एक वोटर के सवाल एक पीएम प्रत्याशी से
गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी देश की सत्ता संभालने के लिए आतुर हैं,
राजनेता हैं आतुर होना स्वभाविक है, जीवन में प्रगति किसे पसंद नहीं,
खासकर तब जब बात देश के सर्वोच्च पदों में से किसी एक पर बैठने की। एक
राजनेता के रूप में मेरी शुभइच्छाएं आपके साथ हैं, लेकिन अगर आप स्वयं को
स्वच्छ घोषित करते हैं, देश को एक सूत्र में पिरोने की बात करते हैं, स्वयं
को दूसरी राजनीतिक पार्टियों के नेतायों से अलग खड़ा करने की कोशिश करते
हैं तो एक वोटर के रूप में आप से कुछ सवाल पूछ सकता हूं, सार्वजनिक इसलिए
पूछ रहा हूं क्यूंकि वोटर सार्वजनिक है, हालांकि वो वोट आज भी गुप्त रूप
में करता है।
पहली बात, आप अपना पूरा दांव युवा पीढ़ी पर खेल रहे हैं। जिनको अभी अभी वोट करने का अधिकार मिला है, या कुछेक को कुछ साल पहले। जहां तक मुझे याद है यह अधिकार दिलाने में कांग्रेस के युवा व स्वर्गीय प्रधान मंत्री राजीव गांधी का बड़ा रोल रहा है, युवा इसलिए, उनकी सोच एक युवा की थी, जो कुछ करना चाहता था, देश के युवायों के लिए। दूसरी बात, मैं जो सवाल आप से सार्वजनिक रूप में पूछने जा रहा हूं, यह भी उस महान व्यक्तित्व की सोच से मुहैया हुए यंत्रों के कारण।
पहला सवाल। मैं आपको वोट किस लिए करूं। व्यक्तिगत ईमानदार होने के चलते तो वो मौजूदा प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह भी हैं। लेकिन आपके निशाने पर निरंतर मनमोहन सिंह रहें हैं, यकीनन मैं आपको व्यक्तिगत ईमानदार होने के लिए तो वोट नहीं कर सकता है, क्यूंकि आपके समूह में भी येदिरप्पा जैसे महान लोग हैं, जो कभी पार्टी से बाहर होते हैं तो कभी पार्टी के अंदर। क्या आप व्यक्तिगत रूप में जिम्मेदारियों का निर्बाह करेंगे, अगर आपकी पार्टी का कोई भी नेता भ्रष्टाचार में सम्मिलित हुआ तो आप अपने पद से उसी वक्त त्याग पत्र देंगे?
दूसरा सवाल, आपके चेहरे का नकाब ओढ़कर भाजपा जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। हर कोई चढ़ते सूर्य को सलाम करता है, इसमें बुरी बात नहीं, लेकिन भाजपा जब कहती है कि गुजरात में गोधरा दंगों के बाद पिछले एक दशक में कोई दंगा नहीं हुआ, यह नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धि है, लेकिन पिछले तीस सालों में देश के अंदर सिख दंगे भी नहीं हुए, जिसमें कांग्रेस की भागीदारी रही हो। मेरा सवाल तो यह है कि क्या आप सत्ता में आने के बाद दंगा पीड़ितों के साथ न्याय कर पाएंगे चाहे वो गोधरा के हों या चाहे दिल्ली के?
तीसरा साल। कांग्रेस आरटीआई, आरटीई, खाद्य सुरक्षा, या यूनिक कार्ड जैसी कुछ पारदर्शिता लाने वाली भी लेकर लाई, चलो आपके कहने अनुसार कांग्रेस ने यह कदम उठाकर भी कुछ अच्छा नहीं किया होगा, लेकिन अब सवाल आपके दस सालों का है, मैं इसलिए तो आपको मुबारकबाद दूंगा कि गुजरात में आपके आने के बाद कभी राष्ट्रपति शासन लागू नहीं हुआ, लेकिन क्या आप चुनावों के दौरान कांग्रेस की कमियां गिनाने की बात छोड़कर अपने दस सालों का तैयार विकास मॉडल पेश करेंगे, अपने मंच से? आपके आंकड़े तो पता नहीं कौन प्रदान करता है, लेकिन मैंने कुछ आंकड़े जुटाएं हैं, जिनको आप चुनौती दे सकते हैं, जब आपकी सरकार 2002 में आई तो आपके पास 127 सीटें थी, लेकिन 2007 में आपके पास 117 सीटें रहीं, अबकी बार आपके पास 116 सीटें। अगर विकास का ग्राफ बढ़ा है, तो सीटों में गिरावट क्यूं ?
चौथा सवाल। मैंने आपकी रैलियों को निरंतर सुना। सुनना भी चाहिए था, आख़िर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार जो हैं, लेकिन आप हर राज्य में रैली करते हुए, उनकी भाषा में उतर जाते हैं, ताकि उनके दिलों में जगह बनाई जाए, कभी कभी भूल जाते हैं कि शायद कुछ बातों का आपकी राजनीति पार्टी से कोई लेन देन नहीं। मुझे याद है कि आप ने हिमाचल में कहा, जब यहां का बेटा जागता है तो पूरा भारत सोता है, शायद सीमा पर खड़े भारत के कोने कोने से नौजवान आपके इस बयान से आहत हुए होंगे, नहीं हुए तो मैं जानना चाहूंगा कि चुनावी लाभ के लिए कुछ भी कह देना जरूरी है?
पहली बात, आप अपना पूरा दांव युवा पीढ़ी पर खेल रहे हैं। जिनको अभी अभी वोट करने का अधिकार मिला है, या कुछेक को कुछ साल पहले। जहां तक मुझे याद है यह अधिकार दिलाने में कांग्रेस के युवा व स्वर्गीय प्रधान मंत्री राजीव गांधी का बड़ा रोल रहा है, युवा इसलिए, उनकी सोच एक युवा की थी, जो कुछ करना चाहता था, देश के युवायों के लिए। दूसरी बात, मैं जो सवाल आप से सार्वजनिक रूप में पूछने जा रहा हूं, यह भी उस महान व्यक्तित्व की सोच से मुहैया हुए यंत्रों के कारण।
पहला सवाल। मैं आपको वोट किस लिए करूं। व्यक्तिगत ईमानदार होने के चलते तो वो मौजूदा प्रधान मंत्री मनमोहन सिंह भी हैं। लेकिन आपके निशाने पर निरंतर मनमोहन सिंह रहें हैं, यकीनन मैं आपको व्यक्तिगत ईमानदार होने के लिए तो वोट नहीं कर सकता है, क्यूंकि आपके समूह में भी येदिरप्पा जैसे महान लोग हैं, जो कभी पार्टी से बाहर होते हैं तो कभी पार्टी के अंदर। क्या आप व्यक्तिगत रूप में जिम्मेदारियों का निर्बाह करेंगे, अगर आपकी पार्टी का कोई भी नेता भ्रष्टाचार में सम्मिलित हुआ तो आप अपने पद से उसी वक्त त्याग पत्र देंगे?
दूसरा सवाल, आपके चेहरे का नकाब ओढ़कर भाजपा जीतने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। हर कोई चढ़ते सूर्य को सलाम करता है, इसमें बुरी बात नहीं, लेकिन भाजपा जब कहती है कि गुजरात में गोधरा दंगों के बाद पिछले एक दशक में कोई दंगा नहीं हुआ, यह नरेंद्र मोदी सरकार की उपलब्धि है, लेकिन पिछले तीस सालों में देश के अंदर सिख दंगे भी नहीं हुए, जिसमें कांग्रेस की भागीदारी रही हो। मेरा सवाल तो यह है कि क्या आप सत्ता में आने के बाद दंगा पीड़ितों के साथ न्याय कर पाएंगे चाहे वो गोधरा के हों या चाहे दिल्ली के?
तीसरा साल। कांग्रेस आरटीआई, आरटीई, खाद्य सुरक्षा, या यूनिक कार्ड जैसी कुछ पारदर्शिता लाने वाली भी लेकर लाई, चलो आपके कहने अनुसार कांग्रेस ने यह कदम उठाकर भी कुछ अच्छा नहीं किया होगा, लेकिन अब सवाल आपके दस सालों का है, मैं इसलिए तो आपको मुबारकबाद दूंगा कि गुजरात में आपके आने के बाद कभी राष्ट्रपति शासन लागू नहीं हुआ, लेकिन क्या आप चुनावों के दौरान कांग्रेस की कमियां गिनाने की बात छोड़कर अपने दस सालों का तैयार विकास मॉडल पेश करेंगे, अपने मंच से? आपके आंकड़े तो पता नहीं कौन प्रदान करता है, लेकिन मैंने कुछ आंकड़े जुटाएं हैं, जिनको आप चुनौती दे सकते हैं, जब आपकी सरकार 2002 में आई तो आपके पास 127 सीटें थी, लेकिन 2007 में आपके पास 117 सीटें रहीं, अबकी बार आपके पास 116 सीटें। अगर विकास का ग्राफ बढ़ा है, तो सीटों में गिरावट क्यूं ?
चौथा सवाल। मैंने आपकी रैलियों को निरंतर सुना। सुनना भी चाहिए था, आख़िर प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार जो हैं, लेकिन आप हर राज्य में रैली करते हुए, उनकी भाषा में उतर जाते हैं, ताकि उनके दिलों में जगह बनाई जाए, कभी कभी भूल जाते हैं कि शायद कुछ बातों का आपकी राजनीति पार्टी से कोई लेन देन नहीं। मुझे याद है कि आप ने हिमाचल में कहा, जब यहां का बेटा जागता है तो पूरा भारत सोता है, शायद सीमा पर खड़े भारत के कोने कोने से नौजवान आपके इस बयान से आहत हुए होंगे, नहीं हुए तो मैं जानना चाहूंगा कि चुनावी लाभ के लिए कुछ भी कह देना जरूरी है?
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