काव्य रूप में कुछ सुलगते सवाल
नाक तेरी तरह थी, लेकिन ठोडी थोड़ी सी लम्बी, मेरी तरह..मैं सिनोग्राफी की बात कर रहा था। अगर ऐसा हुआ तो मैं उसको दबा दबा उसका चेहरा गोल कर दूंगी..पत्नी बोली। फिर मैं चुप हो गया। उसको मुझे से दूर रखना, क्योंकि उसका पिता सनकी है, पागल है..कुछ देर के बाद मैं चुप्पी तोड़ते हुए बोला। मैं उसको उसके नाना के घर छोड़ आऊंगी..वहीं पढ़ लिखकर बड़ा आदमी बन जाएगा..पत्नी थोड़े से रौ में आते हुई बोली। ठीक है तुम भी वहीं को जॉब बगैरा कर लेना, तुम बहुत समझदार हो..तुम को अब मेरी जरूरत नहीं। अब देश को मेरी जरूरत है, मैं चला जाऊंगा..अब मैं बोल रहा था। उसने बात काटते हुए कहा..कल क्यों अभी जाओ ना। मैंने कहा कि नहीं उसका चेहरा देखकर जाऊंगा। शायद मेरी ऊर्जा में इजाफा हो जाए। अब बातें खत्म हुई और मैं सो गया...मुझे नहीं पता कि मैं सोया या फिर रात भर जागता रहा। जब सुबह होश आई तो एक तरफ आलर्म बज रहा था और दूसरी तरह मेरे जेहन से कुछ शब्द निकलकर मेरी जुबां पर दौड़ रहे थे। मुझे लग रहा था कि मैं रात भर सोया नहीं और किसी ध्यान में था।..वो शब्द आपकी खिदमत में हाजिर हैं। आंखों में है समुद्र अगर, तो आंसू कोई ढलकता क्यों नहीं। भू