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fact 'n' fiction : राहुल गांधी को लेने आये यमदूत

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सुबह सुबह का समय था। राहुल गांधी अपने बिस्‍तर पर नींदफरमा थे। आंख खुली तो देखा, उसके बिस्‍तर के पास दो लोग खड़े हैं। राहुल ने चौकते हुए पूछा, आप कौन हैं ? सामने से उत्‍तर आया .. यम ऐम्‍बेसी से आये हैं। राहुल तपाक से बोले ... क्‍या मैं प्रधान मंत्री बन गया ? नहीं.. नहीं.. यमन ऐम्‍बेसी से नहीं, यम लोक वाली ऐम्‍बेसी से आये हैं। तो आप यहां क्‍यूं आये ? राहुल ने परेशानी वाले लिहाजे में पूछा। दरअसल हमारे लोक में एक रियालिटी शो का आयोजन होने जा रहा है। उसी के सिलसिले में आपको लेने आये हैं, आपका नाम राहुल है न ? यम दूतों ने पूछा। राहुल ने हौसला भरते हुये कहा, हां मेरा नाम राहुल है, लेकिन मुझे पता है, आप बिग बॉस बना रहें हैं, जहन्‍नुम का अओ, और जन्‍नत का वओ कंसेप्‍ट पर, लेकिन इस शो में पहले भाग ले चुका राहुल मैं नहीं, वे राहुल महाजन हैं। नहीं.. नहीं ... वो नहीं चाहिए। हम को ऐसा प्रतिभागी चाहिये जो लम्‍बा खेल सके। अच्‍छा.. अच्‍छा.., आपको राहुल द्राविड़ की तलाश कर रहे हैं। हां.... हां... मुझे पता है वे अच्‍छा क्रिकेट खेलते हैं। टेस्‍ट में तो उनको द वॉल का टैग भी मिला हुआ है, तो क्‍या आपक

frank talk : मुजफ्फरनगर दंगों के छींटे दुर्गा एक्‍सल से नहीं जायेंगे अखिलेश

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मुजफ्फरनगर में भड़काऊ भाषण देने के आरोपी बीजेपी विधायक संगीत सोम ने शनिवार को सरेंडर करते हुए नरेंद्र मोदी को प्रचार हथकंडा अपनाने के मुकाबले में पीछे छोड़ दिया। बीजेपी विधायक संगीत सोम ने ऐसे सरेंडर किया, जैसे वे किसी महान कार्य में योगदान देने के बाद पुलिस हिरासत में जा रहे हों। गिरफ्तारी के वक्‍त हिन्‍दुओं का हृदयसम्राट बनने की ललक संगीत सोम में झलक रही थी। शायद संगीत सोम को यकीन हो गया कि लोक सभा चुनावों के बाद नरेंद्र मोदी सत्‍ता में आयेंगे, जैसे नरेंद्र मोदी एलके आडवाणी के अवरोधों को तोड़ते हुए पीएम पद उम्‍मीदवार (एनडीएम) बने हैं। बीजेपी के विधायक संगीत सोम ने गिरफ्तारी के बाद कहा, मैं अपने धर्म की रक्षा के लिए लड़ता रहूंगा। शायद किसी ने संवाददाता ने पूछने की हिम्‍मत नहीं की कि आखिर आपका धर्म खतरे में कहां है ? अगर भारत में बहुसंख्‍यक धर्म संकट में है तो अल्‍पसंख्‍यक लोगों  में तो असुरक्षा का भाव अधिक होगा। जहां असुरक्षा का भाव है, वहां सुरक्षा के लिए तैयारियां होती हैं, और नतीजा हवा से दरवाजा बजने पर भी अंधेरे में तबाड़तोड़ गोलियां चल जाती हैं। इस नेता की गिरफ्त

विश्‍व की सबसे बड़ी दस कंपनियां

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हम सब ग्‍लोबल इकोनॉमी में रहते हैं। 1962 में कानेडियन दार्शनिक मार्शल मैकलुहान अपनी परिभाषा को 'ग्‍लोबल विलेज' के साथ आगे बढ़े। उन्‍होंने अपनी किताब में इस बात पर प्रकाश डाला कि किस तरह ग्‍लोबल और एक गांव के बीच संबंध स्‍थापित हो रहा है, एक इलेक्‍ट्रोनिक तकनीकी के कारण और जानकारी के तात्कालिक आंदोलन के कारण हर तिमाही पर हर जगह से एक ही समय पर सूचना उपलब्‍ध हो जाती है। इंटरनेट ने हमारे सोचने और सूचना प्राप्‍त करने का तरीका बदल दिया। हम बिजनस कर रहे हो या ट्रेवल, हमको हमेशा एक बात दिमाग में रखनी चाहिए कि हम ग्‍लोबल नेटवर्क में सक्रिय हैं। औद्योगिक क्रांति के कारण बढ़े कंप्यूटर के व्‍यापाक स्‍तर पर इस्‍तेमाल और बढ़ती जरूरतों के लिए व्‍यापाक पैमाने पर बढ़ी माल उत्‍पादन जरूरत ने छोटी कंपनियों को पीछे धकेल दिया, और इस क्रांति के कारण वे विश्‍व की सबसे बड़ी कंपनियों और फैक्‍ट्रियों के समूह बन गये। आज उनके पास लाखों कर्मचारी हैं, और अरबों में उनकी कीमत है। आज आप की मुलाकात विश्‍व की ऐसी दस बड़ी कंपनियों से करवाने जा रहे हैं, जिनका राजस्व बताता है कि उनकी हैसियत कितनी है। वॉक्‍सव

movie review : संतोषी का अंदाज फटा पोस्‍टर निखरा शाहिद

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भले ही फिल्‍म 'फटा पोस्‍टर निकला हीरो' के पोस्‍टर पर गलती से निकला 'निखला' हो गया हो, लेकिन फिल्‍म बनाते वक्‍त फिल्‍म निर्देशक राजकुमार संतोषी ने कोई चूक नहीं की, इसलिये 'फटा पोस्‍टर निकला हीरो' में सब कुछ निखरा निखरा नजर आया। निर्देशक राजकुमार संतोषी, जिनकी 'अंदाज अपना अपना' के दूसरे भाग के लिए दर्शक आंखें बिछाये बैठे हैं, ने एक बार फिर साबित कर दिया कि आज के समय में भी दो अर्थ वाली शब्‍दावली के इस्‍तेमाल के बगैरह एक अच्‍छी कॉमेडी फिल्‍म का निर्माण हो सकता है। आज भी किरण खेर जैसी मॉर्डन ओवर एक्‍टिंग वाली मां के बिना मां बेटे के रिश्‍ते पर एक फिल्‍म बन सकती है। राजकुमार संतोषी ने पुराने समय की कहानी को चुना, लेकिन स्‍थितियां आज की रखी, और पूरा फोक्‍स महिला शक्‍तिकरण की तरफ था। एक नौजवान को किस तरह दो महिलायें एक योग्‍य पुलिस अधिकारी बनने में मदद करती हैं। फिल्‍म में एक नायक विश्‍वास राव (शाहिद कपूर) की मां पद्मिनी कोल्हापुरे, तो दूसरी प्रेमिका काजल ( इलियाना डीक्रूज )। नायक की मां नायक को इमानदार पुलिस अधिकारी बनते हुये देखना चाहती है

fact 'n' fiction : सोनिया गांधी के नाम मल्‍लिका शेरावत का पत्र

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नमस्‍कार, सोनिया गांधी जी। आज सुबह जब दरवाजे के नीचे से कुछ अख़बार आये, हर सुबह की तरह। मैंने उनको दौड़कर उठाया। शायद किसी सुर्खी में मेरा नाम हो, लेकिन एक सुर्खी ने मुझे पत्र लिखने के लिए मजबूर कर दिया। उस सुर्खी में पूर्व सेना अध्‍यक्ष वीके सिंह का नाम था, और उन पर किसी गुप्‍तचर एजेंसी की स्‍थापना व गलत इस्‍तेमाल करने का आरोप था। सोनिया जी, यह वीके सिंह वहीं हैं ना, जो पिछले दिनों मेरे मूल राज्‍य हरियाणा के रेवाड़ी शहर में नरेंद्र मोदी के साथ नजर आये थे, एक पूर्व सैनिक रैली में। मुझे लगता है शायद उसी कार्य के लिए वीके सिंह सम्‍मानित किये जाने के प्रयासों का हिस्‍सा है यह सुर्खी। और एक संकेत है कि इस तरह के कार्य करने वाले अन्‍य लोगों को भी किसी न किसी रूप से सम्‍मानित किया जा सकता है, मैं सम्‍मानित नहीं होना चाहती, मुझे सम्‍मान पसंद नहीं, क्‍यूंकि मैं तो पहले ही बेरोजगारी का शिकार हूं, सम्‍मान वाले व्‍यक्‍ति तो छोटा मोटा काम नहीं कर सकते। रोजगार पाने के मकसद से तो गुजरात के मुख्‍यमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्‍मदिवस पर गीत गाया था, शायद किसी को मेरी आवाज पसंद आ जाये,