हड़ताल - काव्य
क्यों जी खाली हाथ आ रहे हो,
क्या बताउं भाग्यवान
जब बस स्टेंड पहुंचा तो
पता चला,
बस वालों की हड़ताल है।
पैदल पैदल बैंक पहुंचा तो
पता चला कि
बैंक वालों की हड़ताल है।
अपने गांव वाले बंते से पकड़े
कुछ पैसे उधार मैंने
लेकिन जब दुकान पहुंचा
तो जाना कि
दुकानदारों की हड़ताल है।
बस ठोकरें खाकर
खाली हाथ लौट आया,
चलो, तुम एक कप चाय तो
पिला दो।
कहां से बनाउं जी,
दूध गिरा दिया बच्चों ने,
सुबह से चाय की हड़ताल है।
क्या बताउं भाग्यवान
जब बस स्टेंड पहुंचा तो
पता चला,
बस वालों की हड़ताल है।
पैदल पैदल बैंक पहुंचा तो
पता चला कि
बैंक वालों की हड़ताल है।
अपने गांव वाले बंते से पकड़े
कुछ पैसे उधार मैंने
लेकिन जब दुकान पहुंचा
तो जाना कि
दुकानदारों की हड़ताल है।
बस ठोकरें खाकर
खाली हाथ लौट आया,
चलो, तुम एक कप चाय तो
पिला दो।
कहां से बनाउं जी,
दूध गिरा दिया बच्चों ने,
सुबह से चाय की हड़ताल है।
चाय का भी हाड्ताल :)
जवाब देंहटाएंतब तो आज टिप्पणी की भी हडताल है हम तो चले
जवाब देंहटाएंअच्छी हडताल है !!
जवाब देंहटाएंबहुत बार ऐसा होता है ..........बहुत खुब .....
जवाब देंहटाएंहमसे भी सब हड़ताल पर ही हैं......
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