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कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी, और एक शोध का दावा

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हर साल की तरह इस बार भी, श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर आज आधी रात करोड़ों हिन्दुओं के आराध्य, सोलह कलाओं तथा 64 विद्याओं के पारंगत, चक्र सुदर्शनधारी भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्मोत्सव परंपरागत और उल्लासपूर्वक मनाया जायेगा। संयोग देखिए, जब विश्‍व का एक समुदाय भगवान श्रीकृष्‍ण का जन्‍मोत्‍सव बनाने की तैयारियों में जुटा हुआ था, तब जॉन हॉपकिन्स विश्वविद्यालय का एक अध्‍ययन सामने आया, जिसमें कहा गया कि नवजात बच्चे को मां के गर्भ में रहते हुए अपनी जननी की और अन्य लोगों की आवाज़ें याद रहती हैं। शोधकर्ताओं ने शोध के दौरान 74 महिलाओं का परीक्षण किया जो 36 हफ्तों की गर्भवती थीं। उन्हें दो मिनट तक कहानियां सुनाने को कहा गया और इस दौरान गर्भ में पल रहे शिशु की धड़कनों और हरकतों का परीक्षण किया गया। इस शोधकार्य के दौरान पता चला कि औसतन एक बच्चा एक ही शब्द 25 हज़ार बार सुन सकता है। जीवन के पहले महीने में बच्चा उस संगीत के प्रति प्रतिक्रिया दिखाता है जो उसने गर्भावस्था की अंतिम तिमाही में सुना था। आप सोच रहे होंगे, इस का कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी से क्‍या संबंध है ? कृष्‍ण जन्‍माष्‍टमी का संबंध श्रीकृष्‍ण भ

दस साल की 'बच्‍ची' पर 'रेप' का केस

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ब्राउन टी शर्ट में खड़ा मुस्‍कराते हुए जैक बात दस साल की अशले से शुरू करते हैं, जो मेलबर्न में रहती है। उसका अब बच्‍चों के समूह के साथ खेलना प्रतिबंधित है। अप्रैल की एक घटना ने अशले को बच्‍चों के समूह से दूर कर दिया। दरअसल, दस वर्षीय अशले एक डॉक्‍टर गेम के दौरान चार साल के लड़के को असंगत ढंग से छूते हुए पाई गई। शिकायत के बाद पुलिस ने अशले को गिरफ्तार कर लिया, उससे पूछताछ की, और चार दिन के लिए उसको हैरिस काउंटी बाल सुधार गृह में छोड़ा गया।  इस मामले में जब बच्‍ची से पूछताछ की जा रही थी, तो उसकी मां को भी वहां पर उपस्‍थित होने की आज्ञा नहीं दी गई। अब दस वर्षीय बच्‍ची को अक्‍टूबर में बलात्‍कार के आरोप के तहत कोर्ट में पेश किया जाएगा। यह घटना अप्रैल महीने में घटित हुई थी। बच्‍ची को बच्‍चे के साथ असंगत तरीके से छेड़छाड़ करते पाया गया, और मामला चला। भारत में गैंगरेप होने के बाद भी विचार किया जाता है कि रेप करने वाला नाबालिग है या बालिग। मानवता का परिचय देता एक मामला मियामी में सामने आया है। जहां एक माता पिता ने अपने बीमार बेटे के सारे अंगदान करने का फैसला किया है। दस साल का

कपड़ों से फर्क पड़ता है

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मुम्‍बई में महिला पत्रकार के साथ हुए गैंग रेप हादसे के बाद कुछ नेताओं ने कहा, महिलाओं को कपड़े पहनने के मामले में थोड़ा सा विचार करना चाहिए। यकीनन यह बयान महिलाओं की आजादी छीनने सा है। अगर दूसरे पहलू  से सोचें तो इसमें बुरा भी कुछ नहीं, अगर थोड़ी सी सावधानी, किसी बुरी आफत से बचा सकती है तो बुराई कुछ भी नहीं। हमारे पास आज दो सौ किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ने वाले वाहन हैं, लेकिन अगर हर कोई इस सपीड पर कार चलाएगा तो हादसे होने संभव है। ऐसे में अगर कोई गाड़ी संभलकर चलाने की बात कहे तो बुरा नहीं मानना चाहिए। देश का ट्रैफिक, सड़कें भी देखनी होगी, केवल स्‍पीड देखने भर से काम तो नहीं हो सकता। ऐसी सलाह देश के कुछ नागरिकों को बेहद नागवार गुजरती है, लेकिन आग के शहर में मोम के कपड़े पहनना भी बेवकूफी से कम न होगा। हमें कहीं न कहीं समाज को देखना होगा, उसके नजरिये को समझना होगा। जब हर कदम पर सलीब हो, और हर तरफ अंधेरा फैला हो, तो यकीनन हर कदम टिकाते समय बहुत सावधानी बरतनी पड़ेगी, पहले टोह लगानी पड़ेगी है, नीचे सलीब तो नहीं, एक दम दौड़कर निकलने वाले अक्‍सर लहू लहान होते हैं। देश की सरकार को

फ़ैरो आइलैंड्स की चुनौतियां

आइलैंड्स घूमने का बहुत शौक होता है पर्यटकों को। वहां की हरियाली, वहां के वातावरण में सांस लेने का अपना ही एक मजा होता है, लेकिन फ़ैरो आइलैंड्स की युवा पीढ़ी अपने आइलैंड्स से दूर भाग रही है। अटलांटिक महासागर के उत्तरी भाग फ़ैरो आइलैंड्स की सरकार के सामने आज दो चुनौतियां हैं, तो युवा पीढ़ी के पलायन को रोकना, दूसरा अपने भोजन और आय स्रोत को जिंदा रखना। चालीस हजार की आबादी वाला यह खूबसूरत आइलैंड्स युवा पीढ़ी के पलायन के कारण धीरे धीरे खाली होता जा रहा है। यहां के नागरिकों का मानना है कि यहां पर जीवन अधिक मुश्‍िकल है, अन्‍य जगहों के मुकाबले में महंगा भी। युवा पीढ़ी अपने सपनों को साकार करने के लिए आइलैंड्स से बाहर निकलकर संघर्ष करना चाहती है, नाम कमाना चाहती है। भारतीय समाज भी गांवों से निकलकर मंडियों और शहरों में तबदील हो रहा है।   आइलैंड्स की सरकार जहां कम होती जनसंख्‍या से परेशान है। वहीं यूरोपियन संघ का मछली पकड़ने पर प्रतिबंध लगाना भी इस आइलैंड्स वासियों को नागवार गुजर रहा है। यहां के प्रधानमंत्री ने यूरोपियन संघ को चैंलेज करते हुए कहा, वे 150 वर्षों से इस आइलैंड्स पर रह रहे हैं।

'गे' वेंटवर्थ मिलर ने की 'मर्दों' वाली बात

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बहुत मुश्‍किल होता है कभी कभी उस बात को स्‍वीकार करना, जिसको समाज में असम्‍मानजनक नजर से देखा जा रहा हो, लेकिन अमेरिकी धारावाहिक प्रिज्‍यॅन ब्रेक के स्‍टार वेंटवर्थ मिलर ने रूस में आयोजित होने वाले इंटरनेशनल फिल्‍म फेस्‍टीवल में बतौर मुख्‍यातिथि के लिए आए न्‍यौते को ठुकराते हुए स्‍वयं के गे होने की बात को सार्वजनिक कर दिया। रूस के प्रस्‍ताव को ठुकराने और स्‍वयं को गे घोषित करने के बाद टि्वटर पर उनके लोकप्रिय धारावाहिक प्रिज्‍यॅन ब्रेक के ट्रेंड ने जोर पकड़ लिया। दरअसल, रूस ने एक नया प्रस्‍ताव पारित किया है, जो असल में है तो एंटी गे लॉ, लेकिन सरकार इस बिल का बचाव बच्‍चों की सुरक्षा का हवाला देते हुए करती है। सेंट पीटर्सबर्ग ऐसी जगह है, जहां पर गे बहुसंख्‍या में रहते हैं, लेकिन हिंसक गतिविधियों के कारण सामने आने का सांस नहीं करते। पिछले दिनों न्‍यू यॉर्क टाइम्‍स में एक लेख प्रकाशित हुआ था, जिसकी शुरूआत करते हुए लेखक ने लिखा था, अगर यह लेख रूस में प्रकाशित हुआ होता तो इसके लिए एक्‍स रेटिंग होती, और 18 साल से कम उम्र के बच्‍चों को पढ़ने की मनाही होती। इस लेख के अंदर कई ऐसी घटनाओं का