...लो बूटी और बेस हमारे गीतों में शामिल हो गए
आज कल ट्विटर पर बीट पे बूटी चैलेंज चल रहा है। बहुत सारे लोग बीट पे बूटी चैलेंज एक दूसरे को आगे बढ़ा रहे हैं। बड़ी अजीब बात है कि आजकल "बेस" और "बूटी" आम सी बात होगी, जैसे मेरी तो फट गई। यह हमारी भाषा तो नहीं, ये तो रोड़ किनारे खड़े, टी स्टॉल पर खड़े, टपोरी लोगों की भाषा है।
मगर, हमको आज कल 'बीट पे बूटी' और 'बेबी को बेस पसंद है' ही अच्छा लगने लगा है या यो यो हनी सिंह '* में दम है तो बंद कर लो'। बड़ा अजीब लगता है, कोई कहता है कि मेरी तो फटती है, चाहे लड़का हो चाहे लड़की। जब उनसे फटती का अर्थ पूछो तो जुबां पर लगाम लग जाती है। क्या यह नहीं कह सकते ? मुझे डर लगता है। मैं डर गया। मैं डर गई। मैं घबरा गई। मेरे तो हाथों के तोते उड़ गए। तेरे तो पसीने छूट रहे हैं।
बूटी का हिन्दीकरण पिछवाड़ा हालांकि उर्दूकरण थोड़ा सा सलीके वाला है, तरशीफ। इस गीत में जैकलीन फर्नांडीज ने जमकर बूटी थिरकाई है। जैकलीन फर्नांडीज श्रीलंकाई हैं। आप जैकलीन फर्नांडीज के जितने गाने देखेंगे, आपको बूटी के सिवाय शायद ही कोई अन्य मूवमेंट नजर आए।
ए फलाइंग जट्ट का गाना भी शायद जैकलीन फर्नांडीज की बूटी मूवमेंट को देखकर लिखा गया है। आज कल कुछ भी लिख सकते हो, कौन मना करने वाला है। हम मॉर्डन जो हो रहे हैं, जो एतराज जताएं, वो रूढ़िवादी पुराने जमाने के समझे जाएंगे। बेबी को बेस पसंद है, अगर गीत सुनेंगे तो अच्छा लगेगा। समझदार बंदा समझ लेगा कि अनुष्का शर्मा कौन से बेस की बात कर रही है। यदि आप गीत गीत का वीडियो देखने बैठेंगे तो सलमान ख़ान का नृत्य बताएगा, बेबी को कौन सा बेस पसंद है।
हिन्दी सिनेमा हिन्दी भाषा विस्तार का एक बड़ा साधन है। मगर, इसने भाषा को इतना बिगाड़ दिया है कि कहना पड़ रहा है कि ऐसा विस्तार न हो तो अच्छा है। दरअसल, बॉलीवुड में अब बाहर के या कान्वेंट स्कूलों के पढ़े लिखे लेखक आ चुके हैं, जिनका हिन्दी ज्ञान चाय की स्टॉल से शुरू होता है। हमने गंभीर हिन्दी को लेकर हिन्दी फिल्मों में ही हास्य दृश्य रचे हैं क्योंकि लोगों को कठिन शब्दों से परहेज होता है। आम बोल चाल को अधिक पसंद करते हैं। मगर, इसका मतलब यह तो नहीं कि आप कुछ भी करें।
ए फलाइंग जट्ट एकता कपूर के प्रोडक्शन की फिल्म है, जिसको कुछ भी करना बुरा नहीं लगता। इसलिए एकता कपूर जो चाहे बना सकती है चाहे वे मस्तीजादे बनाए, चाहे ग्रेट ग्रांड मस्ती बनाए और चाहे क्या सुपर कूल हैं हम बनाए। उड़ता पंजाब के जरिये वो लोगों को गंदी गालियां देना भी सिखा सकती है, पंजाबियों की तरह।
ग्लोबलाइजेशन हो रहा है, तो क्यों न भाषा का विस्तार गंदी बातों से किया जाए। जब बीट पे बूटी पहली बार देखा तो लगा कि डांस और जड़ी बूटी का संगम होगा, क्योंकि टाइगर श्रॉफ जंगलनुमा जगह पर खड़े डांस कर रहे हैं।
मगर, ट्विटर पर चल रहे बीट पे बूटी चैलेंज को देखा तो समझ आया कि यह बाबा रामदेव की बूटी नहीं बल्कि यह तो ब्राजीलियन या विदेशी अदाकारों वाली बूटी है, जो बीट पर आम थिरकती नजर आती है।
मगर, हमको आज कल 'बीट पे बूटी' और 'बेबी को बेस पसंद है' ही अच्छा लगने लगा है या यो यो हनी सिंह '* में दम है तो बंद कर लो'। बड़ा अजीब लगता है, कोई कहता है कि मेरी तो फटती है, चाहे लड़का हो चाहे लड़की। जब उनसे फटती का अर्थ पूछो तो जुबां पर लगाम लग जाती है। क्या यह नहीं कह सकते ? मुझे डर लगता है। मैं डर गया। मैं डर गई। मैं घबरा गई। मेरे तो हाथों के तोते उड़ गए। तेरे तो पसीने छूट रहे हैं।
बूटी का हिन्दीकरण पिछवाड़ा हालांकि उर्दूकरण थोड़ा सा सलीके वाला है, तरशीफ। इस गीत में जैकलीन फर्नांडीज ने जमकर बूटी थिरकाई है। जैकलीन फर्नांडीज श्रीलंकाई हैं। आप जैकलीन फर्नांडीज के जितने गाने देखेंगे, आपको बूटी के सिवाय शायद ही कोई अन्य मूवमेंट नजर आए।
ए फलाइंग जट्ट का गाना भी शायद जैकलीन फर्नांडीज की बूटी मूवमेंट को देखकर लिखा गया है। आज कल कुछ भी लिख सकते हो, कौन मना करने वाला है। हम मॉर्डन जो हो रहे हैं, जो एतराज जताएं, वो रूढ़िवादी पुराने जमाने के समझे जाएंगे। बेबी को बेस पसंद है, अगर गीत सुनेंगे तो अच्छा लगेगा। समझदार बंदा समझ लेगा कि अनुष्का शर्मा कौन से बेस की बात कर रही है। यदि आप गीत गीत का वीडियो देखने बैठेंगे तो सलमान ख़ान का नृत्य बताएगा, बेबी को कौन सा बेस पसंद है।
हिन्दी सिनेमा हिन्दी भाषा विस्तार का एक बड़ा साधन है। मगर, इसने भाषा को इतना बिगाड़ दिया है कि कहना पड़ रहा है कि ऐसा विस्तार न हो तो अच्छा है। दरअसल, बॉलीवुड में अब बाहर के या कान्वेंट स्कूलों के पढ़े लिखे लेखक आ चुके हैं, जिनका हिन्दी ज्ञान चाय की स्टॉल से शुरू होता है। हमने गंभीर हिन्दी को लेकर हिन्दी फिल्मों में ही हास्य दृश्य रचे हैं क्योंकि लोगों को कठिन शब्दों से परहेज होता है। आम बोल चाल को अधिक पसंद करते हैं। मगर, इसका मतलब यह तो नहीं कि आप कुछ भी करें।
ए फलाइंग जट्ट एकता कपूर के प्रोडक्शन की फिल्म है, जिसको कुछ भी करना बुरा नहीं लगता। इसलिए एकता कपूर जो चाहे बना सकती है चाहे वे मस्तीजादे बनाए, चाहे ग्रेट ग्रांड मस्ती बनाए और चाहे क्या सुपर कूल हैं हम बनाए। उड़ता पंजाब के जरिये वो लोगों को गंदी गालियां देना भी सिखा सकती है, पंजाबियों की तरह।
ग्लोबलाइजेशन हो रहा है, तो क्यों न भाषा का विस्तार गंदी बातों से किया जाए। जब बीट पे बूटी पहली बार देखा तो लगा कि डांस और जड़ी बूटी का संगम होगा, क्योंकि टाइगर श्रॉफ जंगलनुमा जगह पर खड़े डांस कर रहे हैं।
मगर, ट्विटर पर चल रहे बीट पे बूटी चैलेंज को देखा तो समझ आया कि यह बाबा रामदेव की बूटी नहीं बल्कि यह तो ब्राजीलियन या विदेशी अदाकारों वाली बूटी है, जो बीट पर आम थिरकती नजर आती है।
बढ़िया
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