'शब्द'

अंगीठी में कोयलों से जलते शब्द।
आंखों में खाबों से मचलते शब्द।।

दिल में अरमानों से पलते शब्द।
समय के साँचों में ढलते शब्द।।

पकड़, कोरे कागद पे उतार लेता हूं मैं
फिर हौले हौले इन्हें संवार लेता हूं मैं

प्यारी मां के लाड़ प्यार से शब्द।
पिता की डाँट फटकार से शब्द ।।

बचपन के लंगोटिए यार से शब्द।
बहन भाई और रिश्तेदार से शब्द॥

पकड़, कोरे कागद पे उतार लेता हूं मैं
फिर हौले हौले इन्हें संवार लेता हूं मैं

मेरे जैसे यार कुछ बदनाम से शब्द।।
पौष की धूप, जेठ की शाम से शब्द।

करें पवित्र जुबां को तेरे नाम से शब्द।
अल्लाह, वाहेगुरू और राम से शब्द॥

पकड़, कोरे कागद पे उतार लेता हूं मैं
फिर हौले हौले इन्हें संवार लेता हूं मैं


टिप्पणियाँ

  1. बहुत प्यारा प्रयोग............
    शब्द और शब्द के ज़रिये जीवन का ताना बाना
    बहुत उम्दा !
    अभिनन्दन !

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  2. भाई वाह क्या बात है, आपने ने तो इस रचना के माध्यम से कुछ बिते लम्हों को भी याद दिला दिया। उम्दा रचना बहुत खुब।

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  3. अंगीठी में कोयलों से जलते शब्द।
    आंखों में खाबों से मचलते शब्द।।

    शब्दों की ताकत को बहुत सही पहचाना आपने..खूबसूरत.

    जवाब देंहटाएं
  4. waah waah waah waah waah ..........bahut hi khubsoorat prayog hai ........atisundar

    जवाब देंहटाएं
  5. "प्यारी मां के लाड़ प्यार से शब्द।
    पिता की डाँट फटकार से शब्द ।।

    बचपन के लंगोटिए यार से शब्द।
    बहन भाई और रिश्तेदार से शब्द॥"
    बहुत सुन्दर रचना....बहुत बहुत बधाई....

    जवाब देंहटाएं
  6. LAGTAA HAI KI ANGITHI KI AAG ME TAPE KOYLE KI SYAAHI SE [JEEVAN ME ANUBHAVON SE SEENCHE GAYE ]SHABDON KO SHUDH AATMAA ROOPI KORE KAAGAD PAR UTAARAA HAI .HAM BHI PAVITR HO GAYE JI.

    जवाब देंहटाएं
  7. करें पवित्र जुबां को तेरे नाम से शब्द।
    अल्लाह, वाहेगुरू और राम से शब्द॥

    बहुत सुन्दर बहुत खूब ...

    जवाब देंहटाएं
  8. सही है शब्दों को पकड़ कोरे कागद पर उतार लिया जाता है, मगर इनसे तैयार हुए कागद के टुकड़े ही आगे चल कर किताब बनते हैं।

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