खेत और ऑफिस

खेतों के बीचोबीच
एक पानी वाली मोटर
और पेड़ों से घिरा
एक कमरा

डिग्गी में गिरते
ट्यूबवेल के ताजे ताजे पानी में नहाना
पेड़ों तले पड़ी खटिया पर
तो कभी जमीं पे बिछा कपड़ा लेट जाना
क्या अजब नजारा था


कड़कती धूप में काम करना
और पसीने का
सिर से पांव तक आना
याद है शाम ढले
बैल गाड़ियों की दौड़ लगाते
गांव तक आना

आफिस में
की-बोर्ड की टिकटिक
और सड़क पर
वाहनों की टीं टीं
कानों को झुंझला देती है


आजकल तो ऑफिस में
फर्निचर पर हथौड़ों की ठकठक
सिर दुखा देती है

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