नहीं चखी चार दिन से सब्जी
मैं बठिंडा के लिए निकला और नागदा से मुझे फिरोजपुर जनता पकड़नी थी, लेकिन वो गाड़ी रात को दस बजे के करीब आती है, मैंने सात बजे नागदा पहुँच गया, सोचा क्यों न, नागदा की सैर कर ली जाये, मैं बाज़ार घूमते घूमते बाज़ार के बीचों बीच पहुँच गया, यहाँ कुछ महिलाऐं एवं पुरुष धरने पर बैठे हुए, वहां पर लगे बोर्ड पढने के बाद पता चला के वो सब्जी भाजी वाले हैं, जिनकी जगह छीन ली गयी है, कहो तो उनकी रोजीरोटी छीन ली, वो अपनी मांग को लेकर पिछले सोमवार से बैठे हुए हैं, दिलचस्प बात तो ये है के पिछले सोमवार से जयादातर नागदा वासिओं ने सब्जी का स्वाद चखकर नहीं देखा, क्योंकि वो सब्जी नहीं ला रहे, पता नहीं ये कब तक चलेगी, पर मैं तो इस पोस्ट के साथ बठिंडा के लिए रवाना हो जऊंगा, बस दुआ करता हूँ, नागदा वासिओं को सब्जी मिले और सब्जी वालों को उनकी जगह, तब तक के लिए इजाजत चाहूँगा,
मैं गूगल की गूगल इंडिक ट्रांस्लितेरेशन लब्स का अति आभारी हूँ, जो हिंदी लिखने में हर जगह सही हो रही है.
मैं गूगल की गूगल इंडिक ट्रांस्लितेरेशन लब्स का अति आभारी हूँ, जो हिंदी लिखने में हर जगह सही हो रही है.
वजह यह है
जवाब देंहटाएंएक महिला ने एक सब्जी वाले की भिंडी को नीचे से तोड़कर, घिये को अंगूठा चुभाकर, टमाटर को दबाकर जब जांचा तो सब्जी वाला बोला इतनी जांच अगर आपकी भी होगी तो आप भी फेल हो जाएंगी।
सब्जी न मिलने का कारण यह है।
आस पास गां्व से ला पका दो... कहो तो दिल्ली से भिजवा दें..:)
जवाब देंहटाएंनागदा में सब्जी की कमी नहीं सब्जी वालों को बिठाने को स्थान की कमी है।
जवाब देंहटाएंचलो, उनकी मांगे पूरी होने के लिए शुभकामनाऐं. आप तो बठिंडा पहुँच कर अब तक सब्जी दबा कर मस्त होगे. :)
जवाब देंहटाएंसब्जी सभी को चखने मिले मेरी शुभकामनाये उनके साथ है .
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