा प्रेम वन्दनीय है। बहुत सुन्दर रचना है हर पँक्ति खूबसूरत् भीगे से एहसास लिये है बहुत बहुत आशीर्वाद तुम्हारा घर खुशियों से महके
जवाब देंहटाएंलाजवाब रचना। बहुत-बहुत बधाई
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