अनावश्यक इच्छाएं त्यागो, खुशी आपके द्वार

ज़िन्दगी की तलाश में हम मौत के कितने पास आ गए' ये पंक्तियां एक गीत की हैं, परंतु एक हकीकत को दर्शाती हैं. इस छोटी सी पंक्ति में शायर ने बहुत बड़ी बात कह दी थी, इंसान की फिदरत है कि वो खुशी पाने की तलाश में निकल पड़ता है और बदलें में गम मिलते हैं, जैसे पहले धार्मिक प्रवृत्ति के लोग प्रभु पाने के लिए जंगल की तरफ निकल जाते थे परंतु भगवान कहां मिलता है. जब खुशी ढूंढने की तलाश में इंसान निकलता है तो वह उसके विपरीत जाता है, जैसे आप सोचते हैं कि आपको वो चीज मिल जाए तो खुशी मिल जाएगी परंतु ऐसा कद्यापि नहीं होता क्यों कि जैसे जैसे इंसान चीजों को पाता जाता है वैसे वैसे उसकी लालसा बड़ती जाती है और एक दिन उसकी इच्छाएं और लालसाएं इतनी बढ़ जाती हैं कि वह दुखी रहने लगता है. 

अगर खुश रहना है तो इच्छाओं का त्याग करो, अब यहां पर सवाल आ खड़ा हो जाता है कि अगर इंसान इच्छाओं का त्याग कर देगा तो जिन्दा कैसे रहेगा क्योंकि इच्छाओं के चलते ही तो इंसान जीता है, जैसे मनुष्य की शादी होती है तो उसकी अगली इच्छा है कि उसके घर कोई संतान हो, जैसे ही संतान का जन्म होता है तो उसकी जिम्मेवारी बढ़ जाती है और उसके जीवन में बदलाव आता है, फिर वह संतान की परवरिश में जुट जाता है और उनके जवान होने की राह तांकता है, फिर संतान की शादी के बाद उससे आपने पोते पोतियों की इच्छा करता है, ये इच्छाएं गलत नहीं क्योंकि ये इच्छाएं जीने के लिए उत्सुक करती हैं. गलत ये है कि शादी के वक्त हम सोचे हमारी शादी तो बड़े लोगों की तरह क्यों नहीं हुई, मुझे खूबसूरत हमसफर क्यों नहीं मिला, मेरी पहली संतान लड़का क्यों नहीं था, मेरे पड़ोसी के पास दुनिया की सबसे महंगी गाड़ी है मेरे पास क्यों नहीं, हां इच्छाएं रखें लेकिन उनको पूरा करने लिए आप अत्यंत परिश्रम भी तो करें ताकि आप आपनी उम्मीदों पर खड़े उतर सकें, किसी ने कहा है कि हर कहानी का खूबसूरत अंत होता है, इस लिए बुरा होने पर उदास होने की बजाय सोचो कि अभी मेरी कहानी का अंत नहीं हुआ और मन को शांत रखकर आपने लक्ष्य की तरफ बेफिक्र होकर बढ़ो आपकी इच्छाएं भी पूर्ण होंगी और आपका मन अशांत भी नहीं होगा. लेकिन इच्छाओं को मन के ही रख़कर औरों के प्रति अक्रोश मत रखो क्योंकि ये बात आपको दुख पहुंचाती है. 

आप किसी चीज की तलाश करने की बजाय जो आपके पास है उसको स्वीकारो और जिसकी इच्छा है वो चीज धीरे धीरे आपके पास चलकर आ जाए, कहते हैं ना कि भगवान के घर देर है अंधेर नहीं, परंतु ये मत सोचो के प्यास लगने पर कुएं के पास जाने की जरूरत नहीं और कुआं आपके पास चलकर आ जाएगा, हां ये गलत धारणा है क्योंकि कुछ पाने के लिए कुछ करना पड़ता है. आपने देखा होगा के कुछ लोग ऐसे होते हैं, जिनको अगर आप चांद गिफ्ट में दें देते हैं, मगर वो कहेंगे सितरे कहां हैं, ऐसे लोग कभी खुश नहीं रह पाते और किसी को खुश रहने भी नहीं देते, इस लिए बुजुर्ग लोग कहते हैं कभी लकीर के फकीर मत बनो दर्द मिलेगा. खुश रहना है तो संतुष्ट रहना सीखो, अगर आप संतुष्ट नहीं तो दुख आपको हर मोड़ पर मिलेगा. 

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