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सीटी स्‍केन रूम है या फन पार्क

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न्‍यूयॉर्क के सबसे बड़े बच्‍चों के अस्‍पताल के सीटी स्‍कैन रूम पहुंचते ही बच्‍चे अलग अनुभव करेंगे। सीटी स्‍कैन करवाते उनको अब पहले से कम डर लगने की संभावना है। दरअसल, मॉर्गन स्‍टैनले चिल्‍ड्रेन्‍स हॉस्‍पिटल प्रबंधन ने अपने सिटी स्‍कैन रूम को समुद्री लुटेरों के थीम वाले वार्ड बदल दिया है। इसके बदलाव को लेकर प्रबंधन का कहना है कि ऐसा इसलिए किया गया है ताकि बच्‍चे स्‍केनिंग के दौरान इस बात से न डरे कि वे अस्‍पताल के किसी वार्ड में खड़े हैं। इसके अलावा एक लम्‍बे अध्‍ययन के बाद  अस्‍पताल प्रबंधन ने जेई के साथ मिलकर एक ऐसी मशीन तैयार करवाई और यहां स्‍थपित की, जो पहले वाली मशीन के मुकाबले बच्‍चों के लिए कम नुकसानदेह साबित हो। . दरअसल, एक अध्‍ययन के तहत प्रबंधन ने महसूस किया था कि सीटी स्‍कैन मशीन से निकलने वाला रेडिएशन बच्‍चों पर बुरा प्रभाव डालता है। इस अस्‍पताल में नवजात शिशुओं से लेकर 21 साल तक के युवाओं का सीटी स्‍केन किया जाता है। Image :  Buzz Feed

It's Fake News - इंजी. छात्राओं के पेपर साहित्‍यक लाइबेरी में रखे जाएंगे

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गुजरात यूनिवर्सिटी ने फैसला किया है कि वे इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे 700 छात्रों में से कुछ छात्रों के पेपर साहित्‍यक लाइबेरी में भेजे जाएंगे। इसके लिए बकायदा समाचार पत्रों व अन्‍य साधनों के जरिये आवेदन मांगे जाएंगे। गुजरात यूनिवर्सिटी के अधिकारियों ने पिछले दिनों एक मीडिया रिपोर्ट में खुलासा किया है कि इंजीनियरिंग कर रहे छात्र बहुत होशियार हैं, लेकिन फिर भी पेपर पास नहीं कर पा रहे, क्‍यूंकि उनको साहित्‍य का कीड़ा काट चुका है। छात्र इतने प्रतिभाशाली हैं कि वे इंजीनियरिंग पेपर में पूछे गए सवालों के जवाब अपनी निजी कहानियों, कविताओं के जरिये दे रहे हैं। इसके साथ यूनिवर्सिटी ने चेताया कि छात्रों के पास अपना हुनर निखारने के लिए केवल 2015 तक का समय है, उसके बाद उनको साबित करने के लिए अन्‍य मौका नहीं दिया जाएगा। यूनिवर्सिटी को उम्‍मीद है कि अगले दो सालों में और बेहतरीन साहित्‍य कला कृतियां मिलेगीं। दीपिका, क्‍या देख रहे हो ? शाह रुख खान, कुछ नहीं, देख रहा हूं, इतनी बड़ी हिट के बाद भी कोई निर्माता निर्देशक साइन करने क्‍यूं नहीं आया। दीपिका, अरे बुद्धू, निर्माता निर्देशक ह

सत्‍याग्रह की फिल्‍म समीक्षा

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तमाम लटक- झटक दिखाने वाले ग्लैमरस सितारे, दाढी वाले अपने निर्देशक प्रकाश बाबू के साथ बुझे, घुटे और बोझिल से चेहरे लिए, कुल मिलाकर मन मारकर बुद्धु बक्से के कई कार्यक्रमों में "सत्याग्रह" का प्रमोशन करते दिखाई पड रहे थे, मुझे तो शक तभी हो गया था कि भैया इस फिल्मे में काम करके ये लोग फंस गए हैं, और अब इनसे हड्डी निगली नहीं जा रही. ..खैर सत्याग्रह नाम की इस फिल्म में बाद में तो यह समझ ही नहीं आता कि लोग आंदोलन क्यों कर रहे हैं , और आखिर क्यों अनशन पर बैठे हैं..? बताते हैं अपनी घोषणा के बाद से अब तक इसे बनाने में बहुत समय ले लिया बाऊजी जी ने.. और जो बनाया है तो उसमें इतना हडबडी के साथ दिखा है कि पूछो मत.. इतनी घाई, मानों प्रोजेक्ट खत्मू करने का दबाव था. फिल्म शुरू होते हुए हाथ में रहती है, लेकिन उसके बाद तो मानों सब कुछ निर्देशक के हाथों से, दर्शकों की आंखों से और महिला अभिनेत्रियों के चेहरे से मेकअप की तरह फिसलती हुई दिखती है... अब आगे आपकी मर्जी...!!! सारंग उपाध्‍याय की फेसबुक से 

म्‍यांमार मामले पर केंद्रीय रक्षा मंत्री ने कहा, आंख दिखाना बुरी बात

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भारतीय जमीन को निरंतर हथियाने के प्रयास हो रहे हैं। कभी चीन की ओर से, कभी पाकिस्‍तान की ओर से, अब फेहरिस्‍त में एक नया नाम जुड़ गया म्‍यांमार का, उधर श्रीलंका ने हमारे तीन सौ से अधिक मछुआरों को गिरफ्तार कर लिया। ऐसे में देश के रक्षा मंत्री से विशेष बातचीत करना बनता है। एंकर - भारतीय सीमा पर म्‍यांमार ने चौंकी स्‍थपित करने का मन बना लिया है। कहें तो चीन और पाकिस्तान के बाद अब छोटा सा मुल्क म्यांमार भी भारत को आंखें दिखाने लगा है। इस बारे में सरकार की क्‍या प्रतिक्रिया है ? केंद्रीय रक्षा मंत्री - हमारा देश राष्‍ट्रपिता महात्‍मा गांधी, जिनको अहिंसा के पुजारी कहा जाता है, की विचारधारा का अनुसरण करता है। महात्‍मा ने कहा है कि बुरा देखना मना है, और आंख दिखाना बुरी बात है, ऐसे में भारत इसको नहीं देख सकता। जब देख नहीं सकते तो कोई प्रतिक्रिया देने की जरूरत नहीं लगती। एंकर - ऐसे में तो म्‍यांमार के हौसले बढ़ जाएंगे ? केंद्रीय रक्षा मंत्री - चीन के सैनिक किस दिन काम आएंगे, यह हिस्‍सा उनको सुपुर्द कर दिया जाएगा, वे खाली करवाकर हम को सौंप देंगे, क्‍यूंकि चीन गांधी के नियमों का अनु

भारत सरकार और डॉलर में होगी सीधी वार्ता

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डॉलर द्वारा भारतीय रुपये पर हो रहे निरंतर हमलों से सरकार पूरी तरह चिंतित है, लेकिन सरकार सोच रही है कि केवल चिंतन मंथन करने से काम नहीं चलेगा, अब पानी सिर से ऊपर निकल चुका है, ऐसे में डॉलर के साथ बैठकर आमने सामने बात करनी ही होगी।  सरकारी सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार सरकार बहुत जल्‍द डॉलर के साथ बैठकर इस विषय पर बात करेगी। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सरकार इस मामले में तीन दौर की बैठक का आयोजन कर सकती है। उम्‍मीद है कि डॉलर रुपये को इज्‍जत देने के लिए तैयार हो जाएगा, और इस समझौते से रुपये की गिरती हालत में सुधार होगा। डॉलर का रुपये के प्रति कड़ा रुख वैसे तो सरकार से बर्दाशत नहीं होता, लेकिन वार्ता के दौरान सरकार शांति व गांधीगिरी से काम लेगी। उधर, जब इस बारे में वित्‍त मंत्री से संपर्क साधा गया, और रुपये की दिन प्रति दिन बिगड़ रही तबीयत के बारे में पूछा गया तो उन्‍होंने कहा, लोगों को डॉलर की खरीददारी पर अंकुश लगाने की अपील की जा रही है, लेकिन लोग डॉलर खरीदने में अधिक दिलचस्‍प ले रहे हैं, उनको लग रहा है कि डॉलर भी सोने की तरह अच्‍छा रिटर्न देगा। साले पागल लोग। सरका