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प्रकाश झा का 'चक्रव्‍यूह'

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प्रकाश झा की अगली फिल्‍म 'चक्रव्‍यूह- ए वार यू कैननोट इस्‍केप' 24 अक्‍टूबर को रुपहले पर्दे पर नजर आएगी, जिसका प्रमोशन 16 अगस्‍त से शुरू हो गया। प्रकाश झा की फिल्‍में समस्‍याओं पर आधारित होती हैं या कहें लकीर से हटकर। प्रकाश झा की फिल्‍म चक्रव्‍यूह की स्‍टार कास्‍ट देखकर लगता है कि प्रकाश झा, इस बार सिनेमा की खिड़की पर जोरदार हल्‍ला बोलने वाले हैं। गैंगस ऑफ वासेपुर व पान सिंह तोमर को मिले रिस्‍पांस के बाद चक्रव्‍यूह जैसी फिल्‍म को बॉक्‍स ऑफिस पर सफलता मिलने की पूरी पूरी उम्‍मीद है। 16 अगस्‍त को जारी किए गए चक्रव्‍यूह के पोस्‍टर बयान करते हैं कि फिल्‍म बनाते हुए काफी ध्‍यान रखा गया है। सबसे पहले ऐसे संवेदनशील मुद्दों के लिए गम्‍भीर कलाकारों की जरूरत होती है, जो प्रकाश झा ने अभय दिओल, मनोज वाजपेयी, रामपाल, ओमपुरी को चुनकर पूरी की, क्‍यूंकि ऐसे मुद्दों पर सुपर स्‍टारों को जबरदस्‍ती नहीं धकेला जा सकता। प्रकाश झा की पहली च्‍वॉइस मनोज वाजपेयी अपने आप में उम्‍दा कलाकार हैं, उनके अभिनय पर कभी शक नहीं किया जा सकता। अभय दिओल की बात की जाए तो उन्‍होंने हमेशा ऑफ बीट एवं कम बजट की

शादी पर पापा का बेटे को पत्र

तुमने 'दु:खी शादीशुदा लोगों' और आलोचकों द्वारा बनाए गए सारे चुटकले सुने होंगे। अब, अगर किसी और ने तुम्‍हें यह न सुझाया हो, तो यह दूसरा नजरिया है। तुम मानव जिन्‍दगी के सबसे सार्थक रिश्‍ते में बंध रहे हो। इस रिश्‍ते को तुम जैसा बनाना चाहो वैसा बना सकते हो। कुछ लोग सोचते हैं कि उनकी मर्दानगी तभी साबित होगी, जब वे लॉकर रूम में सुनी सारी कहानियों को जिन्‍दगी में उतारेंगे। वे निश्‍िचंत रहते हैं कि जो बात पत्‍नी को पता ही नहीं उससे वह दुखी नहीं होगी। सच्‍चाई ये है कि किसी तरह, कहीं अंदर से, उसके द्वारा कॉलर पर लिपस्‍टिक का निशान पाए जाने या तीन बजे तक कहां थे, के लचर बहानों के पकड़े जाने के बिना ही पत्‍नी को पता चल जाता है और इसी जानकारी के साथ, इस रिश्‍ते की गहराई में कुछ कमी आ जाती है। ऐसे पति जो अपनी शादी का रोना रोते हैं, जबकि उन्‍होंने खुद ही रिश्‍ता खराब किया है, कहीं ज्‍यादा हैं, उन पत्‍नियों से, जिन पर यह इल्‍जाम लगाया जाता है। भौतिक विज्ञान का एक पुराना नियम है कि तुम एक चीज से उतना ही निकाल सकते हो, जितना तुम उसके अंदर डालते हो। जो व्‍यक्‍ित अपने हिस्‍से का आधा ही शादी पर न

कैग की जीरो या मैडम का अंडा

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कपूर खानदान की लाडली करीना कपूर ने जब अपनी फिगर के आगे जीरो लगाया, तो कई अभिनेत्रियों की नींद उड़ गई, जैसे फायर की आवाज सुनते ही पेड़ से पंछी एवं कई अभिनेत्रियों को पेक अप बोलना पड़ा। जब 2012 में कैग ने अपनी रिपोर्ट में जीरो लगाई तो कांग्रेस के हाथ पैर पीले पड़ गए और कांग्रेस ने कैग की रिपोर्ट को जीरो बताते हुए कि कैग को जीरो लगाने की आदत है, कह डाला। इतना कहने से कांग्रेस का पीछा कहां छूटने वाला था। शून्‍य ऑवर होने से पहले ही संसद 'जीरो लगाने के मुद्दे' को लेकर बुधवार तक स्‍थगित हो गई। कांग्रेस भले ही कहती रहे 'कैग को जीरो लगाने की आदत है', मगर विपक्ष एक बात पर अड़िंग है कि देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अपने पद से अस्‍तीफा दें, जो अपनी उदासीनता के चलते हीरो से जीरो हो चुके हैं। यह जीरो कांग्रेस को जीरो करने में कितना रोल अदा करने वाली है, यह बात तो आगामी लोक सभा चुनावों में ही सामने आएगी। जिस तरह के माहौल कांग्रेस के खिलाफ बन रहा है, ऐसे में कांग्रेस को जीरो में जाने की जरूरत है, मतलब शून्‍य में जाने की जरूरत है, जिसको आध्‍यत्‍मिक गुरू ध्‍यान कहते हैं। कां

मैं हूं सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट

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सरकार अपनी नाकामियों का ठीकरा मेरे सिर फोड़ रही है। मैं हूं सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट। मैं किस से कहूं अपने दिल की बात। सब कहते हैं मेरे द्वारा दुनिया भर से अपने दिल की बात। मैं दुखी हूं, जब कोई मेरे खिलाफ बयान देता है। भारतीय सरकार एवं भारतीय मीडिया तो मेरे पीछे हाथ धोकर पड़े हुए हैं, जबकि देश की सरकार एवं कई मीडिया संस्‍थानों के बड़े धुरंधर मेरे पर आकर अपना उपदेश जनता को देते हैं। खुद को ब्रांड बनाने के लिए मेरा जमकर इस्‍तेमाल करते हैं। फिर भी आज वो ही मुझ पर उंगलियां उठा रहा है, मुझ पर आरोपों की झाड़ियां लगा रहा है, जो मीडिया कभी लिखता था मैंने कई साल पहले बिछड़े बेटे को मां से मिलवाया एवं मैंने असहाय लोगों को बोलने का आजाद मंच प्रदान किया, आज वो मीडिया भी मेरी बढ़ती लोकप्रियता से अत्‍यंत दुखी नजर आ रहा है। शायद उसकी ब्रेकिंग न्‍यूज मेरे तेज प्रसारण के कारण आज लोगों को बासी सी लगने लगी है और मेरा बढ़ता नेटवर्क उसकी आंख में खटकने लगा है। मेरे पर मीडिया कर्मियों, नेताओं और आम लोगों के खाते ही नहीं, फिल्‍म स्‍टारों के भी खाते उपलब्‍ध हैं, कुछ मीडिया वालों ने तो मेरे पर लिखी जाने वाली

'जिस्‍म की नुमाइश' से शोहरत के दरवाजे तक

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यह कहानी एक ऐसी युवती की, जो दौलत को मानती है सब से बड़ी ताकत और शोहरत पाने के लिए जिस्‍म को बनाया औजार। ट्विटर पर लगाकर नग्न तस्वीरें  युवाओं के दिलों में हलचल पैदा करने वाली युवती आखिर पहुंच गई लॉस एंजलिस में प्लेबॉय के आलीशान गलियारों तक। यह युवती कोई और नहीं, बल्‍िक शेर्लिन चोपड़ा है। जो कुछ साल पहले बड़े स्‍वप्‍न लेकर मायानगरी में घुसी थी। निशाना अपने बल पर दौलत कमाना। दौलत के साथ लोकप्रियता। वो यह बताते हुए हिचकचाती नहीं कि शुरूआत के दिनों में जब वो संघर्ष के दौर से गुजर रही थी तो उसके कुछ संबंध बने, तो कहीं शोषण का भी शिकार होना पड़ा। पैसा कमाने की दुस्साहसी महत्वाकांक्षा उसको ऐसे मोड़ पर ले आई। जहां उसने शर्म हया का वो पर्दा हटा दिया, जो शरीफ लोग अक्‍सर पर्दे के पीछे उतारते हैं। जब ट्विटर पर होने वाली भद्दी टिप्‍पणियों के बारे में हिंदुस्तान टाइम्स सवाल पूछता है तो शर्लिन कहती है ''अगर आपको वेश्या समझे जाने से ही पूरी तरह आजादी का अहसास होता है, तो यही सही''। एक अन्‍य सवाल के जवाब में जब शर्लिन कहती हैं, ''मैं पहले हैदराबाद में अपने परिवार से डरती थी,