एक संवाद, जो बदल देगा जिन्दगी
धूप की चिड़िया मेरे आँगन में खेल रही थी, और मेरी माँ की उंगलियाँ मेरे बालों में, जो सरसों के तेल से पूरी तरह भीगी हुई थी। इतने में एक व्यक्ति घर के भीतर घुस आया, वो देखने में माँगने वाला लगता था। उसने आते ही कहा "माता जी, कुछ खाने को मिलेगा"। घर कोई आए और भूख चला जाए हो नहीं सकता था। मेरी माँ ने मेरी बहन को कहा "जाओ रसोई से रोटी और सब्जी लाकर दो"। वो रोटी और एक कटोरी में सब्जी डालकर ले आई। उसने खाना खाने के बाद और जाने से पहले कहा "मैं हाथ भी देख लेता हूं"। मेरी माँ ने मेरा हाथ आगे करते हुए कहा "इस लड़के का हाथ देकर कुछ बताओ"। उसने कहा "वो हाथ दो, ये हाथ तो लड़कियाँ दिखाती हैं"। उसने हाथ की लकीरों को गौर से देखा, फिर मेरे माथे की तरफ देखा। दोनों काम पूरे करने के बाद बोला "तुम्हारा बच्चा बहुत बड़ा आदमी बनेगा" । वो ही शब्द कहे, जो हर माँ सुनना चाहती है । पढ़ें : बंद खिड़की के उस पार उस बात को आज 14 साल हो चले हैं, उस माँ का बेटा बड़ा आदमी तो नहीं बना, लेकिन चतुर चोर बन गया , जो अच्छी चीजों को बिना स्पर्श किए चुरा लेता है। जनाब!