नहीं चाहिए ऐसी सेना

हिन्दुस्तान को गांधी का देश कहा जाता है, जो अहिंसा के पुजारी के रूप में पूरे विश्वभर में प्रसिद्ध हैं. इस धरती पर भगवान श्री राम, रामभगत हनुमान, श्री कृष्ण एवं गुरू नानक देव जैसे महापुरुषों ने जन्म लिया, जिन्होंने समय समय पर जनता का कल्याण किया. लेकिन उस वक्त बहुत दुख होता है, जब कुछ घटिया मानसिकता एवं गंदी सोच के मालिक इन महान शख्सियतों को अपना आदर्श बताकर उसकी आढ़ में बुरे एवं निंदनीय कृत्यों को अंजाम देते हैं.पिछले दिनों मंगलूर के एक पब में जो कुछ श्रीराम सेना के वर्करों ने किया, उसको देखकर लगता है कि वो राम की सेना नहीं बल्कि किसी रावण की सेना है, जो राम के नाम का मखौटा पहनकर राम के नाम को कलंकित कर रही है. जैसे कुछ अन्य हिन्दुवादी संगठन हिन्दुत्व को बदनाम कर रहे हैं. ओशो ने सही कहा था कि किसी महात्मा को भय अपने आलोचकों से नहीं बल्कि अपने उन कुछ न-समझ भगतों एवं मानने वालों से होता है, जो उसको मारने के लिए तत्पर्य रहते हैं। अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी को किसी गोडसे ने नहीं बल्कि उनको मानने वालों ने तिल तिलकर मारा है. गोडसे ने तो केवल गांधी के शरीर की हत्या की, लेकिन कुछ घटिया किस्म के गांधीवादी लोगों ने गांधी के विचारों की हत्या की, जो कि गांधी का अस्तित्व था. पिछले दिनों जो कुछ श्री राम सेना वर्करों ने मंगलूर के एक पब में किया, वो कोई राम की जय जयकार करवाने वाला कार्य नहीं था बल्कि राम के नाम को धब्बा लगाने वाला था. भगवान श्री राम ने कब कहा था कि उसके नाम पर सेना का गठन कर निहत्थे एवं निर्दोष लोगों पर लाठियां, थप्पड़ एवं डंडे बरसाओ. और कब कहा था रामभगत हनुमान ने मेरे नाम पर बजरंग दल बनाकर इसाइयों को पीट पीटकर हिन्दुत्व की धज्जियां उड़ाओ. भगवान के नाम पर सेना का नाम रखकर आदमी की प्रवृत्ति नहीं बदलती जैसे शेर की खल पहनने से गिद्दड़ कोई शेर नहीं बन जाता. भारत में इसके अलावा और भी कई संगठन हैं, जो धर्म एवं संस्कृति को बचाने के नाम पर दिल खोलकर हिंसा फैलाते हैं. जो खुद को जनता रक्षक कहते हुए थकते नहीं, किंतु काम हमेशा जनता को दिक्कतों में डालने वाले करते हैं. इन संगठनों के कारण त्योहार वाले दिन भी लोग घरों से बाहर निकलना मुनासिफ समझते, क्योंकि उनके मन के अंदर एक बात एक डर घर कर गया, कि ना-जाने शहर में कब हिंसा भड़क जाए एवं वो मुश्किल में फंस जाएं. आज से कुछ दिन बाद वेलेनटाइन डे आने वाला है. इस दिन भी भगवा लिबास पहने, हाथों में लठ पकड़े एवं माथे पर बड़े बड़े तिलक लगाएं हुए लोगों के दल हिन्दुत्ववादी शहरों में घूमते हुए आम मिल जाएंगे. किसी को कुछ पता नहीं इनका कहर कब कहां और किस पर बरपा जाए. बात है पिछले साल की, जब भोपाल में एक दम्पति इन लोगों का शिकार हो गया था. जब इन लोगों की इस हरकत का लोगों को पता चला तो सबने इनकी इस घटिया कार्रवाई पर थू थू किया. इसके अलावा महाराष्ट्र में भी दो निजी सेनाएं हैं, जो लोगों की सुरक्षा कम और नुकसान ज्यादा करती है. ये सेनाएं जब निकलती हैं तो तबाही करती हैं, देश की, शांति की एवं भाईचारे की. अगर सेनाएं ऐसी होती हैं तो हम को ऐसी सेना की जरूरत नहीं, नहीं चाहिए ऐसी सेना, जो निहत्थे एवं निर्दोष लोगों को निशाना बनाए.

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