मुसीबत! फिल्मों में बढ़ता चुम्बन चलन
पिछले दिनों ड्राइव इन सिनेमा में मोहनजो दरो देखने गए। शादीशुदा आदमी बहुत कम अकेले जाता है, जब भी जाता है परिवार सहित जाता है। सवाल परिवार के साथ जाने या न जाने का तो बिलकुल नहीं। सवाल है कि आप अचानक फिल्म देखते देखते असहज हो जाते हो। हालांकि, चुम्बन करना बुरा नहीं। मगर, इस तरह चुम्बन को बढ़ावा देने उचित भी नहीं, जब सिनेमा घर में परिवार सहित बच्चे भी आए हों, जिनको कुछ भी पता नहीं होता।
मेरी छह साल की बच्ची है, सिनेमा घर हो या टेलीविजन की स्क्रीन, लड़का लड़की के बीच रोमांटिक सीन उसको बिलकुल नहीं अच्छे लगते। वो अपना ध्यान इधर उधर भटकाने पर लग जाती है। उसको अन्य बच्चों की तरह डॉरेमन जैसे कार्टून देखने अच्छे लगते हैं, जो शायद एक तरह से अच्छा भी है। कार्टून चैनलों पर अभी इतना फूहड़ता नहीं आई है।
मोहनजो दरो में एक चुम्बन दृश्य है, जो काफी बेहतरीन है। मगर, आपको असहज बना देता है क्योंकि जब फिल्म पूरी तरह सामाजिक सीमाओं में बंधकर चल रही हो और अचानक यूं दृश्य आ जाए। अब इसका चलन दिन प्रति दिन बढ़ता चला जाएगा। बड़े बैनर भी अब चुम्बन बाजी पर ध्यान दे रहे हैं।
आदित्य चोपड़ा अपनी अगली फिल्म बेफिक्रे में चुंबन दृश्यों की सेल लगाने वाले हैं। अब तक फिल्म के जितने भी पोस्टर आए, जब में रणवीर सिंह और वाणी कपूर खुलकर चुंबन करते नजर आए हैं। ख़बर है कि बार बार देखो में भी चुंबन सीनों पर विशेष ध्यान दिया गया है। फिल्म के ट्रेलर में ही 5 चुंबन सीन हैं, और ट्रेलर हर कुछ मिनटों पर टेलीविजन की स्क्रीनों पर नजर आता है। म्यूजिक चैनलों घर में खुले आम देखना, मतलब समय से पहले बच्चों को अर्ध ज्ञान के साथ अंधेर गुफा में धकेलने सा है। हालांकि, चुंबन, प्यार, रोमांस मानवीय जीवन का हिस्सा हैं। इन रंगों के बिना मानवीय जीवन बेरंग, बंजर सा है।
मगर, कच्ची उम्र की नादानियां, उम्र भर का दर्द लेकर आती हैं। आज समाज का दायरा विशाल हो चुका है और आज कल बच्चे पहले से नहीं रहे। हालांकि, हर मां बाप अपने बच्चे को दुनिया से हर बच्चे से अलग मानता है और हर मां बाप सोचता है कि उनके बच्चे कभी गलती नहीं कर सकते। आज के समय में बच्चों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है और उनकी गतीविधियों को समझने की जरूरत है।
चलते चलते। आज कल बॉलीवुड गीतों के वीडियो देखने असंभव है। एमपी 3 में बजाते रहो तो ठीक है। हमारे जमाने में तो इतनी शर्म होती थी कि ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के आगे भी शटर होता है, जैसे महिलाओं के चेहरों पर घुंघट।
मेरी छह साल की बच्ची है, सिनेमा घर हो या टेलीविजन की स्क्रीन, लड़का लड़की के बीच रोमांटिक सीन उसको बिलकुल नहीं अच्छे लगते। वो अपना ध्यान इधर उधर भटकाने पर लग जाती है। उसको अन्य बच्चों की तरह डॉरेमन जैसे कार्टून देखने अच्छे लगते हैं, जो शायद एक तरह से अच्छा भी है। कार्टून चैनलों पर अभी इतना फूहड़ता नहीं आई है।
मोहनजो दरो में एक चुम्बन दृश्य है, जो काफी बेहतरीन है। मगर, आपको असहज बना देता है क्योंकि जब फिल्म पूरी तरह सामाजिक सीमाओं में बंधकर चल रही हो और अचानक यूं दृश्य आ जाए। अब इसका चलन दिन प्रति दिन बढ़ता चला जाएगा। बड़े बैनर भी अब चुम्बन बाजी पर ध्यान दे रहे हैं।
आदित्य चोपड़ा अपनी अगली फिल्म बेफिक्रे में चुंबन दृश्यों की सेल लगाने वाले हैं। अब तक फिल्म के जितने भी पोस्टर आए, जब में रणवीर सिंह और वाणी कपूर खुलकर चुंबन करते नजर आए हैं। ख़बर है कि बार बार देखो में भी चुंबन सीनों पर विशेष ध्यान दिया गया है। फिल्म के ट्रेलर में ही 5 चुंबन सीन हैं, और ट्रेलर हर कुछ मिनटों पर टेलीविजन की स्क्रीनों पर नजर आता है। म्यूजिक चैनलों घर में खुले आम देखना, मतलब समय से पहले बच्चों को अर्ध ज्ञान के साथ अंधेर गुफा में धकेलने सा है। हालांकि, चुंबन, प्यार, रोमांस मानवीय जीवन का हिस्सा हैं। इन रंगों के बिना मानवीय जीवन बेरंग, बंजर सा है।
मगर, कच्ची उम्र की नादानियां, उम्र भर का दर्द लेकर आती हैं। आज समाज का दायरा विशाल हो चुका है और आज कल बच्चे पहले से नहीं रहे। हालांकि, हर मां बाप अपने बच्चे को दुनिया से हर बच्चे से अलग मानता है और हर मां बाप सोचता है कि उनके बच्चे कभी गलती नहीं कर सकते। आज के समय में बच्चों को लेकर सतर्क रहने की जरूरत है और उनकी गतीविधियों को समझने की जरूरत है।
चलते चलते। आज कल बॉलीवुड गीतों के वीडियो देखने असंभव है। एमपी 3 में बजाते रहो तो ठीक है। हमारे जमाने में तो इतनी शर्म होती थी कि ब्लैक एंड व्हाइट टीवी के आगे भी शटर होता है, जैसे महिलाओं के चेहरों पर घुंघट।
निजी प्रसंगों का सार्वजनिक होना ही सारे अनर्थों कीजड़ है . पर लोग उसी को मनोरंजन और फिल्मनिर्माता कमाई का मंत्र .. बहुत सही प्रासंगिक लेख .
जवाब देंहटाएंनिजी प्रसंगों का सार्वजनिक होना ही सारे अनर्थों कीजड़ है . पर लोग उसी को मनोरंजन और फिल्मनिर्माता कमाई का मंत्र .. बहुत सही प्रासंगिक लेख .
जवाब देंहटाएं