संदेश

अप्रैल, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

News Nation - नमो लहर — यूपी में बीजेपी के कई वरिष्ठ नेता हाशिए पर

चित्र
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी की कथित लहर पर सवार पार्टी के प्रत्याशियों को अब उत्तर प्रदेश के कभी दिग्गज रहे वरिष्ठ नेताओं की जरूरत नहीं है। सोशल मीडिया और मैनेजमेंट के सहारे ही उन्हें अपनी नैया पार होती दिख रही है। आलम यह है कि यूपी भाजपा के कई बड़े नेता हाशिए पर डाल दिए गए हैं या फिर वे खुद नाराज होकर नेपथ्य में चले गए हैं। कभी भाजपा के दिग्गजों में गिने जाने वाले उत्तर प्रदेश के ये नेता क्या कर रहे हैं, खुद भाजपा कार्यकताओं को ही नहीं पता है। भारतीय जनता पार्टी में कभी यूपी के नेताओं की तूती बोलती थी। एक लंबी श्रृंखला थी मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, विनय कटियार, केसरी नाथ त्रिपाठी, ओम प्रकाश सिंह, सुरजीत सिंह डंग, सत्यदेव सिंह, हृदय नारायण दीक्षित, सूर्य प्रताप शाही समेत कई ऐसे नाम हैं जिनका सहयोग लेने से भाजपाई कतरा रहे हैं। सूत्र बताते हैं कि भाजपा नेतृत्व ने इन्हें हाशिए पर डाल दिया तो अब प्रत्याशी भी इनमें से ज्यादातर लोगों के कार्यक्रमों की मांग नहीं कर रहे हैं। बनारस से कानपुर जाने के लिए मजबूर किए गए दिग्गज नेता मुरली मनोहर जोशी की स्थिति ख

Short Story - बाबूजी की बात, और नत्‍थासिंह

चित्र
नत्‍था सिंह बहुत भोला - भाला इंसान था। जब खेतों के किनारे लगे पेड़ों पर फूल आने वाले होते तो वो उनके पेड़ों के आस पास भंवरों की तरह मंडराने लगता, फूल आते ही उदास होकर घर लौट जाता। अब भी पेड़ों पर फूल आने वाले थे, और नत्‍था सिंह भी। नत्‍था सिंह आया - बाबू जी ने उससे पूछा, जब फूल आने वाले होते हैं तो तुम यहां खुशी खुशी आते हो, लेकिन फूल आने के बाद तुम उदास होकर यहां से निकल जाते हो। नत्‍था सिंह ने कहा, मैं गुलाबी फूल लेने के लिए यहां आता हूं, लेकिन आपके पेड़ हर मौसम में पीले रंग के फूल देने लगते हैं। तो बाबूजी कहते हैं कि अरे पगले, हमने बबूल के पेड़ उगाएं हैं, तो बबूल के फूल ही आएंगे, गुलाब के कैसे आ सकते हैं। गुलाब के फूलों के लिए गुलाब का पौधा लगाना पड़ता है। नत्‍थे को बात समझ आई या नहीं, लेकिन मुझे एक बात समझ जरूर आ रही थी। बाबूजी कह रहे थे कि अगर बबूल का पेड़ लगाएंगे तो बबूल के फूल आएंगे, और अगर गुलाब का पौधा है तो गुलाब के फूल। शायद इसका संबंध कहीं न कहीं हमारे विचारों की खेती से भी है। हम अपने भीतर जो पेड़ पौधे लगाते हैं, शायद शब्‍दों में - अपने व्‍यवहार में - उसी पौधे के फूल

Fiction - टिकट टू पाकिस्‍तान

सुबह सुबह का समय था, सूर्य निकलने में देर थी, चिड़ियां की चीं चीं सुनाई दे रही थी। देव अफीमची खुशी के मारे नाच रहा था। द्वारकी हैरान थी, आखिर आज देव अफीमची बिना चीखे चिल्‍लाए। बिना हाय बू किए। बिना काली नागिन यानि अफीम खाए कैसे उठ गया। भीतर की महिला ने द्वाकी को बेचैन कर दिया, आखिर ऐसा क्‍या हुआ कि देव अफीमची, सुबह सुबह वो भी सू्र्य निकलने से पहले बिस्‍तर से खड़ा हो गया। द्वाक ी मन ही मन में सोचने लगी, जब तक पता नहीं चलेगा, तब तक किसी काम में मन नहीं लगेगा। आज ऐसा लग रहा था, जैसे देव अफीमची को अल्‍लादीन का चिराग मिल गया, और उसकी मनोकामना पूर्ण होगी। आज देव अफीमची द्वाकी को अपने पुराने दिनों की याद दिला रहा था, जब देव अफीमची युवा था, जब दोनों की नयी नयी शादी हुई थी। देव अफीमची, दूसरे नौजवानों की तरह सुबह सुबह इस तरह बड़े शौक से खेतों की तरफ निकलता था। आज देव अफीमची को, अपनी जवानी की दलहीज लांघे हुए साठ साल हो चले हैं। इस उम्र में जवानी वाला जोश तो भगवान को भी चिंता में डाल दे, यहां तो फिर भी द्वाकी के रूप में एक महिला थी। बिना पूछे कैसे रह सकती थी, लेकिन सीधे सीेधे तो

Standpoint - 'हिंदु परिषद' के आगे 'विश्व' क्यूं ?

चित्र
आप सोच रहे होंगे। यह अटपटा सवाल क्यूं ? बिल्कुल मुझे भी 'विश्व' अटपटा लगता है, जब मैं इस संस्थान के प्रमुख के बयानों को सुनता हूं। देखता हूं या कहीं पढ़ता हूं। बड़ी अजीब बात है कि आप भारत को एक कट्टर देश बनाने की सोच रखते हैं, लेकिन शब्द विश्व जैसा इस्तेमाल करते हैं। अगर आप भारत को सीमित रखना चाहते हैं, तो सच में 'विश्व' जैसा शब्द एक देश की ऐसी संस्था को शोभा नहीं देता। यह शब्द वैसा ही है, जैसा दक्षिण भारत की एक राजनीतिक पार्टी indian christian secular party में 'सेकुल्यर'शब्द है। अगर सेकुल्यर हो तो क्रिचियन शब्द क्यूं ? वैसे ही अगर विश्व हिन्दु परिषद भारत को हिन्दु राष्ट्र बनाना चाहती है तो राष्ट्र शब्द स्टीक हो सकता है, लेकिन विश्व शब्द नहीं क्यूंकि राष्ट्र को विश्व की संज्ञा नहीं दी जा सकती। 31 मार्च 2013 को ' हिंदु संगम ' समारोह का आयोजन हुआ। इस समारोह में विश्व हिंदु परिषद के प्रमुख प्रवीण तोगड़िया ने कहा था, ''2015 के बाद गुजरात को हिन्दु राज्य घोषित कर दिया जाएगा, क्यूंकि 18000 गांवों में विहिप की मौजूदगी हो जाएगी।'' ए

Standpoint - इंटरव्यू या बेआबरू होने का नया तरीका

चित्र
आज सुबह सुबह कंप्यूटर चलाया। राज ठाकरे के साथ अर्णब गोस्वामी का इंटरव्यू देखने के लिए, लेकिन बदकिस्मती देखिए, मैं आईबीएन ख़बर की वेबसाइट पर पहुंच गया, जहां सीएनएन आईबीएन के चीफ इन एडिटर राजदीप सरदेसाई राज ठाकरे का इंटरव्यू ले रहे थे। इंटरव्यू देखते वक्त ऐसा महसूस हो रहा था जैसे कि राज ठाकरे राजदीप सरदेसाई की क्लास लगा रहे हों। एक चैनल के चीफ इन एडिटर को बता रहे थे, इंटरव्यू और इंट्रोगेशन में कितना अंतर होता है। बोलने को भौंकना जैसे शब्दों से संबोधित किया गया। इंटरव्यू में किस मुद्रा में बैठा जाता है। इंटरव्यू कर रहे हैं तो पीछे हटकर बैठें। आपको अर्णब गोस्वामी नहीं बनना है। इंटरव्यू में आवाज उंच्ची नहीं होती। इंटरव्यू चल रहा है, राजदीप सरदेसाई स्वयं को रोके हुए हैं। राज ठाकरे अनाप शनाप बोले जा रहे हैं। सवाल तो यह है कि इस तरह का बदतमीजी पर इंटरव्यू करना चाहिए ? अगर इस इंटरव्यू को दिखाया गया तो क्यूं ? इसके पीछे की मजबूरी क्या ? क्या राज ठाकरे का इंटरव्यू इतना महत्वपूर्ण है कि चीफ इन एडिटर जैसे पद पर बैठा व्यक्ति अपनी इज्जत को दांव पर लगाए। कहीं इज्जत की ध​ज्जियां उड़ाने का हमने

फेसबुक पर अब बता सकेंगे दोस्तों को लोकेशन

चित्र
न्यूयार्क। युवाओं में सर्वाधिक प्रचलित सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक के जरिए जल्द ही आप अपने फेसबुक मित्रों से अपनी वास्तविक भौगोलिक स्थिति भी शेयर कर सकेंगे। फेसबुक एक नया फीचर शुरू करने जा रही है, जिसकी मदद से आप जान सकेंगे कि आपका कौन सा मित्र फेसबुक पर आपसे कौन सी जगह से जुड़ा हुआ है। इसके लिए आपको 'नीयरबाई फ्रेंड्स' नाम से शुरू किए गए नए फीचर को ऑन करना होगा। लेकिन आपको यह भी जरूर जानना चाह रहे होंगे कि आखिर यह फीचर काम कैसे करेगा। वास्तव में यह फीचर आपके मित्र के मोबाइल फोन के जीपीएस प्रणाली का उपयोग कर आपको उसकी वास्तविक स्थिति की जानकारी देगा। इस फीचर का उपयोग कर लेकिन आप एक घंटे तक ही अपनी उपस्थिति की जगह से अपने मित्रों को अवगत करा सकेंगे। एक घंटे बाद आप इस जगह में परिवर्तन कर सकेंगे। फेसबुक हालांकि इस फीचर को शुरुआत में सिर्फ अमेरिकी उपभोक्ताओं के लिए ही शुरू करेगा। इस नए फीचर की घोषणा करते हुए कंपनी ने कहा कि 18 वर्ष से कम आयु के उपयोगकर्ताओं को 'नीयरबाई फ्रेंड्स' फीचर का लाभ नहीं दिया जाएगा। इसके अलावा उपयोगकर्ता अपनी लोकेशन से अवगत कराने के लिए अपने मित्र

आमिर खान पर उंगली उठाने वाले कहां हैं ?

सत्यमेव जयते में आमिर खान महिलायों के साथ होने वाले अत्याचार की बात उठा रहा था तो एक विरोधी खेमा उनके निजी जीवन पर सवाल उठा रहा था, लेकिन आज वो खेमा कहां चला गया, कहां जाकर सो गया, जब नरेंद्र मोदी ने 12 साल बाद शादी की बात को स्वीकार किया। आमिर खान ने तो कानूनी दायरे में रहकर दूसरी शादी की, पहली से तलाक लिया, लेकिन इस महाशय ने तो शादी भी नहीं निभाई और तलाक भी नहीं लिया। एक बात और कह देता हूं, दुहाई मत देना बाल विवाह था, शादी 19 साल की उम्र में हुई थी, मोदी व उनकी पत्नि तीन महीने साथ रहे थे, तीन साल के दौरान। हल्फनामे में पत्नि की संपत्ति वाले कॉलम को खाली छोड़ा जानकारी नहीं लिखकर कितना उचित है। अगर सब यही करने लगे तो संपत्ति का ब्यौरा कौन देना चाहेगा। चुनाव आयोग चुप है हैरानी इस बात पर भी होगी। अगर वो कॉलम अनिवार्य नहीं तो उसको निकाल देना चाहिए। आप कह सकते हैं यह नरेंद्र मोदी की निजी मामला है, लेकिन हल्फनामा किसी का निजी नहीं होता, वहां नियम देखे जाते हैं। अगर आप हल्फनामा गलत करते हैं तो देश आप पर यकीन कैसे करेगा कि आप कभी अपने फायदे के लिए गलत जानकारी नहीं देंगे। वैसे लगता है

व्हाट्सऐप पर मिलेगी वॉयस कॉलिंग सेवा

व्हाट्सऐप इस्तेमाल करने वालों के लिए खुशखबरी. अब उन्हें वहां वॉयस कॉलिंग की भी सुविधा मिलेगी. कंपनी ने फरवरी में इसकी घोषणा की थी. अब इस पर काम लगभग पूरा हो चुका है और कंपनी इसे जल्द शुरू कर देगी. व्हाट्सऐप मोबाइल मैसेजिंग में अग्रणी है. इसे हर महीने 46 करोड़ से भी ज्यादा लोग इस्तेमाल करते हैं. फेसबुक ने हाल ही में इसका अधिग्रहण कर लिया है. कंपनी यह सुविधा शीघ्र शुरू करने जा रही है, यह बात इससे पता चली कि कंपनी ने हिंदी अनुवाद का काम शुरू कर दिया है. इस पर काम करने वाले लोगों से कंपनी ने फिर से अनुवाद का आग्रह किया है. ये वाक्य वॉयस कॉलिंग फीचर व्हाट्सऐप में इस्तेमाल होंगे. पता चला है कि हैंगअप, इनकमिंग कॉल जैसे शब्दों के अनुवाद कराए गए हैं. यह महत्वपूर्ण इसलिए है कि डेवलपर सबसे आखिर में अनुवाद का काम करवाते हैं. यानी जब सारा काम खत्म हो जाता है तो ही डेवलपर अनुवाद का काम करवाते हैं. इसका मतलब साफ है कि वॉयस कॉलिंग फीचर जल्द ही चालू होगा. व्हाट्सऐप के सीईओ जैन कूम ने मोबाइल वर्ल्ड कांग्रेस मं घोषणा की थी कि वॉयस कॉलिंग सुविधा पहले एंड्रॉयड और आईओएस में मिलेगी और फिर विंडोज तथा ब्लैकबेर

ट्विटर ने बदला अपना फेसलुक, बनने लगा फेसबुक

माइक्रो ब्लॉगिंग सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर अब नए रंग-रूप में दिखने वाला है. जल्द ही इसका लुक फेसबुक की तरह होने जा रहा है.  साइट के ब्लॉग में लिखा गया है कि इस नए बदलाव के साथ ट्विटर के यूजर्स अब खूद को ज्यादा लोगों तक पहुंचा सकेंगे. क्या होगा नया - अब ट्वीट वाला हिस्सा ज्यादा बड़ा दिखेगा जिससे आप ज्यादा बहेतर ढंग से लोगों के सामने रह पाएंगे. - अब आप अपने किसी खास ट्वीट को पिन कर सकते हैं (जैसे फेसबुक में हाईलाइट करते हैं अपने पोस्ट को) ताकि अपनी खास बात अपने चाहने वालों तक पहुंचा सकें -सबसे खास बात अब आपको अपने ट्विटर अकाउंट में फिल्टर का ऑपशन मिलेगा जिससे आप न चाहने वाले ट्वीट को आसानी से फिल्टर कर पाएंगे - फेसबुक की तरह यूजर्स अब इसमें भी कवर फोटो लगा सकते हैं. इसके साथ अब प्रोफाइल पिक्चर भी काफी बड़े साइज में आपको दिखेगी. हालांकि इसके लिखने में जो शब्दों की पाबंदी है उसमें फिलहाल कोई बदलाव नहीं किया गया है और न ही ये बदलाव अभी मोबाईल यूजर्स को मिल पाएगा. कल ट्विटर के इस खास बदलाव को कुछ लोगों तक सीमित किया गया था लेकिन अब जल्द ही सबके लिए उपल्बध होगा. अमेरिका की पहली

बैंड—बाजा, बारात और 'आप' की टोपी

चित्र
वाराणसी में निकली आप की टोपी पहने बारात की ख़बर। हिसार (हरियाणा) चुनाव की खुमारी अब सिर चढ़कर बोलने लगी है। राजनीतिक पार्टियों के समर्थक अपने-अपने दल के लिए प्रचार का कोई तरीका नहीं छोड़ रहे हैं। इसी कड़ी में हरियाणा में जिला सिरसा के गांव सलारपुर के एक युवक ने भी आम आदमी पार्टी के प्रचार-प्रसार के लिए अनोखा तरीका अपनाया। आम आदमी पार्टी के इस पक्के समर्थक मुकेश धंजु ने अपनी शादी में सेहरा तो पहना, मगर उस पर टोपी पहनी 'आप' की। उसने बारात में शामिल होने वाले दोस्तों-रिश्तेदारों को भी 'आप' की टोपी पहनने का आग्रह किया। दूल्हे के आग्रह को कोई ठुकरा नहीं पाया। दूल्हे की बहनों और महिला बारातियों ने भी सिर पर टोपी पहनकर बारात में शिरकत की। गांव सलारपुर से 'आप' की टोपी पहने मुकेश धंजू की बारात ऐलनाबाद पहुंची। दुल्हे मुकेश ने बताया कि मैं हमेशा से ही भ्रष्टाचार विरोधी विचारधारा का रहा हूं। मैं 'आप' के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की नीतियों से प्रभावित रहा हूं। इसी से प्रभावित होकर और प्रेरणा लेकर मैं शुरू से ही केजरीवाल के साथ जुड़ा हुआ हूं और उनके आंदोलन

अरविंद केजरीवाल से नाराज श्री श्री! क्यूं ?

चित्र
फेसबुक पर आजकल एक ख़बर को बड़े जोर शोर से शेयर किया जा रहा है, जिसमें अरविंद केजरीवाल की बुराई करते हुए नजर आते हैं पूजनीय श्री श्री रविशंकर जी। अब नाराजगी का कारण बता देता हूं। मैं लम्बे समय से इस संस्थान के टच में हूं, अपरोक्ष रूप से। नरेंद्र मोदी व श्री श्री में बहुत निकटता है, जो 2012 के विधान सभा चुनावों से निरंतर जारी है। पिछले महीने मोदी की किताब 'साक्षी भाव' को रिलीज भी श्री श्री ने किया। उसी शाम को अहमदाबाद में भोज भी रखा गया, जहां अपने भक्तों से कहा गया, लक्ष्मी कमल पर वास करती है, ध्यान रहे। बात यहां कहां खत्म होती है, मथुरा से चुनाव मैदान में हेमा मालिनी हैं, जो गुरू की अनुयायी हैं, उनके घर अ​द्वितीय का उद्घाटन भी श्री श्री ने अपने कर कमलों से किया। दिल्ली पूर्व चुनाव लड़ने वाले बीजेपी के उम्मीदवार महेश गिरि कौन हैं ? बता देता हूं, 16 साल की उम्र में घर छोड़कर हिमालय निकल गए। कुछ समय बाद गीर में आकर रहने लगे एवं गुरु दत्तात्रेय पीठ ​गीर के पीठ प्रमुख बने। यहां 2002 में वो श्री श्री के सन्निध्य में पहुंच गए। अध्यात्म से दिल भर गया तो राजनीति की तरफ चहल कद

राम मंदिर के बहाने, यूं ही कुछ चलते चलते

चित्र
राममंदिर, इसको अगर थोड़ा सा तोड़कर पढ़ा जाए तो शायद इसका अर्थ कुछ ऐसा होगा। राम+ मन+ अंदर। राम तो कण कण में बसता है, उसको कहां जरूरत है किस एक जगह बंधकर बैठने की। राम मंदिर की बात करने वाले अगर अपने राम को खुश देखना चाहते हैं तो उसकी प्रजा को पेट भर भोजन दें। इंटरनेट नहीं, बिजली सुविधा दें। उनके गलों को तर करें, उनके खेतों तक पानी पहुंचाने पर माथा पच्‍ची करें। इंटरनेट तो आ ही जाएगा, जब पैसे आएंगे। वैसे भी फेसबुक वाला फ्री में नेट देने के लिए कोशिश कर रहा है, वो कामयाब हो जाएगा। आपको जरूरत नहीं।  भावनगर जाते समय मैंने बहुत खूबसूरत मंदिर देखे, मुझे लगता है कि जितना पैसा गुजरात में मंदिर निर्माण पर खर्च होता है, उतना किसी अन्‍य जगह पर नहीं होता। वहां पर अभी तीन से चार मंदिरों का निर्माण जारी था, जो जल्‍द बनकर तैयार होंगे। गुजरात में स्‍वामिनारायण भगवान के मंदिर, जैनों के मंदिर, अलग अलग कुल देवियों के मंदिर। शायद ही कोई ऐसा मार्ग हो जहां आपको मंदिर न मिले। मंदिर तो स्‍वयं लोग बना देंगे, जैसा आपने कल्‍पना भी नहीं की, लेकिन पहले उनकी पेट की भूख को तो खत्‍म कर दें। पहले उनको चांद तो चांद नज

बाबरी मस्जिद विध्वंस को लेकर Cobra Post का खुलासा

चित्र
आम चुनाव के शुरू होने से ठीक पहले 'कोबरा पोस्ट' द्वारा बाबरी मस्जिद से जुड़ा एक नया स्टिंग ऑपरेशन सामने लाया गया है। कोबरा पोस्ट के स्टिंग के सामने आने के बाद से राजनीतिक हलकों में हड़कंप मच गया है। इस स्टिंग में दिखाया गया है कि बाबरी मस्जिद विध्वंस योजना पहले से बनाई गई थी। इसकी जानकारी बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं थी। बीजेपी इस स्टिंग औऱ इसके जारी करने की टाइमिंग का खुलकर विरोध कर रही है। वहीं विरोधी पार्टियों का कहना है कि इस स्टिंग में कुछ नया नहीं है। ऑपरेशन जन्मभूमि:- कोबरपोस्ट उस षड्यंत्र की तह मे जाता है और उन लोगों से मिलता है जो दिसंबर 1992 मे हुए बाबरी मस्जिद विध्वंस के पीछे थे और यह पाता है की यह एक पूर्वनियोजित साजिश थी । कोबरपोस्ट राम जन्मभूमि आंदोलन के उन नेताओं को बेनकाब करता है जिन्होंने षड्यंत्र रच कर 6 दिसंबर 1992 को सोलहवी शताब्दी के एक विवादित ढांचे को धूल मे मिलाने मे सफलता प्राप्त की ।एक ऐसी साजिश जिसे इतने साल बीत जाने के बाद भी सी बी आई जैसी खुफिया एजेंसी भी ना सुलझा पायी। नयी दिल्ली: अपने एक बड़े इन्वैस्टिगेशन मे कोबरपोस्ट ने 6 दिसंबर 1992 के दिन बाब