चर्चाएं, चर्चाएं, बस चर्चाएं
हम कितने फुर्सत में हैं। हमारी फुर्सत एक 27 साल के युवक (फेसबुक का संस्थापक) को अरबपतियों की श्रेणी में लाकर खड़ा कर देती है। इंटरनेट कंपनियों को भी मालोमाल कर देती है। हमारे देश में सब कुछ खत्म हो सकता है, मगर बे मतलबी बहस कभी खत्म नहीं होगी, क्यूंकि पंजाबी में एक कहावत है, वेहला बनिया की करे, इधर दे बट्टे उधर धरे, मतलब फुरसतिया दुकानदार क्या करे, इधर से उठाकर बटटा उधर रखे।
आमिर खान का सत्यमेव जयते शुरू हुआ तो उसकी प्रशंसा करने की बजाय लोगों ने उसकी पत्िन का मुद्दा उठा लिया, अगर पीड़ित महिलाओं पर किस्त आए तो आमिर की पत्नि को बुलाना चाहिए, जबकि उनके तलाक के बाद से अब तक दोनों परिवारों की ओर से किसी भी प्रकार की बयानबाजी सामने नहीं आई, दोनों ने शादी की थी अपनी मर्जी से, छोड़ा अपनी मर्जी से, बोले तू कौन मैं खाम खा।
जब महिलाएं मां बनने वाली होती है, तो उनका शरीर शिथिल हो जाता है, वो थोड़ी सी मोटी दिखाई पड़ने लगती है, शायद 95 फीसद महिलाओं के साथ तो ऐसा ही होता है, मगर जब ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ ऐसा हुआ तो पूरे देश में चर्चा छिड़ गई कि ऐश मोटी हो गई। अखबारों ने भी लिख डाला, किसी अखबार ने किसी गरीब के घर में झांक कर नहीं देखा कि कोई मां डिलीवरी के वक्त कमजोरी से चल बसी।
फिर एक मनचला शिवलिंग पर पैर रखकर फोटो खिंचवाता हुआ पाया गया, देश में एक और चर्चा शुरू हो गई, धर्म का अपमान किया जा रहा है, किसी ने लिखा काटो डाला इस मूले को ढूंढ़कर, हालांकि वो किस मजहब का है इस बात का भी पता नहीं था किसी को, फिर भी मुस्िलम समुदाय को गालियां देखकर गर्म चर्चाओं को हवा दे डाली। जब पुलिस ने उसको हिरासत में लिया तो उसका नाम लक्ष्मण जॉनसन पता चला, ऐसा नाम किसी मुस्िलम व्यक्ित का तो नहीं हो सकता। फिर भी हमारे हिंदु भाईयों के मुंह में आया बोलते चले गए।
कल ओलाम्पिक परेड हुई, हिन्दुस्तान ओलाम्पिक में हिस्सा ले रहा है, इस बात का जश्न मनाने की बजाय, कुछ लोगों की निगाह सानिया मिर्जा पर थी, जिसके हाथ में हिन्दुस्तानी झंडा नहीं था, या फिर उस लड़की पर, जिसने लाल व ब्लू स्की क्लर की ड्रेस पहनी हुई थी। इस लड़की को लेकर तलाश व चर्चा शुरू हो गई, अंत में पता चला कि इसने बैंगलूर से स्टडी की है, जो अब लंडन में रहती है, नाम है मधुरा हनी। दो लड़कियों ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया, इससे कुछ नहीं बदलने वाला, इतना होगा, उस लड़की का नाम इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाएगा, वो रातों रात, करोड़ों नजरों से निकल जाएगी। इतनी बड़ी प्रसिद्ध सिर्फ अलग लुक से मिली और चर्चाओं से। चर्चाएं, चर्चाएं, बस चर्चाएं।
आमिर खान का सत्यमेव जयते शुरू हुआ तो उसकी प्रशंसा करने की बजाय लोगों ने उसकी पत्िन का मुद्दा उठा लिया, अगर पीड़ित महिलाओं पर किस्त आए तो आमिर की पत्नि को बुलाना चाहिए, जबकि उनके तलाक के बाद से अब तक दोनों परिवारों की ओर से किसी भी प्रकार की बयानबाजी सामने नहीं आई, दोनों ने शादी की थी अपनी मर्जी से, छोड़ा अपनी मर्जी से, बोले तू कौन मैं खाम खा।
जब महिलाएं मां बनने वाली होती है, तो उनका शरीर शिथिल हो जाता है, वो थोड़ी सी मोटी दिखाई पड़ने लगती है, शायद 95 फीसद महिलाओं के साथ तो ऐसा ही होता है, मगर जब ऐश्वर्या राय बच्चन के साथ ऐसा हुआ तो पूरे देश में चर्चा छिड़ गई कि ऐश मोटी हो गई। अखबारों ने भी लिख डाला, किसी अखबार ने किसी गरीब के घर में झांक कर नहीं देखा कि कोई मां डिलीवरी के वक्त कमजोरी से चल बसी।
फिर एक मनचला शिवलिंग पर पैर रखकर फोटो खिंचवाता हुआ पाया गया, देश में एक और चर्चा शुरू हो गई, धर्म का अपमान किया जा रहा है, किसी ने लिखा काटो डाला इस मूले को ढूंढ़कर, हालांकि वो किस मजहब का है इस बात का भी पता नहीं था किसी को, फिर भी मुस्िलम समुदाय को गालियां देखकर गर्म चर्चाओं को हवा दे डाली। जब पुलिस ने उसको हिरासत में लिया तो उसका नाम लक्ष्मण जॉनसन पता चला, ऐसा नाम किसी मुस्िलम व्यक्ित का तो नहीं हो सकता। फिर भी हमारे हिंदु भाईयों के मुंह में आया बोलते चले गए।
कल ओलाम्पिक परेड हुई, हिन्दुस्तान ओलाम्पिक में हिस्सा ले रहा है, इस बात का जश्न मनाने की बजाय, कुछ लोगों की निगाह सानिया मिर्जा पर थी, जिसके हाथ में हिन्दुस्तानी झंडा नहीं था, या फिर उस लड़की पर, जिसने लाल व ब्लू स्की क्लर की ड्रेस पहनी हुई थी। इस लड़की को लेकर तलाश व चर्चा शुरू हो गई, अंत में पता चला कि इसने बैंगलूर से स्टडी की है, जो अब लंडन में रहती है, नाम है मधुरा हनी। दो लड़कियों ने पूरे विश्व का ध्यान अपनी तरफ खींच लिया, इससे कुछ नहीं बदलने वाला, इतना होगा, उस लड़की का नाम इंटरनेट पर सबसे ज्यादा सर्च किया जाएगा, वो रातों रात, करोड़ों नजरों से निकल जाएगी। इतनी बड़ी प्रसिद्ध सिर्फ अलग लुक से मिली और चर्चाओं से। चर्चाएं, चर्चाएं, बस चर्चाएं।
न देखना मुड़कर कभी भूले से भी पीछे,
जवाब देंहटाएंराहों के पत्थर रोकने को रोज़ आयेंगें
Nice post.
हां सच कहा आपने ये दौर ही उडती हवाओं का है , रोज़ नई नई हवाएं हर दिशा से चलती हैं
जवाब देंहटाएंसब से जरूरी काम भी तो है यह ... इस के बिना गुज़रा कहाँ ??
जवाब देंहटाएंआपके इस खूबसूरत पोस्ट का एक कतरा हमने सहेज लिया है, भिक्षावृत्ति मजबूरी नहीं बन रहा है व्यवसाय - ब्लॉग बुलेटिन , के लिए, पाठक आपकी पोस्टों तक पहुंचें और आप उनकी पोस्टों तक, यही उद्देश्य है हमारा, उम्मीद है आपको निराशा नहीं होगी, टिप्पणी पर क्लिक करें और देखें … धन्यवाद !
चर्चा...चर्चा ...बस ये ही चर्चा ही तो हैं जो सबकी सोच को कुंद किए बैठी हैं ...सार्थक कुछ करने को नहीं और खाली बैठे हर बात की चर्चा ......:((((
जवाब देंहटाएंबिलकुल सही कहा कुलवंत जी आपने...
जवाब देंहटाएंअसल मुद्दा क्या है उसका जिक्र कहीं नहीं होता ...सब इसी फिक्र में रहते है कैसे बवाल किया जाए
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