जीवन खत्म हुआ तो जीने का ढंग आया
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जीवन खत्म हुआ तो जीने का ढंग आया
शमा बुझ गई जब महफिल में रंग आया,
मन की मशीनरी ने सब ठीक चलना सीखा,
बूढ़े तन के हरेक पुर्जे में जंग आया,
फुर्सत के वक्त में न सिमरन का वक्त निकाला,
उस वक्त वक्त मांगा जब वक्त तंग आया,
जीवन खत्म हुआ तो जीने का ढंग आया।
जैन मुनि तरूणसागर जी की किताब से
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lajwaab ...yahi jeewan hai
जवाब देंहटाएंवाह ...बहुत खूब कहा है आपने ..आभार ।
जवाब देंहटाएंवाह ..
जवाब देंहटाएंSunder....Abhar sajha karne ka...
जवाब देंहटाएंआज कुछ अलग ही रंग देखने मिला
जवाब देंहटाएंक्या बात है. भावों के अद्भुत उद्गार.
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