यहां भी होता है मज़ाक ?

चुनावों के नतीजे आ रहे थे, राजनीति में दिलचस्पी लेने वालों के अलावा अन्य लोगों की निगाहें भी नतीजों पर टिकी हुई थीं, शायद मेरे संस्थान की तरह अन्य मीडिया कार्योलयों में चुनावों के आ रहे रुझानों को गौर से देखा जा रहा होगा, लेकिन टेलीविजन की स्क्रीनों पर कुछ नेताओं के साथ बहुत बुरा मज़ाक हुआ, पहले तो उनको हारे हुए घोषित कर दिया गया, फिर उनको विजेता घोषित किया गया. इस मजाक का शिकारे हुए केंद्र गृहमंत्री पी. चिदंबरम, वरुण गांधी की माताश्री मेनका गांधी, रेणुका चौधरी के साथ भी ऐसा ही हुआ, लेकिन रेणुका चौधरी को पहले विजेता घोषित कर फिर उसको हारा हुआ घोषित कर दिया. इतना ही नहीं, इस तरह का हाल अनंतनाग में भी देखने को मिला, वहां पर पहले एनसी के उम्मीदवार को विजेता घोषित किया गया, अंतिम चरण में पहुंचते वो सीट पीडीपी के खाते में चली गई.

टिप्पणियाँ

  1. जिनको रूलाना है
    उन्‍हें पहले
    भरपूर हंसा दिया जाये
    हंसते हंसते ही
    आंसू निकल आयें
    तब रूला दिया जाये
    अच्‍छा खाका खींचा है आपने

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  2. जिनको रूलाना है
    उन्‍हें पहले
    भरपूर हंसा दिया जाये
    हंसते हंसते ही
    आंसू निकल आयें
    तब रूला दिया जाये
    अच्‍छा खाका खींचा है आपने

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  3. पूरी लापरवाही है .. न्‍यूज चैनलों की ।

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  4. क्या कहें इन टी. वी. चैनल वालो को ? गलती कर खुद की टी. आर. पी. घटवा रहे है जी . बड़ी चटकदार खबर दी है अपने . बहुत बढ़िया.

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