भगत सिंह और भोला हलवाई....

भोला हलवाई की एक हिंसक भीड़ में कुचले जाने से मौत हो गई और वो भी यमराज की कोर्ट में पहुंच गया. भोला हलवाई को गलती से यमराज के दूत ले गए थे जबकि लेकर तो भोला सिंह को जाना था. यमराज ने कहा इसको फौरन जमीन पर भेज दो..तो इतना सुन भोला हलवाई बोला. जब यहां तक आ ही गया हूं तो क्यों न इस लोक की यात्रा ही कर ली जाए. यमराज उसकी बात सुनकर दंग रह गया कि पहला मानस है जो इस लोक की सैर करना चाहता है. दूतों को यमराज ने आदेश दिया कि इसको घूमने के लिए इसकी मर्जी के वाहन मुहैया करवाए जाए..भोला तुरंत बोला नहीं..नहीं यमराज...मैं तो पैदल ही अच्छा हूं...उसको कुछ दिन वहां पर घूमने फिरने के लिए मिल गए, बस फिर क्या था. जमीन पर बेरोजगार घूमने वाले भोला हवलाई को यमराज लोक में सब सुविधाएं मिल गई. भोला सिंह ने देखा कि लोगों पर तरह तरह के जुल्म किए जा रहे थे...लोगों की चीखें, भोला हलवाई के कानों को फाड़ रही थीं. जिनको सुनकर भोला हलवाई डर गया, उसने स्वर्ग की तरफ जाने का मन बनाया, उसको लगा कि स्वर्ग में सब खुश होंगे. इतने में चलते चलते भोले के कानों में किसी के रोने के आवाज पड़ी. भोला हलवाई रूका और उसने आवाज की दिशा को महसूस किया और उस दिशा की तरफ चला..उसकी नजर के एक सफेद कपड़े पहने हट्टा कट्टा नौजवान पर पड़ी, जिसके सिर पर पगड़ी थी. भोला हलवाई धीरे धीरे उस नौजवान की तरफ बढ़ा और उसकी पीठ पर हाथ रखा और बोला. तुम नौजवान हो,, तुम स्वर्ग में हो..फिर भी क्यों रो रहे हो...तुमको यहां पर क्या तकलीफ है..मुझको बताओ...यमराज अपना दोस्त है...भोला हलवाई ने शेखी मारी...उस नौजवान ने जब पीछे मुड़कर देखा तो भोला हलवाई के पांव से यमराज लोक खिसक गया..क्योंकि वो स्वर्ग में रोने वाला नौजवान कोई और नहीं बल्कि भगत सिंह था..भोला ने पूछा, तुम भगत सिंह हो..जिसने अंग्रेजों की नींदें हराम कर दी थी तो ये यमराज तुम्हारे आगे क्या है..तुम क्यों रो रहे हो..हिंदुस्तान में तुम्हारी बहादुरी की बातें होती हैं...मुझे यहां पर कोई समस्या नहीं..मैं तो जमीं की हालात देखकर रो रहा हूं..क्या तुम यहां पर भी खेती करते हो..नहीं भोला हलवाई...जिस लोक से तुम आए हो..उसकी बात कर रहा हूं..हम लोगों ने देश को आजाद इस लिए करवाया था कि हिंदुस्तान के लोग एक होकर रहें..वो आजाद हों..उनका अपना एक राष्ट्र..आज वहां हालात ऐसे हैं कि एक राज्य वाला दूसरे राज्य वाले को देखना पसंद नहीं करता...इन लोगों को देखकर लगता है कि अंग्रेजों की गुलामी अच्छी थी..चल छोड़ो तुम सुनाओ भोला हलवाई..यहां कैसे आना हूं....कुछ नहीं घर से राशन लेने के लिए निकला था..रास्ते में पुलिस वालों और लोगों के बीच झड़प शुरू हो गई. और भागती हुई भीड़ ने मुझको कुचल दिया..मैं यमराज में पहुंच गया...और यहां पर पहुंचकर पता चला कि यहां पर किसी और भोला सिंह की जरूरत थी....यहां पर इमानदारी तो जिन्दा है....

टिप्पणियाँ

  1. सही है. कहीं तो इमानदारी है.

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  2. waah! ब्लोगिंग जगत में आपका स्वागत है. खूब लिखें, खूब पढ़ें, स्वच्छ समाज का रूप धरें, बुराई को मिटायें, अच्छाई जगत को सिखाएं...खूब लिखें-लिखायें...
    ---
    आप मेरे ब्लॉग पर सादर आमंत्रित हैं.
    ---
    अमित के. सागर
    (उल्टा तीर)

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  3. बहुत ही सही, सटीक और यथार्त बात

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  4. भगवान की ईमानदारी पर ही तो भरोसा है. खूब लिखा है आपने. बधाई. स्वागत मेरे ब्लॉग पर भी.

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  5. आपने बहुत अच्छा लिखा है ।
    भावों की अभिव्यक्ति मन को सुकुन पहुंचाती है।
    लिखते रहि‌ए लिखने वालों की मंज़िल यही है ।
    कविता,गज़ल और शेर के लि‌ए मेरे ब्लोग पर स्वागत है ।
    मेरे द्वारा संपादित पत्रिका देखें
    www.zindagilive08.blogspot.com
    आर्ट के लि‌ए देखें
    www.chitrasansar.blogspot.com

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