शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई
युवा कवि नितिन फलटणकर |
हम भूल गए सारे जख्म
और फिर से चर्चा शुरू हुई।
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।
हम भूल गए माँ के आँसू
हम भूल गए बहनों की किलकारी।
बस समझौते के नाम पर फिर से चर्चा शुरू हुई।
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।
वो आग उगलते रहते हैं
हम आँसू बहाते रहते हैं।
बहते आँसू की स्याही से इतिहास रचने की चर्चा शुरू हुई
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।
वो घात लगाए बैठे हैं।
हम आघात सहते रहते हैं।
आघातों की लिस्ट बनाने नेताओं की चर्चा शुरू हुई।
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।
पूछो इन नेताओं को, कोई अपना इन्होंने खोया है?
बेटे के खून से माताओं ने यहाँ बहुओं का सिंदूर धोया है।
इस सिंदूर के लाली की चर्चा फिर से शुरू हुई।
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।
शब्द बाण कब बनेंगे।
जख्म हमारे कब भरेंगे?
नए जख्म सहने की चर्चा यहाँ शुरू हुई,
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।
"पूछो इन नेताओं को, कोई अपना इन्होंने खोया है?
जवाब देंहटाएंबेटे के खून से माताओं ने यहाँ बहुओं का सिंदूर धोया है।
इस सिंदूर के लाली की चर्चा फिर से शुरू हुई।
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।"
यह सवाल तो हर भारतवासी पूछना चाहता है इन नेताओ से!
बेहद उम्दा रचना !
आपको और नितिन जी को बहुत बहुत धन्यवाद और आभार !
"पूछो इन नेताओं को, कोई अपना इन्होंने खोया है?
जवाब देंहटाएंबेटे के खून से माताओं ने यहाँ बहुओं का सिंदूर धोया है।
इस सिंदूर के लाली की चर्चा फिर से शुरू हुई।
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।"
बेहद मार्मिक अभिव्यक्ति……………………हालात का दर्दनाक चित्रण्……………यूँ तो पूरी रचना बेहद प्रभावशाली है मगर इन पन्क्तियों ने दिल छू लिया।
पूछो इन नेताओं को, कोई अपना इन्होंने खोया है?
जवाब देंहटाएंबेटे के खून से माताओं ने यहाँ बहुओं का सिंदूर धोया है।
इस सिंदूर के लाली की चर्चा फिर से शुरू हुई।
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।
Ye sarvaadhik sashakt panktiyaan hain..charcha,commission,aayog..sab barqaraar hai..!
बातचीत शुरू कर रहे नेताओं को यह कविता वार्ता से पहले इनके हाथ में देनी चाहिए। आखिर बातचीत फिर ऐसी किसी वारदात के लिए। एक बार की गलती, गलती कहलाती है। दूसरी बार करो तो मूर्खता है। ये तो कितनी ही बार कर चुके हैं। उम्दा कविता है। Varnika
जवाब देंहटाएंसचमुच...जिन्हें आगे बढ़ दण्डित करना चाहिए, उनसे आगे बढ़ वार्ता को लोग निकले हैं...जय हो शर्महीन राजनीति और राजनेताओं की...
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर सार्थक रचना...मन को उद्वेलित कर गयी...
अच्छी रचना है, नितिन
जवाब देंहटाएंबधाई
इस रचना के माध्यम से अपने जो स्थिति पेश की और सवाल उठाएं हैं वह निश्चय ही काबिलेतारीफ हैं लेकिन मैं इतना जरुर समझता हूं कि अगर हम भी बातचीत के बजाय गोली से बात करेंगे तो फिर उनमें और हमारे में कोई फर्क नहीं रहेगा, इसलिए बातचीत भी जरुरी है लेकिन ठोस आधार पर, सिर्फ चाय- पानी या डिनर डिप्लोमेसी के जरिए नहीं बल्कि इसके आधार ऐसे हों, जिसके कोई सार्थक परिणाम सामने आएं ताकि देशवासियों को कुछ तो राहत मिले। वैसे, अगर हम सरकार की इस सार्थक कोशिश की सराहना करें तो मेरे ख्याल से सरकार के प्रतिनिधि मजबूती व विश्वास से न केवल वार्ता करेंगे अपितु इसके ठोस नतीजे निकलने की भी उम्मीद बंध पाएगी। अगर इसी पीढी में इस समस्या का निदान हो जाए तो कम से कम हमारी भावी पीढी तो सुकून से जिंदगी जी सकेंगे। वैसे भी अगर पडोसी से संबंध सौहार्दपूर्ण हों तो निश्चय ही जिंदगी जीने का अलग ही मजा होता है।
पूछो इन नेताओं को, कोई अपना इन्होंने खोया है?
जवाब देंहटाएंबेटे के खून से माताओं ने यहाँ बहुओं का सिंदूर धोया है।
इस सिंदूर के लाली की चर्चा फिर से शुरू हुई।
शहीदों की अर्थी पर शब्दों की वर्षा शुरू हुई।
बिलकुल सही प्रश्न है मगर पूछे कौन? किसी की सुनते भी हैं ये नेता? शुभकामनायें