तुम तो....
तुम तो दूर चली गई लेकिन मैं तो आज भी वहीं हूं उन्हीं गलियों में, उन्हीं बगीचों में, जहां कभी हम तुम एक साथ चला करते थे/ हवाहवा दे जाती है पुरानी यादों को/ हां,आंख भर जाती है याद कर वादों को// चुप हो जाता हूं, जब पूछते हैं नदियां के किनारे/ कहां गए नजर नहीं आते तुम्हारे जानशीं जान से प्यारे// मैं खामोश हूं, तुम ही बताओ क्या जवाब दूं/ मुझे तांकता है किसको तोड़कर वो गुलाब दूं// तुम्हें देखता था जहां से, आज उसी छत पर जाने से डरता हूं/ तुम न जानो, मैं किस तरह प्यार के गवाह सितारों का सामना करता हूं// हँसने नहीं देती याद तेरी रोने पर जमाना सौ सवाल करता है/ अब जाना, तुम से दूर होकर बिरहा कितना बुरा हाल करता है//