पूर्वजों को ऑनलाइन दें श्रद्धांजलि

इंदौर के हवाई अड्डे से करीबन तीन चार किलोमीटर दूर एक ऐसा स्थान है, जहां पूर्वजों की याद में पौधे लगाए जाते हैं. इस जगह का नाम है पितृ पर्वत, जहां पर हजारों पौधे लगे हुए हैं पूर्वजों की याद में, कुछ तो पेड़ बन गए और कुछ अभी अपने शुरूआती पड़ाव पर हैं, मुझे इस जगह जाकर बहुत अंदर मिलता है. इस का मुख्य कारण एक तो वहां का शुद्ध वातावरण और दूसरा शहर के शोर शराबे से दूर, तीसरा यहां पहुंचकर लोगों का अपने पूर्वजों के प्रति प्यार पेड़ पौधों के रूप में झलक था, जिन पर पंछी अपना बसेरा बनाते हैं और इस जगह आने वाले इन पेड़ों की छाया में बैठते हैं, जैसे परिवारजन घर के मुखिया की छांव तले जिन्दगी को बेचिंत बेफिक्र जीते हैं. इस स्थान की देखरेख नगरनिगम के कर्मचारी करते हैं, यहां पर शहर से आने वाले लोगों के लिए एक बढ़िया पार्क भी है और बैठे के लिए अच्छा प्रबंध है. हां, याद आया अब तो पूर्वजों की याद को हम सब इंटरनेट पर भी संभालकर रख सकते हैं, ऐसी ही एक वेबसाइट पिछले दिनों मेरे ध्यान में आई, जिसको भी इंदौर के रहवासी ने तैयार किया है। पुण्य-समरण के नाम से बनी इस वेबसाईट पर पूर्वजों की जीवनी का सारांश भी दे सकते हैं. इतना ही नहीं इस वेबसाईट पर पूर्वजों को ऑनलाइन श्रद्धांजलि भी दे सकते हैं. जैसे देश वैसा भेष आज के युग में किसी के पास मंदिर जाने का वक्त नहीं, पूर्वजों को उनकी समाधि पर जाकर पुष्प अर्पित करने का समय नहीं, तो क्यों न अब पूर्वजों का सम्मान करने के लिए घर में पड़े कम्यूटर पर इंटरनेट खोलकर एक म्यूस क्लिक से श्रद्धांजलि दें. शायद स्वर्ग में भी कम्प्यूटर का चलन बढ़ गया हो, और आपके कम्प्यूटर से दी हुई श्रद्धांजलि वहां तक पहुंच जाए, जिसके पूर्वजों को खुशी महसूस हो॥इतना ही नहीं, अखबारों की तरह अब आप इस वेबसाइट पर उनके तेरहवें, पाठ एवं अन्य की जानकारी अपनों तक पहुंचा सकते हैं. ये सुविधा विदेश में फंसे हुए लोगों के लिए कारगार सिद्ध हो सकती है, क्योंकि वो यहां पर पहुंचकर तो अपने पूर्वजों के अंतिम यात्रा में शामिल नहीं हो सकते, किंतु वहां से बैठकर ऑनलाइन तो श्रद्धांजलि दे सकते हैं. http://www.punyasmaran.com

टिप्पणियाँ

  1. बेनामी2/24/2009 2:50 pm

    इस जानकारी के लिए 'जय हो।'

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  2. कमाल है! हमें तो पता ही नहीं था कि जमाना इतना आगे निकल चुका है........आभार

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