संदेश

कंधे बदलते देखे

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चिता पर तो अक्सर लाशें जलती हैं दोस्तो, मैंने तो जिन्दा इंसान चिंता में जलते देखे। तब जाना, जरूरत न पैरों की चलने के लिए जब भारत में कानून बिन पैर चलते देखे। फरेबियों को जफा भी रास आई दुनिया में, सच्चे दिल आशिक अक्सर हाथ मलते देखे। सुना था मैंने, चार कंधों पर जाता है इंसाँ मगर, कदम दर कदम कंधे बदलते देखे। कुछ ही थे, जिन्होंने बदले वक्त के साँचे वरना हैप्पी, मैंने लोग साँचों में ढलते देखे।  चलते चलते : प्रिय मित्र जनक सिंह झाला की कलम से निकले कुछ अल्फाज। हमारे जनाजे को उठाने वाले कंधे बदले, रूह के रुकस्त होने पै कुछ रिश्ते बदले, एक तेरा सहारा काफी था मेरे दोस्त, वरना, जिंदगी में कुछ लोग अपने आपसे बदले। आभार

मिलन से उत्सव तक

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तु मने मुझे गले से लगा लिया पहले की भांति फिर अपना लिया न कोई गिला किया, ना ही शिकवा शिकायत ना ही दी मुझे कोई हिदायत बस पकड़कर चूम लिया मुझे मानो तुम, मेरे ही इंतजार में थे तुम सच जानो, मैं इस स्पर्श को भूल सा गया था किसी के किए हुए एहसान की तरह मैं भी उलझकर रह गया था मायावी जाल में आम इंसान की तरह मगर आज मेरे कदम मुझे खींच लाए छत्त की ओर मुझे ऐसा खींचा, जैसे पतंग खींचे डोर छत्त पर आते ही मुझे, तुमने प्रकाशमयी बाँहों में भर लिया तेरे इस स्पर्श ने जगा डाला मेरी सोई आत्मा को तेरे प्रकाश की किरणें बूँदें बन बरसने लगी मेरे रूह की बंज़र जमीं फिर से हरी भरी हो गई तुमने मुझे जैसे ही छूआ, हवाओं ने पत्तों से टकराकर वैसे ही संगीत बना डाला पंछियों ने सुर में गाकर तेरे मेरे मिलन को उत्सव बना डाला। तेरे प्रकाश ने भीतर का अंधकार मिटा दिया, जैसे लहरों ने नदी के किनारे लिखे नाम। इस रचना द्वारा मैंने सूर्य और मानवी प्रेम को दर्शाने की कोशिश की है। दोनों के बीच के रिश्ते को दर्शाने की कोशिश। सूर्य और मानव में भी एक प्रेमी प्रेमिका का रिश्ता है, लेकिन प्रेम शून्य की अवस्था म

मन की बातें...जो विचार बन गई

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हँ सता हुआ चेहरा, खिलता हुआ फूल, उगता हुआ सूर्य व बहता हुआ पानी रोज देखने की आदत डालो। मुस्कराना आ जाएगा। -: कुलवंत हैप्पी ई श्वर को आज तक किसी ने परिभाषित नहीं, लेकिन जो मैंने जाना, वो ईश्वर हमारे भीतर है, और कला ही उसका असली रूप है। तुम्हारी कला ही तुम को सुख शांति यश और समृद्धि दे सकती है। जो तुम ईश्वर से पाने की इच्छा रखते हो। -: कुलवंत हैप्पी बॉ स की झूठी जी-हजूरी से अच्छा है, किसी गरीब को सच्चे दिल से थैंक्स कहना। क्योंकि यहाँ प्रकट किया धन्यवाद तुम्हें आत्मिक शांति देगा। -: कुलवंत हैप्पी अ गर इंवेस्टमेंट करना ही है, तो क्यों न प्रेम किया जाए, ताकि जब रिटर्न हो, तो हमें कागज के चंद टुकड़ों से कुछ बेहतर मिले। :-कुलवंत हैप्पी हे ईश्वर, जो भी तुमने मुझे दिया, वो मेरे लिए अत्यंत दुर्लभ है। मैं उसके लिए तेरा सदैव शुक्रिया अदा करता हूँ। :-कुलवंत हैप्पी आभार

हैप्पी अभिनंदन में गिरीश बिल्लोरे

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हैप्पी अभिनंदन में आज जिस ब्लॉगर हस्ती से आपकी मुलाकात होने जा रही है, वो लेखन ब्लॉगिंग से पॉडकास्टिंग ब्लॉगिंग तक पहुंच बना चुके हैं। वो जबलपुर में बैठकर भी दुनिया के किसी भी कोने में बैठे ब्लॉगर साथी के पास कुछ ही मिनटों में पहुंचकर, अपनी मधुर मीठी आवाज से उनके कानों में बातों का शहद खोलते, कुछ सवालों के मार्फत उनके भीतर के विचारों को जन जन तक पहुंचा देते हैं। अब उनके बारे में कुछ और कहने की जरूरत तो रह ही न गई, आप समझ ही गए होंगे मैं उनकी बात कर रहा हूँ, जो ब्लॉगर जगत के साँचे में बिल्कुल फिट बैठ गए, लेकिन गीत लिखने के शौकीन फिर भी कहते हैं गिरीश बिल्लोरे मिसफिट । कुलवंत हैप्पी : आपने ब्लॉगवुड में आगमन कब और कैसे किया? गिरीश बिल्लोरे : उस बच्चे के लिए नेट से जुड़ा जिसे आप सब आभास जोशी के नाम से जानतें हैं, बस मुझे नेट पर मिली श्रद्धा जैन जी और फिर पूर्णिमा वर्मा जी फिर छपाक से एक दिन मिले एक उड़न तश्तरी आई तीनों ने बना दिया ब्लॉगर। कुलवंत हैप्पी : आपका लेखन ब्लॉगिंग से पॉडकास्टिंग ब्लॉगिंग की ओर जाना कैसे हुआ? गिरीश बिल्लोरे : किसी कवि नें कहा ''मैं वो परवाना नहीं जो

लव सेक्स और धोखा बनाम नग्न एमएमएस क्लिप

फिल्म के निर्देशक और निर्माता ने फिल्म का शीर्षक समयोचित निकाला है, क्योंकि ज्यादातर दुनिया ऐसी होती जा रही है, प्रेम अभिनय की सीढ़ी जिस्म के बंगले तक पहुंचने के लिए लोग लगाते हैं, स्वार्थ पूरा होते ही उड़ जाते हैं जैसे फूलों का रस पीकर तितलियाँ। मुझे फिल्म के शीर्षक से कोई एतराज नहीं, लेकिन फिल्म समीक्षाएं पढ़ने के बाद फिल्म से जरूर एतराज हो गया है, ऐसा भी नहीं कि मैं कह रहा हूँ कि खोसला का घोंसला और ओए लक्की लक्की ओए जैसी फिल्म देने वाला निर्देशक एक घटिया फिल्म बनाएगा।    मैं जो बात करने जा रहा हूँ, वो फिल्म में न्यूड सीन के बारे में है, कहते हैं कि निर्देशक ने बहुत साधारण वीडियो कैमरों से बहुत ही उम्दा ढंग से इन सीनों को फिल्माया है। अगर कोई साधारण कैमरे से अच्छी चीज का फिल्मांकन करता है तो इस बात के लिए उसकी प्रशंसा कर सकता हूँ, अगर कोई कहता है कि उसने नग्न एमएमएस क्लिप को भी बढ़िया ढंग से शूट किया तो मुझे समझ नहीं आता कि उसकी प्रशंसा कैसे और क्यों करूँ। हाँ, बात कर रहे थे, फिल्म में नग्न दृश्य डालने की, शायद पहली बार ऐसा हिन्दी फिल्म में हुआ, हमबिस्तर होते तो हर फिल्म में दिखाई